Bareilly News: उत्तर प्रदेश के बरेली में 14 साल पहले हुए दंगें मामले में बरेली की कोर्ट ने आईएमसी अध्यक्ष मौलाना तौकीर रजा को हिंसा का मास्टरमाइंड माना है. कोर्ट ने उन्हें 11 मार्च को तलब किया है. ये मामला मार्च 2010 का है जब कोहड़ा पीर पुलिस चौकी को आग के हवाले कर दिया था. कोर्ट ने इस दौरान सीएम योगी का हवाला दिया और कहा कि सत्ता पर धार्मिक व्यक्ति होना चाहिए.
बरेली में 2 मार्च 2010 को धार्मिक जुलूस निकालते वक्त दंगे भड़क उठे थे. जिसमें कई गाड़िों को जला दिया गया और दुकानों में तोड़फोड़ की गई थी. इस मामले में मौलाना तौकीर रजा समेत 300 के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज की गई थी और तौकीर रजा को गिरफ्तार भी किया गया था बाद में चार्जशीट में उनका नाम नहीं डाला गया.
कोर्ट ने कहा कि मौलाना तौकीर रजा बरेली की प्रमुख दरगाह आला हजरत के परिवार से आते हैं. मुस्लिम समाज में उनकी बहुत मान्यता है अगर ऐसा कोई व्यक्ति अपने समाज को भड़काकर कानून में बाधा डालने की कोशिश करता है तो इससे दंगे होते हैं. मौलाना तौकीर रजा इसका उदाहरण हैं.
सीएम योगी का दिया उदाहरण
अदालत ने कहा, यदि कोई धार्मिक व्यक्ति सत्ता पर बैठता है, तो उसके अच्छे परिणाम मिलते हैं. जैसा कि दार्शनिक प्लेटो ने अपनी किताब 'फिलॉस्फर किंग' में लिखा है. प्लेटो ने कहा है कि हमारे नगर राज्यों में तब तक कष्टों का अंत नहीं होगा, जब तक राजा दार्शनिक न हो. वर्तमान समय में हम न्याय शब्द का प्रयोग करते हैं जिसका प्लेटो ने धर्म के रूप प्रयोग किया है.
यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ का उदाहरण देते हुए कोर्ट ने कहा कि सत्ता में किसी धार्मिक व्यक्ति को होना चाहिए, क्योंकि उनका जीवन भोग का नहीं बल्कि त्याग एवं समर्पण का होता है, जैसे वर्तमान समय में सीएम योगी आदित्य नाथ हैं. उन्होंने उपरोक्त अवधारणा को सत्य साबित किया है.
'सत्ता के संरक्षण की वजह से दंगे'
भारत में दंगे होने का प्रमुख कारण ये भी है कि यहां राजनैतिक दल एक धर्म विशेष के तुष्टिकरण में लगे रहते हैं. जिससे उस धर्म विशेष के प्रमुख लोगों का मनोबल इतना बढ़ जाता है कि उन्हें लगता है कि अगर वो दंगे करवा भी देंगे तो बच जाएंगे. मौलाना तौकीर रजा के खिलाफ सबूत होने पर उनके नाम को आरोप पत्र में शामिल नहीं किया गया.
मामले की सुनवाई कर रहे जज ने ज्ञानवापी को लेकर भी फ़ैसला दिया है, जिसके बाद अपने परिवार के डर का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि ज्ञानवापी प्रकरण पर फ़ैसला देने के बाद मुझे 32 पन्नों का धमकी भरा पत्र भेजा गया. जिसमें किसी की गिरफ्तारी नहीं हो पाई है, मेरी माताजी लखनऊ में रहती है छोटा भाई शाहजहांपुर में सिविल जज हैं. उन्हें हमेशा मेरी सुरक्षा की चिंता रहती है. परिवार में हर कोई डरा हुआ है.
मौलाना तौकीर रजा के खिलाफ पर्याप्त साक्ष्य होने के बावजूद उनका नाम चार्जशीट में शामिल नहीं किया गया, जिससे साफ है कि तत्कालीन वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक, बरेली, उप पुलिस महानिरीक्षक, बरेली परिक्षेत्र, बरेली, पुलिस महानिरीक्षक, बरेली जोन, बरेली तथा तत्कालीन जिलाधिकारी ने अपने कर्तव्यों का पालन नहीं किया और सत्ता के इशारे पर काम किया.