Basant Panchami 2024 Wishes: बसंत ऋतु का आगमन और विद्या की देवी सरस्वती पूजा का पर्व बसंत पंचमी कल संगम नगरी प्रयागराज के माघ मेले में भी श्रद्धा और उल्लास के साथ मनाई जाएगी. इस मौके पर प्रयागराज में गंगा- यमुना और सरस्वती के त्रिवेणी संगम में करीब अस्सी लाख श्रद्धालु आस्था की डुबकी लगाएंगे. मेला प्रशासन ने अस्सी लाख श्रद्धालुओं के स्नान की व्यवस्थाएं पूरी कर लिए जाने का दावा किया है. श्रद्धालु त्रिवेणी की धारा में स्नान के साथ विद्या और ज्ञान की देवी सरस्वती की पूजा अर्चना करेंगे. ज्यादातर श्रद्धालु पीले वस्त्र धारण कर पीली वस्तुओं का दान भी करेंगे. माघ मेले का चौथा प्रमुख स्नान पर्व होगा. इस बार बसंत पंचमी पर सर्वार्थ सिद्धि योग बन रहा है.
बसंत पंचमी का त्योहार कल
बसंत पंचमी पर स्नान के लिए माघ मेला क्षेत्र में एक दर्जन से ज्यादा घाट बनाए गए हैं. गंगा के दोनों तरफ तीन किलोमीटर में स्नान की व्यवस्था की गई है. सभी घाटों पर पुआल और कांसा बिछाया गया है. महिलाओं के लिए दर्जनों चेंजिंग रूम बनाए गए हैं. चेंजिंग रूप में महिलाओं को कपड़ा बदलने की सुविधा रहेगी. घाट समेत पूरे मेला क्षेत्र में साफ सफाई के खास इंतजाम किए गए हैं. बाहर से आने वाले श्रद्धालुओं के लिए रैन बसेरे बनाए गए हैं. रैन बसेरों में श्रद्धालु ठहर सकते हैं. श्रद्धालुओं की सुरक्षा के भी पुख्ता इंतजाम किए गए हैं. पुलिस और पैरा मिलिट्री फोर्स के साथ एटीएस के कमांडोज भी मुस्तैद हैं. मेले में बसंत पर आने वाली भीड़ के लिए रेलवे तकरीबन एक दर्जन स्पेशल ट्रेनें चलाएगा.
संगम घाट पर उमड़ेगा सैलाब
यूपी रोडवेज डेढ़ हजार से ज्यादा बसें चलाने की तैयारी में है. योगी सरकार माघ मेले को महाकुंभ का रिहर्सल मानकर आयोजित करा रही है. लिहाजा श्रद्धालुओं की सुविधाओ के मद्देनजर तमाम व्यवस्थाएं भी की गई हैं. लाखों की संख्या में श्रद्धालु आज एक दिन पहले माघ मेला क्षेत्र में पहुंच चुके हैं. बसंत पंचमी का स्नान ब्रह्म मुहूर्त शुरू हो जाएगा. ग्रहों और नक्षत्रों के खास संयोग की वजह से इस बार बसंत पर्व का महत्व फलदायी हो गया है. संगम में सरस्वती के विराजमान होने से माघ मेले में बसंत पंचमी का खास महत्व है.
इस मौके पर कई शंकराचार्य और देश के कोने कोने से हजारों प्रमुख संत महात्मा भी स्नान और पूजा अर्चना करेंगे. तमाम संतों के कैंप में यज्ञो पवीत संस्कार आयोजित किए जाएंगे और शिष्यों को दीक्षा दी जाएगी. लोक साहित्य में बसंत पंचमी को ऋतुओं के बदलाव और उल्लास का प्रतीक भी माना गया है. फसलों के पकने और खुशियों की सूचना देने वाले लोक पर्व को उल्लासपूर्वक भी मनाया जाता है. इसी वजह से मेले के तमाम पंडालों में सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए जाएंगे.