बरेली: उत्तर प्रदेश के बरेली जिले में बुधवार को एक युवक की मां ने आरोप लगाया कि उसके बेटे को कोरोना कर्फ्यू का उल्लंघन करने पर पुलिस ने उसके हाथ और पैर में कीलें ठोक दी. लेकिन, पुलिस ने इससे साफ इनकार किया है. बारादरी के जोगी नवादा के रहने वाले युवक रंजीत की मां कुसुम लता ने पत्रकारों से बातचीत में आरोप लगाया कि कोरोना कर्फ्यू का उल्लंघन करने पर उसके बेटे के हाथ और पैर में कील ठोक दी गईं.


पुलिस ने आरोपों को बताया निराधार 
बरेली के वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक रोहित सिंह साजवान ने इन आरोपों को पूरी तरह से निराधार बताया और कहा कि पुलिस से बचने के लिए आरोपी ने स्वयं इस काम को अंजाम दिया है. एसएसपी साजवान ने बताया कि रंजीत नाम का युवक 24 मई को बिना मास्क के घूम रहा था और इस बारे में टोकने पर उसने पुलिस कर्मियों के साथ बदतमीजी की थी. इस प्रकरण में उसके खिलाफ थाना बारादरी में मुकदमा दर्ज किया गया था. 


पुलिस से बचने के लिए किया नाटक 
वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक ने बताया कि घटना के बाद आरोपी मौके से फरार हो गया था. इसके बाद से ही पुलिस उसकी तलाश में दबिश दे रही थी. मंगलवार रात भी पुलिस ने आरोपी के यहां दबिश दी थी लेकिन वो नहीं मिला. एसएसपी ने कहा कि पुलिस से बचने के लिए युवक ने ये नाटक किया. घटना 24 मई की है जबकि घटना के बाद से ही वो मौके से फरार हो गया था.


रंजीत को साथ ले गई थी पुलिस 
मां कुसुम लता ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए आरोप लगाया कि बारादरी थाना क्षेत्र के जोगी नवादा का रहने वाला रंजीत (बेटा) सोमवार की रात करीब दस बजे अपने घर बाहर बैठा हुआ था, इसी बीच पुलिसकर्मी वहां पहुंचे. पुलिस ने सभी लोगों को मास्क लगाने को कहा. उन्होंने कहा कि इस बीच रंजीत का पुलिस कर्मियों से विवाद हुआ था. उन्होंने दावा कि विवाद के बाद पुलिसकर्मी रंजीत को जबरन अपने साथ ले गए ले गए थे और बाद में पुलिसकर्मी उसको मरणासन्न अवस्था में फेंक कर चले गए. 


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