Basti News: बस्ती में भी सारस के दिल को भाई इंसानों के साथ दोस्ती, पूरा गांव बना उसका दोस्त
Basti News: ग्रामीणों का कहना है कि ईट भट्टे पर काम करने वाले मजदूरों का दो अंडे मिले थे, जिसे बतख ने अपनी ऊष्मा दी. इनमें से एक की मौत हो जबकि दूसरे पक्षी की पहचान सारस के तौर पर हुई.
Basti News: अमेठी के रहने वाले आरिफ और उनके दोस्त सारस की कहानी तो आपने सुनी ही होगी, जिस पर खूब सियासत भी देखने को मिली थी. सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव तो आरिफ और उसके दोस्त से जाकर मिले भी थे, जिसके बाद उस सारस को चिड़ियाघर भेज दिया गया था, लेकिन अब ऐसी ही दोस्ती की कहानी बस्ती जनपद से आई है, जहां सारस का कोई एक दोस्त नहीं है बल्कि पूरा गांव उसका साथी है. ये सारस इस गांव में इंसानों के बीच रहता है. गांव के सभी लोग उसे बेहद प्यार करते हैं.
आरिफ और सारस की दोस्ती के बाद अब बस्ती के गांव में रहने वाले इस सारस और गांववालों के साथ उसका रिश्ता सुर्खियों में आ गया है. सुबह होते ही सारस अपनी कुराहत की आवाज करते हुए गांव में आ जाता है. इंसानों के बीच घूमता फिरता है और शाम होते ही अपना पंख पसार उंची उड़ान भर लेता है. इंसानों के बीच सारस को देख हर कोई इसे अपने कैमरे में कैद करना चाहता है.
इस सारस को इंसानों से खास लगाव
कुदरहा ब्लाक का रोहारी गांव कैदहवा ताल के बगल स्थित है, ताल के दूसरे तरफ एक ईंट का भट्ठा है. सुबह होते ही भट्ठे से एक सारस भोजन की तालाश में रोहारी गांव के पास आ जाता है, लेकिन उसे इंसानों से इस कदर लगाव है कि वो खुद को रोक नहीं पाता है. जहां उसे लोग नजर आते हैं वह उनके पास पहुंच जाता है. उनके बीच अपना स्नेह दिखता और भोजन चुगता है. कोई इसे छेड़ता भी नहीं है, सारस की यह कहानी कई महीनों से चल रही है. सारस कभी चौराहों पर तो कभी खेतों में पहुंच जाता है.
सारस पक्षी का लगाव देख गांव के लोग भी अब उसे स्नेह करने लगे है. ग्रामीणों ने बताया कि पास स्थित भट्टे के मजदूरों को सालभर पहले दो अंडे मिले थे. वह उसे अपने आबादी के बीच रख दिए और इस अनोखे अंडे को अपने बत्तख से उष्मा दिलाया. कुछ दिन बाद अंडे के बीच से चूजे निकले और मजदूरों के बीच आंखे खोली. एक चूजे की कुछ दिन बाद मौत हो गई और दूसरे की कुछ दिन बाद सारस के रूप में पहचान हुई. बारिश का मौसम आते ही झारखंड से आने वाले मजदूर इस नन्हे सारस को छोड़कर अपने गांव चले गये. आज वह मजदूर भले ही सारस के पास नहीं हैं लेकिन वह इंसानो को ही अपना परिजन समझता है.
सारस को देखने गांव आते हैं लोग
जिला फॉरेस्ट अफसर ने बताया कि पक्षी हिंसक नहीं होते जब तक उन्हे असुरक्षा का एहसास नहीं होता. बचपन से इंसान के बीच रहने से सारस के स्वभाव में भी परिवर्तन आ गया है. पहले तो लोग इंसान के बीच सारस को देख दंग रह जाते है, पास जाने से भय खाते हैं, इंसानों के बीच इस सारस का लगाव की जानकारी होने पर लोग स्वयं के साथ सेल्फी लेने पहुंच जाते हैं.