Basti News: बस्ती जनपद के गैलेक्सी हॉस्पिटल में मोतियाबिंद के ऑपरेशन के नाम पर डॉक्टर पवन मिश्रा के द्वारा दर्जनों मरीजों की आंखों का इलाज किया गया. जिसमें सभी की आंखें खराब हो गई तो कुछ को ऑपरेशन के बाद भी कम दिखाई देने लगा. इस मामले को लेकर जब मीडिया ने आवाज उठाई तो योगी सरकार ने इसका संज्ञान लिया और प्रमुख सचिव स्वास्थ्य ने तत्काल इस प्रकरण में जांच कर कार्रवाई करने का निर्देश दिया.
शासन की इतनी सख्ती के बावजूद बस्ती का स्वास्थ्य महात्मा इस पूरे प्रकरण में जांच के नाम पर लीपा पोती करते हुए डॉक्टर पवन मिश्रा को क्लीन चिट दे दी है. जांच अधिकारी डिप्टी सीएमओ डॉक्टर एसबी सिंह ने हॉस्पिटल प्रबंधन से मिलकर गरीबों की आंखों का सौदा कर लिया और इस आरोपी को अभयदान दे दिया.
इतना ही नहीं जांच के दौरान गैलेक्सी हॉस्पिटल के डॉक्टर पवन मिश्रा शिकायत करने वाले 10 से अधिक मरीजों को फिर से बुलाया और उनकी आंखों में न जाने कौन सा ड्राप डाल दिया जिससे दो मरीजो की आंखें पूरी तरीके से खराब हो गई और उन्हें थोड़ा बहुत जो दिख भी रहा था वह भी दिखना बंद हो गया. अब बेचारे भोले भाले गरीब मरीज उस वक्त को कोस रहे हैं जब वह इस अस्पताल के झांसे में आ गए थे और ऑपरेशन के नाम पर अपनी आंखें गवा दी.
आयुष्मान कार्ड मरीजों को ढूंढ-ढूंढकर किया गया इलाज
गौरतलब है कि बस्ती जनपद के कोतवाली थाना क्षेत्र के आवास विकास मोहल्ले में गैलेक्सी आंख अस्पताल के नाम से एक प्राइवेट नर्सिंग होम है, जिसका संचालन डॉक्टर पवन मिश्रा करते हैं. इस डॉक्टर की करतूत ने पूरे स्वास्थ्य महकमे को हिला कर रख दिया है, गरीब मरीज ने सोचा था कि मोतियाबिंद का ऑपरेशन करवाने के बाद उनकी आंखें ठीक हो जाएगी और वह देखने के काबिल हो जाएंगे मगर आयुष्मान कार्ड के मरीजों को ढूंढ ढूंढ कर इस अस्पताल में लाया गया और फिर बिना किसी जांच के ही डॉक्टर पवन मिश्रा ने उनके मोतियाबिंद का ऑपरेशन कर दिया और कुछ ही दिन बाद इन सभी मरीजों की आंखों की पट्टी जब खुली तो या उन्हें कम दिखने लगा या फिर पूरी तरीके से दिखना ही बंद हो गया.
एक मरीज राम पराग की हालत इतनी खराब हो गई की मोतियाबिंद के ऑपरेशन के बाद उसे अपनी आंख तक को निकलवा देना पड़ा, इसके अलावा दर्जनों ऐसे मरीज है जिनकी आंखें पूरी तरीके से खराब हो चुकी हैं और ऑपरेशन के बाद उन्हें कुछ नहीं दिखता.
वहीं पूरे मामले को लेकर मुख्य चिकित्सा अधिकारी डॉक्टर रामशंकर दूबे ने बताया कि इस पूरे प्रकरण की जांच डिप्टी सीएमओ डॉक्टर एसबी सिंह कर रहे हैं, उनकी रिपोर्ट में डॉक्टर पवन मिश्रा की गलती नहीं पाई गई है. बावजूद इसके कुछ बिंदुओं पर अभी जांच जारी है और रिपोर्ट मिलने के बाद अगर वे दोषी पाए जाते हैं तो कार्रवाई की जाएगी. उन्होंने कहा कि जांच के दौरान मरीजों की आंखों में दोबारा आई ड्रॉप डालने पर अगर उनकी आंखें खराब हो गई है तो इसका भी संज्ञान लिया जाएगा और दोबारा जांच करके यह जानने का प्रयास किया जाएगा कि आई ड्रॉप डालने से कैसे मरीजों की आंखें खराब हुई.
इलाज करने वाले डॉक्टर ने अपनी गलती मानने से साफ किया इंकार
वही इस पूरे मामले को लेकर गैलेक्सी अस्पताल के डॉक्टर पवन मिश्रा का कहना था कि जिन मरीजों के मोतियाबिंद के ऑपरेशन किए गए वह प्रॉपर वे में किए गए हैं. उनके द्वारा कहीं से कोई गलती नहीं की गई है और अगर किसी मरीज की आंख में ऑपरेशन के बाद दिक्कत हुई है तो कहीं ना कहीं यह मरीज की गलती रही होगी जिससे ऑपरेशन के बाद उन्होंने बचाव नहीं किया और इंफेक्शन के शिकार हो गए. फिर भी वह उन सभी मरीजों का इलाज और देखभाल अपने स्तर से करेंगे जिन मरीजों की आंखों में मोतियाबिंद के ऑपरेशन के बाद दिक्कत आई है. फिलहाल डॉक्टर ने अपनी गलती मानने से साफ इनकार कर दिया.
यह भी पढ़ें- यूपी के इस जिले ने तोड़ा जापान की राजधानी का टोक्यो का रिकॉर्ड, बना सबसे बड़ी आबादी वाला शहर