UP School News: केंद्र और उत्तर प्रदेश सरकार (UP Government) सर्व साक्षरता अभियान पर करोड़ों का बजट खर्च कर रही है. यहां तक कि शिक्षा नीति भी लागू हो गई है. इन सबके बावजूद धरातल पर हकीकत बद से बदतर है और आज भी प्राइमरी स्कूल के बच्चे जमीनों पर बैठकर पढ़ने को मजबूर हैं तो कहीं एक ही छत के नीचे कई क्लास के बच्चे एक साथ पढ़ाई कर रहे हैं. ऐसे में साफ तौर पर समझा जा सकता है कि देश का नौनिहाल कितना जान पा रहा है.


बस्ती जिले में प्राइमरी स्कूल की अगर बात करें तो लगभग 2073 प्राथमिक और पूर्व माध्यमिक विद्यालय मिलाकर संचालित हो रहे हैं. अधिकतर स्कूलों की हालत दयनीय है, जिस वजह से सरकारी स्कूलों में शिक्षा का स्तर गिरता जा रहा है. आंकड़ों की बात करें तो इस सत्र में उत्तर प्रदेश में लगभग 30 से 40 फीसदी तक प्राइमरी और पूर्व माध्यमिक स्कूलों में बच्चों की संख्या में गिरावट आई है. इसका सबसे बड़ा कारण प्राइमरी स्कूलों में दुर्व्यवस्था होना है.


बस्ती में 189 स्कूल निष्प्रयोज्य घोषित


आपको जानकर हैरानी होगी कि बस्ती में 189 स्कूल ऐसे हैं जो पूरी तरीके से निष्प्रयोज्य घोषित कर दिया गया है यानी कि यह सारे भवन बेहद ही जर्जर और खतरनाक हालत में है, जिसके नीचे पढ़ाई करना संभव नहीं है इसलिए विभाग ने ऐसे खराब स्कूलों की सूची बनाकर शासन को भेज दिया है ताकि बजट मिलने के बाद नए भवन का निर्माण हो सके. मगर जमीनी हकीकत इस कदर है कि आप सोच भी नहीं सकते. इन खतरनाक भवनों में आज भी बच्चों को बैठाकर पढ़ाया जा रहा है.


इन जर्जर स्कूलों की छत कब इन बच्चों पर गिर पड़े या कोई हादसा हो जाए इससे विभाग के अधिकारियों को कोई फर्क नहीं पड़ता और वह जानबूझकर इन बच्चों की जान को खतरे में डाल रहे हैं. इसके अलावा सदर ब्लाक के गौरा प्राइमरी स्कूल की हकीकत तो और भी अजीबोगरीब है. कहने को तो सरकारी फाइलों में गौरा प्राइमरी स्कूल संचालित हो रहा है मगर सच्चाई तो यह है कि इस नाम का स्कूल का कोई भवन ही नहीं है मतलब हवा में यह स्कूल चलाया जा रहा है.


बच्चों के भविष्य के साथ हो रहा खिलवाड़


मौके पर जब गौरा प्राइमरी स्कूल खोजते हुए गौरा गांव में पहुंचे तो तो हमें पता चला कि इस नाम के स्कूल का कोई भवन नहीं है इसलिए आंगनबाड़ी केंद्र के अंदर मजबूरी में प्राइमरी स्कूल का संचालन किया जा रहा है. मतलब एक छत के नीचे कक्षा 1 से 5 तक के बच्चों को जमीन पर बैठा कर उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ हो रहा है. यहां मौजूद शिक्षिका ने बताया कि परिस्थिति के अनुसार उन्हें काम करना पड़ रहा, भवन न होने की वजह से पहले तो यह स्कूल पेड़ के नीचे चला करता था. प्रधान जी ने दया खाकर आंगनबाड़ी में पढ़ने की इजाजत दे दी.


वहीं जिले के बेसिक शिक्षा अधिकारी डॉक्टर अनूप कुमार से जब हमने पूछा कि आप प्राइमरी स्कूलों की शिक्षा स्तर को सुधारने के क्या प्रयास कर रहे तो उन्होंने कहा कि हमने 189 खतरनाक भवन वाले स्कूलों को चिन्हित किया है, जिसकी रिपोर्ट शासन में भी गई है. बजट मिलने के बाद नए भवन बनेंगे और मीडिया के जरिए उन्हें जिन दुर्व्यवस्था के शिकार स्कूलों की जानकारी मिल रही, उसकी व्यवस्था जल्द से जल्द दुरुस्त कराएंगे.


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