बरेली में एक सफाई कर्मचारी के बेटे ने जेईई एडवांस में 960वीं रैंक हासिल करके अपने परिवार का नाम रोशन किया है. धनंजय सिंह ने सेल्फ स्टडी और मुख्यमंत्री अभ्युदय योजना के तहत संचालित कोचिंग की बदौलत ये मुकाम हासिल किया. वहीं अभ्यर्थी धनंजय सिंह के जेईई एडवांस में चयन होने से उनको बधाई देने वालो का तांता लगा हुआ है.


पिता के सपने को किया साकार


मेधावी छात्र धनंजय सिंह ने कभी भी अपने पढ़ाई में गरीबी को हावी नहीं होने दिया. धनंजय के पिता संजय सिंह सफाई कर्मचारी है और उन्हें रोजाना 307 रुपये मजदूरी मिलती है. ऐसे में संजय सिंह के पास इतने रुपये नही है कि वो अपने बेटे को कोटा भेज सके या फिर बरेली में ही कोचिंग लगवा सके. क्योंकि इंजीनियरिंग की तैयारी के लिए कोचिंग सेंटरों पर काफी ज्यादा फीस जमा करनी पड़ती है. 307 रुपये मजदूरी कमाने वाले संजय सिंह का सपना था कि उनका बेटे का आईआईटी में सलेक्शन हो, और आखिरकार उनके बेटे ने उनका सपना सच कर दिखाया. धनंजय की जेईई एडवांस में 960वीं रैंक आई है.


मुख्यमंत्री अभ्युदय योजना से हुआ लाभ


 धनंजय सिंह ने एबीपी गंगा संवाददाता अनूप मिश्रा से खास बातचीत में बताया कि मैं 12 से 14 घंटे तक सेल्फ स्टडी करता था. इसके अलावा मुख्यमंत्री अभ्युदय योजना के तहत संचालित कोचिंग से भी उनको काफी सहयोग मिला है. उन्होंने बताया कि  कोचिंग सेंटर पर अच्छी फैकल्टी है और वहां  काफी बढ़िया फैसिलिटी भी है. धनंजय ने बताया कि मेरे जो भी डाउट होते थे वह कोचिंग सेंटर पर क्लियर हो जाते थे. धनंजय ने बताया कि उनके पास इतना पैसा नहीं था कि वह कोटा जाकर तैयारी कर सके ऐसे में वह दिन रात मेहनत करते थे और आखिरकार धनंजय को मेहनत का फल मिल ही गई. धनंजय ने जेईई एडवांस में देश में 960 वी रैंक हासिल कर अपने मां-बाप के साथ ही बरेली वासियों का भी नाम रोशन किया.


धनंजय के पिता संजय का कहना है कि उनके तीन बेटे है बड़ा बेटा भी इंजीनियरिंग कर रहा है, उसका भी जेईई में चयन हो गया था लेकिन जेईई एडवांस में उसका चयन नही हो सका था. तब धनजंय ने अपने पिता को ढांढस बंधाया और कहा कि मैं दिन रात मेहनत करके आपका सपना जरूर पूरा करुंगा.


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