4 साल के बच्चे संग फांसी लगाने SP दफ्तर पहुंचा शख्स, घंटों तक चला हाई वोल्टेज ड्रामा
Basti News: बस्ती में एसपी दफ्तर में उस समय हड़कंप मच गया जब एक शख्य अपने बच्चे के साथ गले में फांसी का फंदा लेकर पहुंच गया, इस दौरान हाईवोल्टेज ड्रामा देखने को मिला.
Basti News: उत्तर प्रदेश के बस्ती में पुलिस अधीक्षक दफ्तर में उस वक्त हंगामा मच गया जब एक शख्स अपने चार साल के बेटे के साथ गले में फांसी का फंदा लगाकर पहुंच गया. गले में फंदा देख सुरक्षाकर्मियों के होश उड़ गए, इस शख्स ने धमकी दी कि अगर उसकी बात नहीं सुनी गई तो वो फांसी लग लेगा. इसके बाद एसपी दफ्तर में घटों ड्रामा चलता रहा. युवक को रोकने के लिए बड़ी संख्या में और सुरक्षाकर्मियों को भी बुलाना पड़ा.
दरअसल पुरानी बस्ती थाना क्षेत्र के रहने वाला शुभम कन्नौजिया फोटोग्राफी का काम करता है. फोटोग्राफी के हुनर की वजह से उसकी पुलिसवालों के साथ भी अच्छी जान-पहचान थी. सबकुछ ठीक चल रहा था लेकिन इस बीच जमीन को लेकर उसके परिवार को दुखों का पहाड़ टूट पड़ा. शुभम के पिता ने वर्ष 1997 दयाराम नाम के शख्स से ज़मीन ली थी, जिसका बैनामा कराया था.
जानें- क्या है पूरा मामला?
विवाद तब शुरू हुआ जब दयाराम की मौत के कई साल बाद उसके बेटे रमेश ने इसका विरोध किया और शुभम के पिता के खिलाफ 2022 में धोखाधड़ी का आरोप लगाया मुक़दमा दर्ज करवा दिया, जिसके बाद पुलिस ने शुभम के पिता को जेल में डाल दिया, कई महीनों जेल में बंद रहने के बाद वो बाहर आ गए लेकिन, शुभम को हर पर ये कसक परेशान कर रही थी, जिसके बाद उसने इस मामले में ख़ुद जानकारी निकालनी शुरू कर दी.
शुभम ने जब जांच की तो दयाराम की मौत की तारीख को लेकर किया गया खेल सामने आया. पता चला कि दयाराम की मौत की तारीख का उसके ही बेटे रमेश ने दो बार अलग-अलग दावा किया है. पहले उसने पिता की मृत्यु 1975 में होना बताई और कभी 1984 में निधन होने का दावा किया. नगर पालिका ने एक ही व्यक्ति की मृत्यु के दो अलग-अलग सर्टिफिकेट जारी किए थे. लेकिन दोनों ही सर्टिफिकेट फर्जी निकले. जिससे साफ हो गया कि रमेश ने उसकी जमीन हड़पने के लिए अपने पिता का फेक सर्टिफिकेट जारी करवाया था.
पुलिस प्रशासन पर लगाए आरोप
रमेश ने पहले पिता के डेथ सर्टिफिकेट के लिए साल 2016 में आवेदन किया और फिर 2018 में दूसरी डेथ सर्टिफिकेट हासिल किया. जिनमें अलग-अलग तारीख़ों का जिक्र था. जबकि शुभम के पिता दशरथ ने 1997 में ज़मीन का बैनामा कराया था. इसके चार-पाच साल बाद दयाराम की मौत हो गई थी. लेकिन, शुभम की ज़मीन को हासिल करने के लिए रमेश ने ये पूरी प्लानिंग की. उसने जब इस पूरे मामले की शिकायत पुलिस से की तो दो साल तक पुलिस वाले इस मामले को लटकाते रहे. उसने आरोप लगाया कि तत्कालीन चौकी इंचार्ज राहुल गुप्ता ने तो उसे डेढ़ ला रुपये तक ले लिए और पूरे केस को झूठा साबित करते हुए लीपापोती कर दी.
इस मामले को लेकर डीएसपी सत्येंद्र भूषण तिवारी ने कहा कि शुभम से पूछताछमें पता चला है कि जमीन को लेकर शुभम के द्वारा एक मुकदमा दर्ज करवाया गया था जिसमें विवेचना ठीक से न करने पर वह आहत था. जानकारी होते ही विवेचना को फिर से वापस कर दिया गया है और अगर उसमें तनिक भी सत्यता पाई जाती है तो उसे विवेचना में शामिल किया जाएगा और दरोगा द्वारा पैसे लेने की पुष्टि होती है तो कार्रवाई भी की जाएगी.
'सलमान भाई को कुछ भी हुआ तो तेरी खैर नहीं', 5 हजार शूटर का जिक्र कर लॉरेंस बिश्नोई को दी धमकी