UP News: इस गुफा में सैंकड़ों साल से छिपा है खजाने का रहस्य, कहानी जान कर आप भी चौंक जाएंगे!
Basti News: माना जाता है कि सैंकड़ो बीघे में फैले इस टीले पर थारूओ का कब्जा था. कहा जाता है जहां 1250 ईस्वी में थारू समाज के लोग यहां कुछ समय बिताते थे. कभी कभी वे लोग यहां पूजा पाठ भी करने आते थे.
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Basti Cave Treasure: आज हम आपको एक ऐसे रहस्यमई जगह के बारे में बताएंगे जहां सैंकड़ो वर्ष से जमीन के नीचे दबे एक टीले के अंदर खजाने का खान है. काफी साल पहले जनपद बस्ती को कभी वशिष्ट नगर के नाम से जाना जाता था और बस्ती के एक गांव जैतापुर को बुद्ध भगवान का ननिहाल माना जाता रहा है. जैतापुर और महुआ डाबर गांव से सटा एक टीला कई रहस्य को खुद में समेटे हुए है. सैंकड़ो साल पुराने इस टीले मे कई तरह का रहस्य छिपा हुआ है जो अपने आप में आज भी अबूझ पहेली है.
बस्ती में गुमनाम एक ऐसे गुफा की हमने पड़ताल की जिसके बारे में बहुत कम लोग जानते हैं. कहा जाता है इस गुफा के अंदर खजाना छिपा हुआ है, कई बार लोगों ने इस गुफा में जाने का प्रयास किया मगर आज तक कोई इस गुफा में जा नहीं पाया है. ऐतिहासिक भुइलाडीह टीला प्राचीन काल से जुड़ा हुआ है. इस टीले के चारों तरफ 400 एकड़ मे फैला एक तालाब है. 50 एकड़ में फैले इस टीले के चारो तरफ जलाशय लगभग 400 बीघा में फैला हुआ है जो भुइला ताल के नाम से प्रसिद्ध है. इतना ही नहीं 100 एकड़ में चारों तरफ छोटे-छोटे तालाबों की श्रृखंला भी है.
तीन साल पूर्व ग्रामीणों ने तालाब की खुदाई की थी तो इस दौरान कई रहस्यमई चीजे दिखाई दी थी. तालाब से 15 फीट नीचे जब ग्रामीणों ने खुदाई की तो तालाब के अंदर से मिट्टी निकालते वक्त 15 से 20 फीट जमीन के अंदर नीचे एक पक्की सड़क दिखाई दी. हैरान कर देने वाला दृश्य तब लगा जब जमीन के अंदर लंबे शाखू के बोटे और कई मीटर के सड़क और ईंट की दीवार भी मिली थी. वहीं भुइला ताल के बगल स्थित एक शिव मंदिर भी है जिसके बगल एक रहस्यमई सुरंग मौजूद है. इस सुरंग की लंबाई लगभग 5 किलो मीटर है लेकिन इस सुरंग को लगभग 40 फिट नीचे जाने के बाद ईंट से बंद कर दिया गया और बाहर एक छोटा लोहे का गेट लगा बंद कर दिया गया है.
बस्ती जनपद से 45 किलो मीटर की दूरी पर स्थित बभनान कस्बे से महज 3 किलो मीटर दूर महुआ डाबर गांव है. जहां ऐतिहासिक भुइलाडीह के नाम से कई एकड़ में फैला एक ताल है. इस टीले में प्राचीन कालीन इतिहास का रहस्य छिपा है. इस टीले की ऊंचाई लगभग 20 फिट है. टीले की ऊंचाई पर भगवान शिव का मंदिर है. इस टीले का रहस्य जब हमने खंगालना शुरू किया तो महुआडाबर ग्राम प्रधान के द्वारा कई चौकाने वाले रहस्य सामने आया. माना जाता है कि सैंकड़ो बीघे में फैले इस टीले पर थारूओ का कब्जा था. कहा जाता है जहां 1250 ईस्वी में थारू समाज के लोग यहां कुछ समय बिताते थे. वहीं कभी कभी वे लोग यहां पूजा पाठ भी करने आते थे. कई साल पहले जब टीले की खुदाई किया गया तो यहां से लम्बे-लम्बे तलवार और 10 फिट के कंकाल मिले थे. इतना ही नहीं छोटे-छोटे सोने की मूर्तियां और सिक्का भी मिला था. पूर्व में इस तालाब मे खिलने वाले कमल के फूल से पूरे श्रृंखला को देखकर मनमोहक हो जाते थे और पंछियों का यहां तांता भी लगा रहता था लेकिन अब तालाब का अस्तित्व मिटने की कागार पर है.
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