Rudeshwar Maharaj Yatra: यमुना घाटी में देव मेलों की पौराणिक काल से ही अनोखी परम्परा है. घाटी के अलग-अलग हिस्सों में अपने आराध्य देव के नाम से सावन के महीने में यात्रा निकाली जाती है. इसे यहां जातर के रूप में मनाते हैं. यहां नौगांव और पुरोला ब्लाक के 65 गांव के ईष्टदेव रूदेश्वर महाराज इस सावन के महीने अलग-अलग गांवों में भ्रमण कर अपनों भक्तों को दर्शन देकर आशीर्वाद देते हैं. इसी क्रम में घाटी के सुनारा गांव में भी देवता की डोली पहुचंते ही ग्रामीण काफी उत्साहित होकर खूब झूम रहे हैं.


रूदेश्वर महाराज का किया गया भव्य स्वागत
गांव की महिलाओं ने गांव में देव डोली पहुंचते ही रूदेश्वर महाराज का धुप अगरवत्ती और पुष्पमालाओं के साथ देवता का स्वागत कर देर रात तक गांव की सामूहिक चौरी और चौक पर देवता की डोली के साथ जमकर रंवाई के लोकनृत्य की शानदार प्रस्तुति दी. सभी लोगों ने गांव के पंचायत भवन में देवता की पूजा अर्चना में शामिल होकर देवता के दर्शन कर आरती में शामिल हुए. दूसरे दिन सुबह से ही सभी मूर्त्तियां बाबा बौखनाग, धर्मराज युधिष्ठिर, महासू देवता और माता नाटेश्वरी देवी का दरबार लगाया गया. जिसमें सभी गांवों के परिवारों ने पुरी, चावल, फल, धुप आदि भोग चढ़ाकर सभी मूर्तियों के दर्शन कर पुण्य के भागी बने.


दोपहर बाद देवता की पूजा अर्चना कर देवता से कुशल क्षेम के लिए सवाल जवाब भी किये जाते हैं. इस दौरान देवता के पश्वा सभी को अपना आशीर्वाद देते हैं. चार दिन तक चलने वाली इस जातर में संस्कृति की भी अनूठी तस्वीर देखी जाती है.


दो दर्जन से ज्यादा गांव में होगा भ्रमण
पारम्परिक सांकृतिक में रूईणी ध्याणिया गांव की सामूहिक पंचायत चौक में अपनी एक वेशभूषा में रंवाई लोक संस्कृति की मिशाल पेश करते हैं. आपको बता दें कि 13 जूलाई को अराध्य देव रूदेश्वर महाराज अपने तियां गांव से बाहर निकल कर क्षेत्र भ्रमण पर हैं.  इस बार देवता की डोली मुगरसंती क्षेत्र के दो दर्जन से ज्यादा गांवों के भ्रमण पर हैं. इस दौरान इन सभी गांवों में भव्य मेलों का आयोजन किया जा रहा है. मान्यता के अनुसार रूदेश्वर कभी राजा हुआ करते थे, कहा जाता है कि रुद्रेश्वर महाराज रवांई में कश्मीर से आकर स्थापित हुए तभी से परम्परा अनुसार पूरे सावन में अलग अलग गांवों में उनकी पूजा अर्चना के प्रारंभ में उन्हें जय कुलकाश महाराज से संबोधित कर जातर मनाई जाती है.


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