Basti News: उत्तर प्रदेश के बस्ती जिले के रहने वाले कर्नल केसी मिश्रा सेना से 2007 मे रिटायर्ड होने के बाद अब बस्ती के साथ-साथ देश के अन्य राज्यो के उन्नतिशील और प्रगतिशील किसानो से लेकर छोटे-बड़े हर तरह के किसानों के लिए एक रोल मॉडल बन कर उभरे हैं. 2007 में रिटायर होने के बाद कर्नल केसी मिश्र ने देश विदेश मे प्रचलित जैविक खेती की विभिन्न तरीको का अध्ययन कर उनका प्रयोग अपने फार्म पर करना शुरू किया. 


रिटायर्ड कर्नल केसी मिश्र ने अपने 4.5 एकड़ के फार्म हाउस में हाईटेक खेती करना शुरू किया जिसने उनको पूरे देश में पहचान दिलाई. भूमि सुधार के साथ पहले अपने परिवार की जरूरतो को पूरा करने के लिए जैविक खेती शुरू की. विभिन्न पद्धतियो से मिले किताबी ज्ञान के सहारे जो भी उस विधि मे अच्छा सस्ता और आसानी से सभी को करने/ कराने लायक लगा उसे अपनाने के लिए पैकेज आफ प्रेक्टिस तैयार करना सन 2008 से शुरू किया.


अध्ययन कर प्रयोग करना शुरू
जापानी जैविक तकनीक से पेड़ पौधो की पत्तियो से खाद बनाना, जमीन मे उपलब्ध तत्वो की जांच कृषि विभाग से करवाकर उन्हे पूरा करने के लिए जैविक तरीका अपनाया. सुभाष पालेकर विधि से भूमि मे मित्र जीवाणुओ को बढाने की विधि को सम्मिलित किया. अपने आप को और व्यवस्थित करने के लिए तारा चंद बेलजी विधि का अध्ययन कर प्रयोग करना शुरू किया. सरकारी योजना के तहत एनजीओ के कार्यक्रमो का हिस्सा भी बने और 2011-2012 मे सर्टिफाइड जैविक किसान भी बने.


इन्होने फूलो की खेती के साथ सब्जियो, तिलहन, दलहन, खाद्यान्न का समुचित उत्पादन करके अपने परिवार के खाद्य जरूरतो को पूरा करने के साथ साथ किसानो को मुफ्त बीज, तकनीक से मदद करना शुरू रहा अन्य राज्यो के किसान भी सलाह के लिए संपर्क करते रहे. इस तरह प्रचार प्रसार के साथ पर्यावरण को भी संरक्षित करने का अवसर विद्यालयो मे प्रशिक्षण के माध्यम से लगातार मिल रहा है.अब तक पडोसी तीन जिलो के सैकडो विद्यालयो मे प्रशिक्षण के साथ करीब  नौ हजार से अधिक पौधे मुफ्त मे लगवाए जा चुके है. 


फर्म में रोपित हैं कई प्रजातियों के पौधे
कर्नल केसी मिश्र के फार्म पर हजारो की संख्या मे विभिन्न प्रजातियो के पौधे रोपित है जिनमे मुख्यतया 18 प्रजातियो के अमरूद, 32 प्रजातियो के आम, 6 प्रकार के कैंसर रोधी फलदार पौधे ,कई प्रकार के गुलेटिन फ्री गेहू ,सुगंधित धान , सलाद मटर , चना , विभिन्न प्रकार की विशेष शब्जियां लीची ,बेर,अंजीर,चेरी, जामुन ,सेब ,अंगूर ,अनार,संतरा, मौसम्मी,केला,अवाकाडो,ड्रैगन फ्रूट ,काला/पीला बांस नीबू ,लौंग, इलायची , सुपारी, नारियल ,पपीता , 4 तरह के चीकू , तीन तरह के कटहल, आंवला केला और खिरनी के साथ सिंदूर, नाशपाती,दो तरह के सहजन ,रूद्राक्ष,लाल चंदन व अन्य वहुत तरह के पौधे अपने हाथो से लगाए है.


केसी मिश्र का कहना है कि सिर्फ जिले ही नहीं बल्कि देश के 16 राज्यों के हजारों किसान उनसे जुड़े हुए हैं जो उनके द्वारा किए जा रहे हैं जैविक खेती के गुण को सीखते हैं. उन्होंने अपने खेत में ब्राजील और साउथ अफ्रीका से भी दुर्लभ प्रजाति के प्लांट्स को मंगवाया है. इसके अलावा उनके फार्म हाउस पर 18 प्रकार के अमरूद के पेड़ लगे हैं जो 1 साल में तीन बार फल देते हैं. अंजीर, चेरी, मलेशियन बेर, सिंदूर के पेड़, नागपुर का शरीफा, मसाले, टैगोर चांदनी, काला चावल,कालानमक चावल,काला गेंहू , चिया सीड, ब्लैक अमरूद, विदेशी आम सहित 36 प्रकार के दुर्लभ और विशेष पेड़ लगाकर खेती करने का प्रयास कर रहे है. 


दुबखरा गांव में है फार्महाउस
केसी मिश्र का फार्महाउस बस्ती शहर से 4 किलोमीटर दूर स्थित दुबखरा गांव में है. वे एक एक पेड़ों की खुद ही निगरानी करते हैं, वे यह सारी खेती अब पंच महाभूत आधारित ,बृक्ष आयुर्वेद से प्रेरित, कृषि गौ वाणिज्यम समर्थित प्राकृतिक तरीके से करने की दिशा मे अग्रसर हैं, उनके खेतों में रसायन का प्रयोग नहीं होता है. वह स्वंय दर्जनो प्रकार के जैविक खाद,तरल खाद,तीन प्रकार के एन्जाइम व कम्पोस्ट खाद खुद ही तैयार कर खेतो मे उपयोग करते है. रिटायर्ड कर्नल केसी मिश्र देश के लाखों किसानों के लिए रोल मॉडल का काम कर रहे हैं.


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