Bareilly News: बरेली में दरगाह आला हजरत के पास मंदिर का विवाद अब गहराने लगा है. यह मंदिर एक घर में बना हुआ है और कुछ समय पहले इस घर को दरगाह आला हजरत खानदान से जुड़े मुस्लिम समुदाय द्वारा खरीदा गया है. इसे लक्ष्मीनारायण मंदिर के नाम से जाना जाता है. और यहां हनुमान जी की मूर्ति स्थापित है. आज आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी सच्चिदानंद बरेली पहुंचे. महामंडलेश्वर ने कहा कि यह 200 साल पुराना मंदिर है, और कागजों में मंदिर की जमीन नगर निगम के नाम दर्ज है. यहां पूजा अर्चना का काम प्रारंभ से किया जाता रहा है. और आगे भी किया जाता रहेगा. जिन लोगों ने इस जगह को खरीदा है वह गलत तरह से खरीद रहे हैं. यह मंदिर है और यहां आगे मंदिर ही रहेगा.
आचार्य ने कहा कि यह पूरा मामला मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को बताया जा रहा है, और जिलाधिकारी को भी पूरे मामले से अवगत कराया जाएगा. यदि जरूरत पड़ी तो इस मामले में न्यायालय की शरण भी ली जाएगी. लेकिन किसी भी दूसरे या विशेष समुदाय के लोगों को इस पर कोई अधिकार नहीं है. यहां पहले से हिंदू पूजा पाठ करते आ रहे हैं. दरगाह आला हजरत के पास रहने वाले धर्म प्रकाश उर्फ प्रदीप रस्तोगी ने कहा कि इस मामले में न्यायालय में मामला है. उन्होंने बताया कि संदीप शर्मा जो इस मंदिर का केयर टेकर था. उसने फर्जी तरह से जगह और मंदिर को मुस्लिम समुदाय के नाम बेच दिया है. जबकि रिकॉर्ड में यह जमीन नगर निगम के नाम दर्ज है. और यहां प्राचीन मंदिर है.
'आचार्य ने कहा तौकीर रजा को विवादित'
आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी सच्चिदानंद ने आईएमसी प्रमुख मौलाना तौकीर राजा को विवादित बताया. उन्होंने कहा कि अब लोकसभा चुनाव आ रहे हैं. और वह ऐसे विवादित और भड़काऊ बयान देते रहे हैं. 2010 में बरेली दंगे उन्ही के नाम हैं. उन्होंने कहा कि बरेली मंदिर का यह विवाद ज्ञानवापी प्रकरण जैसा नहीं है, यहां अभी भी मौजूद मंदिर है. पूजा पाठ होती रही है. एक व्यक्ति द्वारा जिसके नाम यह जमीन नहीं है. उसने फर्जी तरह से इसे बेच दिया है. जिला प्रशासन इसमें पूरी जांच करें.
'मुसलमानों के पूर्वज सनातनी थे'
आचार्य महामंडलेश्वर स्वामी सच्चिदानंद ने कहा कि मुसलमानों के भी पूर्वज भी सनातनी थे. उनके पूर्वजों के साथ बहुत जुर्म हुआ है, उनकी आत्मा भटक रही है, पहले तो मजबूरी थी लेकिन अब कोई मजबूरी नहीं है, इसलिए घर वापसी कर ले.यहां जितने लोग भी है ,सभी के पूर्वज सनातनी थे. आपके पूर्वजों को बहुत प्रताड़ित किया गया. पूर्वजों का धर्म परिवर्तन कराया गया. पूर्वजों ने मजबूरी में इस्लाम ग्रहण किया था. आज कोई मजबूरी नहीं है, घर वापसी करिए. लोगो को समझाइए वो कार्य अच्छा होगा. इसका विरोध मत करिए, आपके भी भगवान इष्ट रहे है. बुजुर्गों की आत्मा को शांति मिलेगी. अगर यह लोग मिलजुल कर प्रेम भाव से स्वीकार करें और गलती को माने. हमारी जितनी भी आस्था के स्थान वह सब मुगल कालीन मंदिरों को तोड़कर ही मस्जिद बनाया गया था. अपने लिए ना सही अपने बुजुर्गों के लिए छोड़ दे. उनकी आत्माएं भटक रही है. उनकी महिलाओं के संग बलात्कार हुए तब जाकर इस्लाम ग्रहण किया था.
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