बरेली: छात्रों को रोजगार पाने में होने वाली कठिनाइयों को देखते हुए रुहेलखंड यूनिवर्सिटी ने अपने परास्नातक के 7 पाठ्यक्रमों में से एप्लाइड शब्द हटा दिया है. इससे नए छात्रों के साथ-साथ पुराने छात्रों को भी नौकरी पाने में आसानी होगी और उन्हें उनकी डिग्री पर लिखे एप्लाइड शब्द के कारण होने वाली समस्या से निजात मिलेगी.
पुरानी व्यवस्था खत्म
एमजेपी रुहेलखंड यूनिवर्सिटी के कुलपति ने 30 साल पुरानी व्यवस्था को खत्म करते हुए लगभग 50 हजार विद्यार्थियों की डिग्रियों और अंकपत्रों से एप्लाइड शब्द हटाने की निर्णय लिया है. साथ ही अब परास्नातक के कोर्स से एल्पाइड शब्द हमेशा के लिए हटा दिया है.
30 साल पहले एप्लाइड शब्द जोड़ा गया
दरअसल, उत्तर प्रदेश के बरेली में एमजेपी रुहेलखंड यूनिवर्सिटी के परिसर में बीटेक, बीफार्मा, एमबीए के कोर्सों के साथ-साथ तमाम अन्य परास्नातक कोर्स कराए जाते हैं. वहीं, विश्वविद्यालय में साइंस और कला वर्ग के परास्नातक के 7 कोर्स भी चलाए जाते हैं, जिन्हें कॉलेजों में संचालित कोर्सों से अलग रूप देने के लिए विश्वविद्यालय ने 30 साल पहले एप्लाइड शब्द जोड़ दिया था.
छात्र-छात्राओं को होती थी परेशानी
विश्वविद्यालय से पढ़ाई पूरी करने के बाद मिलने वाले अंक पत्र, प्रमाण पत्र में एप्लाइड शब्द लिखे होने के कारण छात्र-छात्राओं को सरकारी नौकरी में परेशानियों का सामना करना पड़ता था और उनके विषय को उतनी मान्यता नहीं दी जाती थी जितनी की सामान्य कोर्स को. छात्रों को रोजगार मिलने में होने वाली परेशानी को विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर केपी सिंह ने गहराई से समझा और फिर एक आदेश पारित कर परास्नातक पाठ्यक्रमों से एप्लाइड शब्द को हटाने का निर्णय लिया गया.
जारी होगा नया अंकपत्र और प्रमाण पत्र
इस निर्णय में जो छात्र-छात्राएं बीते 30 वर्ष में यहां से पढ़कर डिग्री प्राप्त कर चुके हैं उनको भी नई अंकपत्र डिग्री दी जाएगी साथ ही नए छात्र-छात्राओं को इस समस्या से निजात मिलेगी. विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर केपी सिंह की मानें तो विश्वविद्यालय परिसर में चलने वाले 7 परास्नातक कोर्स में लगभग 50 हजार छात्रों को नया अंकपत्र और प्रमाण पत्र जारी किया जाएगा जिससे वो किसी भी सरकारी नौकरी में आवेदन कर सकेंगे.
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