पिछले तीन वर्ष से एक कॉलेज सिर्फ कागज पर संचालित हो रहा है. हैरानी की बात ये है कि इस कॉलेज में शिक्षक और छात्र एक भी नहीं हैं. एक बाबू और अनुचर की तैनाती है तो वह महीने में एक-दो दिन हाजिरी लगाकर पूरे माह का वेतन उठा रहे हैं. 


फिर भी संबंधित विभाग और प्रशासनिक अधिकारी इसकी खोज खबर नहीं ले पा रहे. इस विद्यालय की तरफ से ही जिला विद्यालय निरीक्षक को लिखित में जवाब दिया गया है कि वित्तीय वर्ष 23–2024 में एक भी बच्चे पंजीकृत नहीं हुए है और ना ही कोई अध्यापक ही यहां तैनात है. इस पत्र के सामने आने के बाद इस फर्जी कॉलेज का खुलासा हुआ तो हड़कंप मच गया.


तीन वर्ष से शिक्षक की तैनाती नहीं हुई 


यह पूरा मामला कुदरहा विकासखंड के मेहनौना में स्थित राम पार्षद शास्त्री इंटर कॉलेज का है. तीन वर्ष से शिक्षक की तैनाती नहीं हुई है. एक साल से नामांकन भी शून्य है. जूनियर तक यह विद्यालय एडेड है. कक्षा नौ से इंटर तक मान्यता प्राप्त है. 1967 के आसपास इस विद्यालय की स्थापना हुई थी. जूनियर हाईस्कूल तक की मान्यता वर्ष 1983 में मिली थी. उसके बाद 1986 में हाईस्कूल की मान्यता मिली. इंटर तक की मान्यता 2006 में प्राप्त हुआ. शुरुआती दौर में इस विद्यालय में बच्चों की संख्या ठीक ठाक रही.


मान्यता मिलने के साथ धीरे धीरे बच्चों की संख्या बढ़ती गई. वर्ष 2005 तक लगभग 800 बच्चे पंजीकृत रहे. एक प्रधानाध्यापक, 13 शिक्षक, एक बाबू व तीन अनुचर सहित कुल 18 का स्टाफ था. शिक्षकों की सेवानिवृत्त के साथ ही बच्चों की संख्या भी घटती चली गई. वर्ष 2021 से इस विद्यालय में एक भी शिक्षक तैनात नहीं हुए. दो वर्ष तक उधारी के शिक्षक के भरोसे विद्यालय संचालित होता रहा. नामांकन का दबाव व पोर्टल पर छात्र विवरण अपलोड की व्यवस्था शुरू हुई तो वह भी किनारा कर लिए. उसके बाद जो गिनती के छात्र थे वह भी गायब हो गए. बाबू शेषनाथ पांडेय व अनुचर राम जनक कभी कभार हाजिरी लगाने आते हैं. विद्यालय में शिक्षकों की तैनाती न होने से बच्चों से गुलजार रहने वाला विद्यालय धीरे धीरे वीरान हो गया.


कक्षा छह से आठ के बच्चों के लिए मिलने वाला मिड-डे-मिल का राशन तीन साल कोटेदार के यहां डंप है. जब उपभोग के अनुसार विद्यालयों का खाद्यान्न भेजा जाता है, तो इतनी बड़ी मात्रा में खाद्यान्न डंप कैसे हो गया. जब कोटेदार इसकी सूचना अधिकारियों को दी तो वह खाद्यान्न भेजना बंद कर दिए लेकिन उसके उपभोग की कोई व्यवस्था नहीं बना पाए. जिससे राशन सड़ने लगा. मेहनौना के कोटेदार चंद्रभान पाल ने बताया कि जब राशन उनके यहां डंप होने लगा तो वह एक वर्ष इसकी जानकारी जिला समन्वयक एडीएम को दी.


इस विद्यालय के संचालन के समय यहां के छात्र छात्राओं को काफी सहू‌लियत मिली थी. शिक्षक विहीन विद्यालय होते ही यहां पठन पाठन का कायं बंद हो गया. जिससे सबसे अधिक समस्या क्षेत्र छात्र-छात्राओं को होने लगी है. पास में विद्यालय होने के बाद भी इन्हें दूर दराज के विद्यालयों में जाना पड़ता है. डीआइओएस जगदीश शुक्ला ने इस मामले को लेकर बताया कि यदि विद्यार्थियों की संख्या तीन वर्ष तक शून्य रहती है तो मान्यता प्रत्याहरण के लिए परिषद को पत्र भेजेंगे. दिशा-निर्देश के अनुसार आगे की कार्रवाई की जाएगी.


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