बरेली, एबीपी गंगा। अयोध्या पर आए सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने पुनर्विचार याचिका दाखिल करने की बात कही है तो वहीं बरेलवी उलेमा ने बोर्ड का विरोध किया है। बरेलवी उलेमा ने बोर्ड के फैसले को गैरजिम्मेदाराना बताया है।
अयोध्या को लेकर सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की बैठक रविवार को लखनऊ में आयोजित की गई। बैठक में फैसला हुआ है कि फैसले के खिलाफ रिव्यू पीटिशन दाखिल की जाएगी और 5 एकड़ जमीन नहीं लेने का भी एलान किया गया।
तन्जीम उलमा-ए-इस्लाम के महासचिव मौलाना शहाबुद्दीन रजवी ने मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की बैठक पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा कि बाबरी मस्जिद अयोध्या पर सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने से पहले मुस्लिम संगठनों और मुस्लिम नेताओं ने कहा था कि सुप्रीम कोर्ट जो भी फैसला देगा उसको हम मानेंगे इसमें मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड भी शामिल था।
मौलाना ने कहा कि मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के लोग अयोध्या के मुद्दे पर राजनीति कर रहे हैं और नहीं चाहते हैं कि अयोध्या मुद्दा खत्म हो। उन्होंने का कि कुछ लोग इसको जिंदा रखकर राजनीति करना चाहते हैं। बोर्ड देश में हिन्दू-मुस्लिम भाईचारा और अमन व शांति के बने अच्छे वातावरण को भंग करना चाहता है। जबकि हकीकत यह है कि बोर्ड सिर्फ देश के 25 फीसद मुसलमानों की नुमाइंदगी करता है और 75 फीसद मुस्लिम आबादी बोर्ड के खिलाफ है।
मौलाना ने कहा कि अब इस मुद्दे को यहीं छोड़कर आगे बढ़ने की बात करनी चाहिए। इस मामले को लेकर दोबारा देश का माहौल खराब नहीं होना चाहिए। विवाद का दरवाजा हमेशा के लिए बन्द हो जाना चाहिए। इस मुद्दे कि वजह से देश के मुसलमानों ने जान व माल का बहुत ज्यादा नुकसान उठाया है।
मौलाना शहाबुद्दीन ने कहा कि अब मुसलमान नहीं चाहता है कि इस मुद्दे कि वजह से उसकी नई नस्ल को मुश्किलों और मुसीबतों का सामना करना पड़े। मुसलमानों ने सबर व तहामुल्ल के साथ फैसले को स्वीकार किया है। क्योंकि मुसलमान नहीं चाहता कि देश एक बार फिर नफरत की भेंट चढ़ जाए।