Basti News: बस्ती जिले में पेशाब में इंफेक्शन का इलाज कराने के लिए परिजनों ने मृतक राजकुमार को भर्ती कराया था. परिजनों के बार-बार मरीज को देखे जाने की बात कही जा रही थी. लेकिन अस्पताल प्रशासन ने परिजनों की एक न सुनी, परिजनों का आरोप है कि अस्पताल प्रशासन मृत व्यक्ति का इलाज कर रहा था. व्यक्ति के मर जाने के बाद अस्पताल प्रशासन गोरखपुर मेडिकल कॉलेज ले जाने की बात करने लगे, व्यक्ति के मर जाने की सूचना मिलते ही परिजन ने गोरखपुर मेडिकल लें जाने से मना कर दिया.



 निजी अस्पताल में एक ऐसा कारनामा सामने आया है, जहां अस्पताल प्रशासन मृत हो चुके व्यक्ति का इलाज कर रहा था. यूरिन में इंफेक्शन के इलाज के लिए परिजन राजकुमार को भर्ती कराए थे. राजकुमार की मौत के बाद परिजनों ने अस्पताल प्रशासन पर गंभीर आरोप लगाते हुए मुकदमा दर्ज करने की मांग करने लगे जिसके बाद सूचना पर पहुंची पुलिस ने मामले की जांच करना शुरू कर दिया. दरअसल पूरा मामला कोतवाली थाना क्षेत्र के कैली रोड स्थित जामडिह पांडे का है. जहां मृतक राजकुमार नगर थाना क्षेत्र के सिसवारी रघुवीर सिंह गांव का निवासी बताया जा रहा है.

'परिजनों का कहना है मुकदमा दर्ज हो'
6 फरवरी को परिजनों ने मृत राजकुमार को यूरीन में इंफेक्शन को लेकर भर्ती कराया था. परिजनों का आरोप है कि अस्पताल प्रशासन हमे उनसे मिलने नहीं दे रहे था, और जब उनकी मृत्यु हुई तब वह मेडिकल कॉलेज गोरखपुर रेफर करने को कह रहे थे. हम लोगों को पहले ही पता चल गया था कि वह अब नहीं रहे लेकिन फिर भी अस्पताल के स्टाफ उनका इलाज करते रहे. जब हम लोगों ने जोर जबरदस्ती किया तब वह गोरखपुर ले जाने की बात कर रहे हैं.परिजन अस्पताल प्रशासन पर आरोप लगाते हुए मुकदमा दर्ज करने को लेकर अड़े रहें.
 
पुलिस कर रही जांच
हंगामा होने पर अस्पताल पहुंचे नायब तहसीलदार वीर बहादुर सिंह ने बताया कि एक व्यक्ति इलाज के लिए यहां भर्ती हुए थे. दूसरे दिन सुबह उनकी मृत्यु हो गई उनके परिवारजनों को लगता है कि इलाज में लापरवाही की गई है. जिसके कारण यह सब यहां पर विवाद कर रहे थे. अब इसके लिए पोस्टमार्टम किया जाएगा. अब यहां हॉस्पिटल के डॉक्टर के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने की कार्रवाई की जा रही है.तहरीर मिलने पर कार्यवाही की जाएगी. मौके पर पहुंची कोतवाली पुलिस मामले की जांच कर रही है,बॉडी को कब्जे में लेकर पुलिस पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया.

अस्पताल के संचालक ने क्या कहा
वहीं अस्पताल संचालक ने बताया कि परिजनों का जो आरोप है, वह पूरी तरह से गलत है. मरीज यहां पर 6 तारीख को भर्ती हुआ था, और 7 तारीख को ऑपरेशन किया गया था. ऑपरेशन के बाद मरीज पूरी तरह से होश में था. दैनिक क्रिया जो होती है वह कर रहा था. अस्पताल के कर्मचारियों ने पेशेंट को कुछ खाने पीने के लिए मना किया था. लेकिन उसके परिजन ने बिना बताए उसे कुछ खाने को दे दिया जिसके कारण मरीज ने पेट में दर्द की शिकायत की उसके बाद यहां के डॉक्टर उसको देखने के लिए गए तभी वह पेट दर्द के कारण पीठ के बल लेट गया, उसके बाद थोड़ी उल्टी हुई, उल्टी होने के कारण पेशेंट के साथ नाली में कुछ थोड़ा सा अपच पदार्थ फस गया.


जिसकी वजह से उसकी हालत गंभीर होने लगी उसके बाद यहां के डॉक्टरों ने उसकी हालत को मैनेज करने का प्रयास किया. उसके परिजन को बुलाकर हम लोगों ने एंबुलेंस भी बुला दिया. और  कहा कि इन्हें किसी हायर सेंटर में भर्ती कराए क्योंकि इनकी हालात सीरियस हो रही है. उसके बाद मरीज के परिजन यहां पर हंगामा करने लगे और कहने लगे कि अभी कुछ लोग आ जाए, उसके बाद हम ले जाएंगे. इस बीच उन्होंने 2 घंटे का पूरा समय व्यतीत कर दिया जिसके कारण मरीज की मृत्यु हो गई.


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