UP News: यूपी के बरेली में कोर्ट ने रामचरितमानस को ध्यान में रखते हुए दोषी चाचा भतीजे को जज ने फांसी की सजा सुनाई है. दरअसल, यह मामला जमीन विवाद जुड़ा था. जहां भाई भतीजे ने युवक की गोली मारने के साथ धारदार हथियार का इस्तेमाल करते हुए युवक की गला काटकर हत्या कर दी थी. इस मामले में कोर्ट ने सुनवाई करते हुए दोषी के सगे भाई और भतीजे को अपर सत्र न्यायाधीश प्रथम रवि कुमार दिवाकर ने मृत्युदंड की सजा सुना दी.


कोर्ट ने सजा सुनाने के साथ दोनों पर एक-एक लाख रुपये जुर्माना लगाया है. जानकारी के मुताबिक, बहेड़ी में दस साल पूर्व दोषियों ने घटना को अंजाम दिया गया था. घटना के संबंध में पुलिस हत्या में प्रयुक्त तमंचा, फरसा को  साक्ष्य के रूप में पेश करने के साथ बुआ फूफा की गवाही ने केस में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी.


क्या बोले जज
जज ने सजा सुनाते समय मामले को श्रीरामचरितमानस का जोड़ते हुए कहा कि दोषियों ने भगवान श्रीराम के भाईयों के आचरण के विपरीत जाकर कृत्य किया है. ऐसे दयाहीन सिद्ध दोषों का जीवित रहने से बेहतर है कि उनको मृत्युदंड देकर मृत्यु दी जाए. इससे समाज में सकारात्मक संदेश जाएगा. हालांकि कोर्ट में  21 दिसंबर 2024 को ही सिद्ध हो गया था.


सहायक जिला शासकीय अधिवक्ता दिगंबर सिंह और सौरभ तिवारी ने बताया कि न्यायालय के समक्ष दोष सिद्ध दोषियों की पत्रावली दंड के लिए पेश की गई. इस दौरान अपर सत्र न्यायाधीश त्वरित न्यायालय रवि कुमार दिवाकर ने कहा कि पशुवत हत्या करने वाले व्यक्ति को न्यायालय की ओर से समुचित दंड नहीं दिया जाता है तो इससे समाज में गलत संदेश जाता है.


दया का दोषियों में घोर अभाव- जज
उन्होंने कहा कि दया एक मानवीय गुण है, लेकिन इस मामले में दोषियों में इसका घोर अभाव है. श्रीरामचरितमानस का जिक्र करते हुए कहा कि भारतीय समाज में सतयुग में भगवान श्रीराम भी हुए हैं. जिनके साथ भाई लक्ष्मण ने भी वनवास काटा. जबकि भाई लक्ष्मण को वनवास काटने को नहीं कहा गया था.


कोर्ट ने इस मामले में सिद्ध दोष रघुवीर सिंह मृतक चरन सिंह का सगा भाई है. उल्लेखनीय है कि भगवान श्रीराम को रघुवीर के नाम से भी जाना जाता है. लेकिन दोष सिद्ध रघुवीर सिंह ने सतयुग भाईयों के आचरण के विपरीत कृत्य किया है. मृत्युदंड से ही ऐसे व्यक्तियों से समाज को मुक्ति दिलाई जा सकती है.


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साल 2014 में हुई थी
घटना 20 नवंबर 2014 को बहेड़ी थाने के ग्राम भोजपुर में हुई थी. जिसमें रघुवीर सिंह ने पुलिस को शिकायत कर बताया था कि उसका छोटा भाई चरन सिंह मीरगंज थाना क्षेत्र में मामा भूप सिंह के यहां करीब आठ साल से रह रहा था. मामा की कोई संतान नहीं थी. मामा ने सारी संपत्ति उसकी मां सोमवती के नाम पर कर दी थी. उसका भाई चार दिन पूर्व ही घर आया था. 


उसने यह भी आरोप लगाया था कि जमीन नाम होने से थाना मीरगंज के गांव हल्दी निवासी उसके बड़े मामा का लड़का हरपाल इस बात से रंजिश मानता था. घटना वाले हरपाल उसका अन्य साथी धारदार हथियार से चरन की हत्या कर भाग रहे थे. रोकने का प्रयास किया तो हवाई फायर करते हुए भाग निकले. लेकिन जब पुलिस ने विवेचना की गई तो रघुवीर और उसके बेटे का ही नाम घटना में सामने सामने आया था. हालांकि मामले में सुनवाई दस वर्ष तक उसके बाद यह फैसला आ सका.
(बरेली से भीम मनोहर की रिपोर्ट)