Basti News Today: उत्तर प्रदेश के बस्ती में कथित तौर पर पुलिस का हैरान करने वाला कारनामा सामने आया है. जहां एक 14 साल के नाबालिग दलित बच्चे को दरोगा ने कथित तौर पर महज इसलिए चोर बना दिया, क्योंकि उसकी शक्ल और हुलिया असली चोर से मिलता जुलती है. चोरी की वारदात के बाद जब पुलिस को चोर नहीं मिला तो उन्होंने एक बेगुनाह को पकड़ा लिया. 


पुलिस ने नाबालिग से फिल्मी स्टाइल में समान बरामद किया और फिर पीट-पीट  कर अपना जुर्म कुबूल करने पर मजबूर करते हुए जेल में डेल दिया. अब नाबालिग बच्चे के परिजन न्याय के लिए शासन और प्रशासन से गुहार लगा रहे है.


यह पूरा मामला बस्ती जनपद के गौर थाने का है. गौर थाने के थानेदार पर आरोप है कि उन्होंने एक नाबालिग दलित बच्चे को कथित तौर पर उस जुर्म की सजा दी जो उसने किया ही नहीं था. पुलिसिया उत्पीड़न का बच्चे के दिमाग पर काफी बुरा असर पड़ा है. नाबालिग बच्चे के परिजन उसकी बेगुनाही साबित करने के लिए ठोकरें खा रहा है.


पत्र लिख लगाई न्याय की गुहार
गौर थाना क्षेत्र के वार्ड नम्बर 14 स्थित चन्द्रशेखर आजाद नगर के रहने वाले कैलाशनाथ ने पुलिस महानिदेशक, मानवाधिकार आयोग, अनुसूचित जन जाति आयोग के साथ ही अन्य विभागों को रजिस्टर्ड पत्र देकर न्याय की गुहार लगाई है. पत्र में कैलाशनाथ ने कहा है कि उनके घर के सामने शिव कुमार के घर में विगत 31 अगस्त को चोरी हुई थी. 


इस शिकायत पत्र में आगे बताया गया कि चोरी की घटना की सूचना पर गौर थाना और बभनान चौकी की पुलिस मौके पर पहुंची. कैलाशनाथ के घर में लगे सीसीटीवी फुटेज से चोर की पहचान न होने पर पुलिस चली गई. यह फुटेज खुद पीड़ित नाबालिग बच्चे ने पुलिस की मदद के मकसद से दिखाया. 


पुलिस पर लगाए ये आरोप
बीते 3 सितंबर को गौर पुलिस और बभनान चौकी पुलिस उनके घर फिर से पहुंची, इसके बाद कैलाशनाथ और उनके नाती 14 वर्षीय अंश को गाड़ी में बैठाकर थाने ले गई. आरोप है कि इस दौरान दो दिनों तक गौर पुलिस ने नाबालिग अंश और 70 वर्षीय कैलाशनाथ को मारा पीटा. धमकियां दी ताकि बच्चा जुर्म को कबूल कर ले. आरोप है कि नाबालिग बच्चे को पुलिस ने थर्ड डिग्री टॉर्चर दिया.


जब पुलिस की मार से भी पीड़ित बच्चे ने कहा उसने चोरी नहीं की है, तो जबरन गौर थानाध्यक्ष राम कुमार राजभर, बभनान पुलिस चौकी इंचार्ज अनन्त कुमार मिश्र, सिपाही लवकुश यादव ने नाना और नाती को छोड़ने के लिये चार लाख रुपये की मांग की. रिश्वत न देने पर चोरी के फर्जी मुकदमें में फंसाने की धमकी दी. 


नाबालिग ने सुनाई आपबीती
पीड़ित बच्चे के नाना कैलाशनाथ के अनुसार, गौर पुलिस ने एक लाख रुपये की रिश्वत लेने के बाद उन्हें तो छोड़ दिया लेकिन उनके नाबालिग नाती अंश को चोरी के आरोप में चालान कर दिया. तीसरे दिन वह जमानत पर छूटा. पीड़ित बच्चे ने बताया कि उसने खुद पुलिस की मदद की, अपने घर पर लगे सीसीटीवी फुटेज निकाल कर पुलिस को दिया, जिससे असली चोर को पुलिस पकड़ सके.


अंश के मुताबिक, "पुलिस की मदद करने पर उल्टा पुलिस ने उसे ही चोर बना दिया. जबकि वह रात में अपने घर के अंदर गया और सुबह बाहर निकला, जिसकी सीसीटीवी रिकॉर्डिंग भी है. बावजूद इसके वसूली के चक्कर में उसे फंसा दिया गया. अंश ने बताया कि वह अब पुलिस को देखते ही डर जाता है, घर से बाहर नहीं निकलता क्योंकि पुलिस ने उसके साथ बेहद क्रूर का व्यवहार किया."


दोषियों पर कार्रवाई की मांग
पीड़ित कैलाशनाथ ने इस पूरे मामले की उच्च स्तरीय जांच कराने और एक लाख रुपये की उगाही करने वाले दोषी पुलिसकर्मियों के विरुद्ध कड़ी कार्रवाई करने की मांग की है. कैलाशनाथ को आशंका है कि शिकायत करने के नाते गौर पुलिस उन्हें और उनके परिवार को दोबारा किसी फर्जी मामले में फंसाकर परेशान कर सकती है. 


कैलाशनाथ के मुताबिक, अगर उसके या परिवार के साथ कोई अनहोनी होती है तो गौर थानाध्यक्ष राम कुमार राजभर, बभनान पुलिस चौकी इन्चार्ज अनन्त कुमार मिश्र, सिपाही लवकुश यादव जिम्मेदार होंगे. कैलाशनाथ ने आरोप लगाया कि एसओ गौर और उनकी पुलिस ने बहुत शोषण किया, सच का साथ देने के लिए झूठ को सच बना दिया और एक बच्चे के जीवन को बर्बाद कर दिया.


सीओ की अगुवाई में जांच टीम गठित
इस मामले में एएसपी ओपी सिंह ने बताया कि कैलाशनाथ की तरफ से एक शिकायतीपत्र मिला है, जिसमें पुलिस पर पैसे लेकर उनके नाती को जेल भेजने का आरोप है. इस मामले में जो भी साक्ष्य पुलिस ने इकट्ठा किया है उसकी दोबारा से जांच कराई जाएगी और गुण दोष के आधार पर कड़ी कार्रवाई होगी. 


एएसपी ओपी सिंह ने कहा कि जांच के बाद अगर आरोप सही पाये जाते हैं तो उन्हें बख्शा नहीं जाएगा. कैलाशनाथ की शिकायत पर सीओ हरैया के अगुवाई में जांच टीम का गठन किया गया है और इस टीम ने जांच शुरू भी कर दी है. 


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