बस्ती में CMO की गोपनीयता भंग करने वाले कर्मचारी पर एक्शन, नौकरी से किया गया बर्खास्त
UP News: बस्ती में तत्कालीन मुख्य चिकित्सा अधिकारी की गोपनीयता भंग करने और डॉक्टर के लिए आवंटित आवास पर जबरन कब्जा जमाने वाले कर्मचारी को बर्खास्त किया गया है.

Basti News: बस्ती जनपद में तैनात एक कंप्यूटर ऑपरेटर को नौकरी से बर्खास्त कर दिया गया है. इस कर्मचारी का रसूख इतना है कि डॉक्टर के लिए आवंटित होने वाले सरकारी आवास में अनधिकृत रूप से रह रहा था. कर्मचारी पर आरोप है कि इसने बस्ती के मुख्य चिकित्सा अधिकारी (CMO) की गोपनीयता को भंग किया और स्थानीय नेताओं से साझा किया. तत्कालीन सीएमओ रामशंकर दूबे ने उक्त कर्मचारी को नौकरी से बर्खास्त करते हुए दूसरे कंप्यूटर ऑपरेटर की तैनाती का पत्र जारी कर दिया. इसके बाद संबंधित एजेंसी ने कार्रवाई की और कर्मचारी सर्वेश मिश्रा की सेवा समाप्त कर दी है.
सीएमएसडी स्टोर में तैनात कंप्यूटर ऑपरेटर सर्वेश मिश्र पर आरोप लगा कि वे लगातार विभाग की गोपनीयता को भंग कर रहे हैं और उसे स्थानीय नेता और मीडिया से साझा कर रहे हैं. इतना ही नहीं बैठकों में भी सीएमओ को स्थानीय नेता और उच्च अधिकारी सरेआम बेइज्जत भी कर रहे हैं. इस पर तत्कालीन सीएमओ रहे रामशंकर दुबे ने विगत 26 फरवरी को कंप्यूटर ऑपरेटर सर्विस मिश्रा को सेवा से बर्खास्त कर दिया है. इस कार्रवाई के बाद बस्ती के स्वास्थ्य विभाग में हड़कंप मचा हुआ है.
डॉक्टर को आवंटित बल पूर्वक कराया जाएगा खाली- CMO
इस पूरे प्रकरण नवागत सीएमओ राजीव निगम ने बताया कि कंप्यूटर ऑपरेटर के मामले में संबंधित से जानकारी ली गई है, इसके बाद कार्रवाई की गई. बर्खास्त कर्मचारी सर्वेश मिश्रा के आरोपों की जांच करने के संबंध में तो फिलहाल अभी इस प्रकरण की उनके स्तर से कोई जांच नहीं कराई जा रही है. अवैध तरीके से डॉक्टर का आवास आवंटित करवाकर कब्जा करने के मामले का भी संज्ञान लिया गया है. दो दिन के अंदर अगर आवास खाली नहीं कराया गया तो बलपूर्वक खाली कराया जाएगा.
इस पूरे मामले को लेकर बर्खास्त हो चुके कर्मचारी सर्वेश मिश्रा ने पत्र के माध्यम से सफाई दी है. सर्वेश ने आरोपों को निराधर और कूटरचित बताया है. उसने पत्र में बताया कि बदनाम करने के नियत से कुछ लोग इस तरह का कार्य कर रहे हैं. आगे अपनी सफाई में सर्वेश मिश्रा ने लिखा है कि जिस पत्र का हवाला देकर उसके ऊपर विभागीय गोपनीयता भंग करने का आरोप लगाया गया है उस पत्र में किए गए हस्ताक्षर की जांच आज तक लंबित है.
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