Bareilly News: बरेली में ग्राम विकास अधिकारी सस्पेंड, एक करोड़ रुपये के घोटाले का है आरोप
यूपी के बरेली में ग्राम विकास अधिकारी आलोक यादव पर एक करोड़ रुपये गबन करने का आरोप है. विकास कार्यों के लिए आई रकम को ग्राम विकास अधिकारी आलोक यादव डकार गए.
UP News: यूपी के बरेली (Bareilly) में ग्राम विकास अधिकारी आलोक यादव पर एक करोड़ रुपये गबन करने का आरोप है. विकास कार्यों के लिए आई रकम को ग्राम विकास अधिकारी आलोक यादव डकार गए. जांच में दोषी पाए जाने पर उन्हें सस्पेंड कर दिया गया है, साथ ही विभागीय जांच भी शुरू कर दी गई है.
कहते हैं भारत देश की एक बहुत बड़ी आबादी आज भी गांव में रहती है. गांव के विकास के लिए केंद्र और प्रदेश की सरकार पानी की तरह पैसा बहाती है. लेकिन विकास गांव से आज भी कोसो दूर है. भ्रष्टाचार पर जीरो टॉलरेंस की बात करने वाली बीजेपी की सरकार में भी अफसरशाही हावी होती दिख रही है. यही वजह है कि विकास कार्यों के लिए आ रही करोड़ों रूपये की धनराशि भ्रष्ट अफसर अपने विकास में खर्च कर रहे हैं. भ्रष्टाचार हमारे देश में दीमक की तरह हो गया है.
क्या बोले अधिकारी?
बरेली की बिथरी चैनपुर विकास खंड की मोहनपुर ग्राम पंचायत में तैनात ग्राम विकास अधिकारी आलोक यादव भी उन्हीं लोगों मे से एक हैं, जो विकास कार्यों के लिए आई रकम को हजम कर गए. जब अधिकारियों ने ग्राम पंचायतों में विकास कार्यों की जमीनी हकीकत देखी तो पता चला विकास कार्य सिर्फ कागजों में हुए है. हकीकत में तो कुछ भी नहीं हुआ. ग्रामीण आज भी मुसीबत भरी जिंदगी जीने को मजबूर है. सीडीओ चन्द्र मोहन गर्ग का कहना है कि डीपीआरओ धर्मेंद्र कुमार से मामले की छानबीन कराई गई. तब पता चला कि ग्राम विकास अधिकारी आलोक यादव ने विकास कार्य कराए बगैर ही लगभग एक करोड़ रुपये की रकम निकाल ली है. जिस वजह से उन्हें निलंबित कर दिया गया है. इसके साथ ही विभागीय जांच भी शुरू कर दी गई है. सीडीओ चन्द्र मोहन गर्ग का कहना है कि इस मामले में जिन लोगों की भी मिलीभगत पाई जाएगी, उनके खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी.
क्या बोले सीडीओ?
सीडीओ चन्द्र मोहन गर्ग ने बताया कि बिथरी ब्लॉक में तैनात ग्राम विकास अधिकारी ने सात ग्राम पंचायतों के विकास कार्यों के लिए आये 93 लाख रुपये गबन कर लिए. जब उनसे इन रुपयों का हिसाब मांगा गया तो वो नहीं दे पाए. इनको तीन बार नोटिस भी दिया गया लेकिन इनके द्वारा उन नोटिस को भी दरकिनार करके कोई भी अभिलेख प्रस्तुत नहीं किया गया. इस मामले में इनको सस्पेंड किया गया है. जो कार्य इनके द्वारा पहले भी कराये गए, उनकी भी जांच करवाई गई, तो देखा गया इन्होंने उनमे भी कोई लीगल प्रोसीजर नहीं अपनाया और मनमाने तरीके से कार्य कराएं हैं. उसमें भी कोई अभिलेख इनके पास नही हैं. इसके अलावा शासन के द्वारा जो भी कार्य कराए जा रहे हैं, उनमें भी इनका कोई ध्यान नहीं है. मनमाने तरीके से ये गायब रहते हैं. लखनऊ से एक नोडल अधिकारी इनके ब्लॉक में आये थे तो उन्होंने जब इनसे अभिलेख मांगे तो ग्राम विकास अधिकारी आलोक यादव ने नहीं दिए.
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