Basti News: यूपी के बस्ती में करोड़ों की लागत से बना एक पुल आज चर्चा का विषय बना हुआ है, वो इसलिए कि इस पुल का निर्माण करीब 15 साल पहले बसपा सरकार में सरयू नहर विभाग की तरफ से कुवानों नदी पर बनाकर छोड़ दिया गया. दो जिले को जोड़ने के लिए पुल जो महज शो पीस बनकर रह गया है. इस पुल पर आप न चढ़ सकते है और चढ़ गए तो उतर नही सकते. इंसान तो दूर जानवर की भी पुल की तरफ जाने से कतराते हैं.
आपको बता दें कि इस पुल को तो बनाया इसलिए गया था कि बस्ती और संतकबीरनगर जिले के नागरिकों को आने जाने में असुविधा न हो, लेकिन 15 साल बीत के बाद भी आज तक इस पुल का उद्घाटन नहीं हो सका और ना ही इस पुल से कोई इंसान गुज़रता है और ना ही इस पुल का प्रयोग आम लोग करते है क्यू कि इस ब्रिज पर चढ़ने के लिए अप्रोच मार्ग ही नही बनाया गया है. ऐसे में करोड़ो की लागत से बना यह पुल पूरी तरह से निस्प्रयोज्य हो चुका है और सरकारी सिस्टम को चिढ़ाते हुए शांत स्वभाव में खड़ा होकर किसी भागीरथ का इंतजार कर रहा है.
15 साल से उद्घाटन का इंतजार
जानकारी के मुताबिक बस्ती मंडल के बूधाकला गांव के पास संतकबीर नगर और बस्ती जिले को जोड़ने के लिए सीमा पर करीब 15 साल पहले बसपा सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे और वर्तमान में बस्ती लोकसभा सीट से सपा सांसद रामप्रसाद चौधरी के प्रयास से सरयू नहर विभाग के द्वारा करोड़ों की लागत से इस पुल को बनाया गया था, लेकिन 15 साल बीत जाने के बाद भी आज तक इस ब्रिज का उद्घाटन तक नहीं हो पाया और ना ही इस पुल से कोई गाड़ी ही गुजरती है, कारण है कि पुल का एप्रोच मार्ग नही बनाया गया और पुल के दोनों तरफ बड़ी- बड़ी झाड़ियां उग आईं है, और अब तो वहां पर नगर पंचायत के द्वारा लेकर फेंका जा रहा है, जिस वजह से इंसान यहां जाना पसंद ही नही करते.
वहीं इस विषय पर समाजवादी पार्टी सांसद राम प्रसाद चौधरी ने कहा कि हमारा काम पुल के निर्माण के लिए शासन से प्रयास करके लाना था, पुल क्यू नही बना और उद्घाटन क्यू आज तक नही हो सका इस बात की जानकारी उनके पास नही है, ये आप संबंधित विभाग से पूछिए, सांसद ने इस पुल से अपना पल्ला झाड़ते हुए कहा अब हम कुछ नही कर सकते. जिसने पुल बनवाया था वो उनके बहुत खास थे जिनका देहांत हो चुका है. पुल की उपयोगिता के सवाल पर कहा लोग अब अपनी सुविधा के अनुसार बगल में बने दूसरे पुल आते जाते है.
क्या बोले मंडल आयुक्त?
वही जब हमने बस्ती मंडल के आयुक्त अखिलेश सिंह से बात की तो उन्हों ने खलीलाबाद तहसील के एसडीएम शैलेश दुबे से बात कर पूरी जानकारी हासिल की, जिसके बाद पता चला कि वर्ष 2009 में तत्कालीन मंत्री राम प्रसाद चौधरी के द्वारा पूर्वांचल विकास निधि से प्रयास करके इस पुल को लाए, इसके बाद सिंचाई विभाग ने को पुल बनाने का जिम्मा मिला, मगर पुल का निर्माण अधूरा छोड़ कर पूरा भुगतान ले लिया गया. अब फिर से पीडब्ल्यूडी विभाग इस पुल को चालू हालत में करने के लिए एस्टीमेट बनाकर शासन को भेज रहा है और जल्द ही अब यह पुल चालू कर दिया जाएगा.