UP News: उत्तर प्रदेश (Uttar Pradesh) के बिजली विभाग के बड़े अधिकारियों के तेवर अब बेहद तल्ख नजर आ रहे है. एबीपी गंगा के खुलासे के बाद बस्ती (Basti) जिले के बिजली विभाग में हड़कंप मचा हुआ है. अधिशासी अभियंता सहित एसडीओ और जेई सस्पेंड हो चुके हैं. प्रॉपर्टी डीलरों को फायदा पहुंचाने के लिए अवैध तरीके से एक विद्युत लाइन बिछा दी गई. जिसका खामियाजा अब अधिकारियों को अपनी कुर्सी गंवा कर भुगतना पड़ा है.
क्या है मामला?
शहर से सटे हवेलिया खास गांव में काफी दिन पहले प्रॉपर्टी डीलरों के द्वारा प्लॉटिंग की जा रही थी. जिसमें बिजली अधिकारियों से सेटिंग करके इन लोगों ने प्लॉट पर अवैध तरीके से ट्रांसफार्मर बिजली के तार और पोल लगवा लिए. इस मामले की जानकारी बस्ती जनपद के आला अधिकारियों को नहीं हो पाई. उसके बाद मीडिया ने पूरे प्रकरण से पर्दा हटाया तो हड़कंप मच गया. फिलहाल चीफ इंजीनियर की रिपोर्ट के आधार पर पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के एमडी ने बस्ती शहर के अधिशासी अभियंता संतोष कुमार, एसडीओ मनोज यादव और जेई कृष्ण मोहन को प्राथमिक जांच के आधार पर सस्पेंड कर दिया है.
क्या बोले सस्पेंड अधिकारी?
इस पूरी कार्रवाई को लेकर अब सवाल भी खड़े हो रहे हैं. सस्पेंड हो चुके अफसरों का कहना है कि वह लोग तो निर्दोष हैं. अवैध लाइन लगाने के मामले से पर्दा तो निलंबित अफसरों ने ही उठाया था. इस बात का प्रमाण है कि निलंबित शहरी क्षेत्र के बिजली विभाग के अधिशासी अभियंता संतोष कुमार ने अपने एसडीओ और जेई से मिली रिपोर्ट के आधार पर 20 जनवरी को ही ग्रामीण क्षेत्र के अधिशासी अभियंता को पत्र लिखा था. जिसमें मांग की थी कि जांच करके कार्रवाई करें. मगर ग्रामीण क्षेत्र के अधिशासी अभियंता ने इस पत्र को ही दबा दिया और कार्रवाई करने की वजह पूरे मामले को ठंडे बस्ते में डाल दिया.
कब मिली जांच रिपोर्ट?
जब यह प्रकरण मीडिया में उछला तो विभाग के आला अधिकारी नींद से जागे और आनन-फानन में चीफ इंजीनियर बस्ती मंडल मनोज अग्रवाल ने जांच टीम बनाई. जांच टीम ने 20 अप्रैल 2022 को ही पूरे प्रकरण की रिपोर्ट तैयार करके चीफ इंजीनियर को सौंप दी. मगर यह जांच रिपोर्ट पूर्वांचल विद्युत वितरण निगम के एमडी के पास 1 माह बाद 21 मई को पहुंची. जिस पर एमडी ने शहरी क्षेत्र के तीनों अधिकारियों को सस्पेंड कर दिया.
निलंबित अधिकारियों ने कही ये बात
निलंबित अधिकारियों का कहना है कि सबसे पहले तो यह पूरा मामला ग्रामीण क्षेत्र का है. उन तीनों अधिकारियों ने जनवरी माह में ही पत्र लिखकर विभाग को आगाह कर दिया था. मगर एमडी पावर कार्पोरेशन को अंधेरे में रखकर गलत कार्रवाई करा दी गई. आखिर जिन अफसरों ने अवैध विद्युत लाइन के मामले से पर्दा हटाया यहां तक कि एफआईआर कराई उन्हें ही कैसे दोषी मान लिया गया. जब जिस रिपोर्ट पर ये कार्रवाई हुई है, वह रिपोर्ट एक माह बाद तक क्यों बस्ती के बिजली विभाग के दफ्तर में क्यों दबाई रही गई.
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