UP News: देश के मशहूर साहित्यकार आचार्य रामचंद्र शुक्ल जिन्होंने महत्वपूर्ण विषयों पर अपनी लेखनी से नई क्रांति लाई थी. आज उस महान साहित्यकार का अपमान किया जा रहा, हिंदी साहित्य के पुरोधा कहे जाने वाले आचार्य रामचंद्र शुक्ल की याद और सम्मान में जिला प्रशासन ने उनकी एक प्रतिमा लगवाई. मगर उस प्रतिमा का सम्मान करने के बजाए उसका अपमान होने लगा. साहित्यकार की मूर्ति के बगल शौचालय का निर्माण कर दिया गया और जिम्मेदारों को भनक तक नहीं लगी. धूल धूसरित और झाड़ियों के बीच अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहे हैं. हिंदी के साहित्यकार रहे आचार्य रामचंद्र शुक्ल के चहेते अब इस विषय को लेकर चिंतित है और उन्होंने डीएम से कार्यवाही की मांग किया है.
लाल बहादुर शास्त्री पीजी कॉलेज गोण्डा के हिंदी विभाग के अध्यक्ष प्रो. शैलेंद्र नाथ मिश्र ने आचार्य रामचंद्र शुक्ल की जन्मस्थली अगौना में स्थापित उनकी मूर्ति के बगल निर्मित शौचालय को हटाने की मांग जिलाधिकारी से की है. जिलाधिकारी बस्ती को भेजे पत्र में उन्होंने कहा है कि बस्ती के पूर्व मंडलायुक्त विनोद शंकर चौबे के सौजन्य से आचार्य शुक्ल की मूर्ति स्थापित की गई थी. जिसके बगल दूषित मानसिकता के चलते शौचालय व टैंक का निर्माण करा दिया गया है. जिसके परिणाम स्वरूप हिंदी प्रेमियों, छात्र-छात्राओं और आम जनमानस को पूजन, माल्यार्पण आदि करने में असुविधा और मानसिक पीड़ा होती है.
उन्होंने कहा कि बीते 4 अक्टूबर को आचार्य शुक्ल की जयंती के अवसर पर लाल बहादुर शास्त्री महाविद्यालय गोण्डा शोध केंद्र के तत्वाधान में और मेरे नेतृत्व में तीन दर्शन साहित्य प्रेमियों, कवि, लेखकों व प्राध्यापकों द्वारा निकाली गई साहित्यिक लोकमंगल यात्रा का दल अगौना पहुंचकर उनको भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित किया था. साहित्य के लोगमंगल विषय पर संगोष्ठी का आयोजन करके आचार्य रामचंद्र शुक्ल के योगदान पर विस्तृत चर्चा की गई थी. जिसमें अयोध्या के महापौर गिरीश पति त्रिपाठी के साथ ही प्रदेश और बाहर से आए विद्वानों ने आचार्य की प्रतिमा के बगल शौचालय और स्मारक भवन की दुर्दशा पर पीड़ा व्यक्त किया था. प्रो. शैलेंद्र नाथ मिश्र ने जिलाधिकारी से स्मारक भवन को दुर्दशा मुक्त कराने और निर्मित शौचालय को वहां से हटाकर परिसर में अन्यत्र निर्मित कराने का अनुरोध किया है.