UP: बस्ती में बारिश से जलमग्न हुए सरकारी स्कूल, बच्चों की पढ़ाई पर संकट, अधिकारियों को परवाह नहीं
UP News: बरसात के मौसम में स्कूल टापू बन जाता है. बच्चों को पानी के बीच से स्कूल जाना पड़ता है. स्थिति भयावह होने पर बच्चे भी स्कूल आना बंद कर देते हैं. मगर टीचरों को मजबूरी में जाना पड़ता है.
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UP News: बस्ती में मूसलाधार बारिश ने आम जनजीवन पर बुरा असर डाला है. स्कूलों में बारिश का पानी घुसने से बच्चों की पढ़ाई प्रभावित हो रही है. सदर ब्लॉक के थरौली गांव का प्राइमरी स्कूल चारों तरफ से जलमग्न हो गया है. बारिश का पानी इकट्ठा होने से टीचर और बच्चों का स्कूल जाना दुभर हो गया है. स्कूल तक पहुंचने के रास्ते पर पानी ही पानी है. सरकार सर्व शिक्षा अभियान पर करोड़ों रुपए खर्च करने का दावा करती है. अधिकारियों की लापरवाही का खामियाजा बच्चों और टीचरों को भुगतना पड़ता है.
बच्चों की पढ़ाई पर बारिश की मार
बनकटी ब्लॉक के प्राइमरी स्कूल थरौली का जीर्णोद्वार आज तक नहीं हो सका है. स्कूल तक पहुंचने के लिए कोई सड़क नहीं है. बरसात के मौसम में स्कूल टापू बन जाता है. बच्चों को पानी के बीच से स्कूल जाना पड़ता है. स्थिति भयावह होने पर बच्चे भी स्कूल आना बंद कर देते हैं. मगर टीचरों को मजबूरी में पानी के बीच से स्कूल आना जाना पड़ता है. थरौली गांव का प्राथमिक स्कूल दान में दी गई जमीन पर बनाया गया है. लेकिन आज तक स्कूल का कायाकल्प नहीं हो सका है. स्कूल में बारिश का पानी आसानी से जमा हो जाता है.
कहीं टापू तो कहीं तबेला बने स्कूल
बरसात में स्कूल जाने का कोई रास्ता नहीं होता है. स्टाफ को पानी में घुस कर जाने की मजबूरी होती है. बरसात में टापू बने स्कूल की अधिकारी सुध नहीं लेते हैं. बच्चों सहित स्कूल के टीचरों की समस्या का स्थाई हल निकलने का इंतजार है. कुदरहा ब्लाक के मसूरिहा सविलियन स्कूल परिसर में ठेकेदारों ने निर्माण एजेंसी का प्लांट सेंटर बना डाला है. सैकड़ों नाले के ढक्कन सूखाने को रखे गए हैं. स्कूल के अंदर बाकायदा एक ट्रैक्टर भी खड़ा कर दिया गया है.
बरसात से पहले बच्चे स्कूल के टूटे फूटे कमरों में पढ़ने को मजबूर होते हैं. टूटी फर्श और टपकते छत हादसे को न्योता देते नजर आ जाते हैं. सरकारी स्कूलों की बदहाली की जानकारी नवागत बीएसए अनूप कुमार को दी गई. उन्होंने आश्वासन दिया कि जांच कराकर उचित कार्रवाई की जाएगी. सवालिया खड़ा होता है कि आखिर करोड़ों रुपए खर्च करने के बावजूद प्राइमरी स्कूलों की दशा में क्यों नहीं सुधार हो पा रहा है.
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