लखनऊ: उत्तर प्रदेश विधान परिषद की गिनती देश की सबसे पुरानी विधान परिषद में होती है. देश के 6 राज्यों में जहां-जहां विधान परिषद है उनमें सबसे ज्यादा सदस्य उत्तर प्रदेश की विधान परिषद में हैं. यहां कुल 100 सदस्य हैं. विधान परिषद की पहली बैठक 8 जनवरी के दिन 133 साल पहले इलाहाबाद में हुई थी. तब इसके प्रेसिडेंट थे अल्फ्रेड लॉयल. अब विधान परिषद का स्वरूप काफी बदल गया है, पूरे विधान परिषद का सौंदर्यीकरण किया गया है, जिसका जल्द उद्घाटन मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ करेंगे, जो खुद इस उच्च सदन के सदस्य हैं.


देश मे विधान परिषद के गठन की नींव 1861 में पड़ी थी. जब देश में अंग्रेजों का शासन था. इंडियन काउंसिल अधिनियम 1861 इसका आधार था. हालांकि इस अधिनियम में तत्कालीन मुंबई मद्रास कोलकाता और नॉर्थवेस्टर्न प्रोविजंस एंड अवध यानी आज का उत्तर प्रदेश और पंजाब शामिल थे. हालांकि नॉर्थ वेस्टर्न प्रोविजेंस एंड अवध का गठन इसके 25 साल बाद हो पाया और इसकी पहली बैठक 133 साल पहले 1887 में इलाहाबाद में 8 जनवरी को हुई थी.


हुए कई बदलाव


इसके पहले प्रेसिडेंट अलफ्रेंड लॉयल थे, लेकिन इतने वर्षों में उत्तर प्रदेश की विधान परिषद ने कई बदलाव देखे हैं और इन 133 सालों में पहली बार विधान परिषद के बाहरी हिस्से का भी सुंदरीकरण किया जा रहा है. अब विधान भवन परिसर में कोई भी आसानी से यह पता लगा सकेगा कि विधान परिषद का हिस्सा कौन-सा है. दरअसल लंबे समय तक विधान परिषद के एरिया को अलग से दर्शाया नहीं गया था और अब जाकर इस पूरे विधान परिषद के हिस्से को नए ढंग से तैयार किया गया है, जिससे इस उच्च सदन की भव्यता अब देखते ही बन रही है.


उत्तर प्रदेश विधान परिषद को भव्य रूप से तैयार किया जा रहा है. हर फ्लोर को अत्याधुनिक तरीके से बनाया जा रहा है. इतना ही नहीं, विशेष तौर की लाइटिंग भी यहां की जा रही है और दो फोटो गैलरी भी बनाई जा रही है. एक फोटो गैलरी में देश के प्रमुख स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों, महान हस्तियों की तस्वीरें लगाई जा रही है तो वहीं दूसरी फोटो गैलरी में विधान परिषद के अब तक के सभापति की भी तस्वीर लगाई जाएगी. इतना ही नहीं, सुरक्षा के लिहाज से विधान परिषद के हिस्से में 55 सीसीटीवी कैमरे भी लगाए गए हैं.


सीएम योगी ने दी थी सहमति


उत्तर प्रदेश विधान परिषद के सभापति रमेश यादव का कहना है कि लंबे समय से इस बात को लेकर चर्चा हो रही थी कि विधान परिषद की गरिमा के अनुरूप तैयार किया जाए और जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने इस पर सहमति दी उसके बाद यह काम कराया गया है.


वहीं यूपी विधान परिषद के प्रमुख सचिव राजेश सिंह का कहना है कि विधान परिषद उच्च सदन है और यह सब से गरिमामई सदन है लेकिन यह दुर्भाग्य रहा कि किसी ने भी इस पर ध्यान नहीं दिया. कुछ समय पहले खुद मुख्यमंत्री ने कहा था कि विधान परिषद एक नगर निगम के मंडप जैसा लगता है और उनके निर्देश के बाद इसके ब्यूटीफिकेशन का काम किया गया है. जिस पर तकरीबन 12 करोड़ों का खर्च आया है.


उनका कहना है कि यूपी विधान परिषद को बहुत ही हाईटेक ढंग से तैयार किया जा रहा हैं. एक ऐसा कॉन्फ्रेंस रूम बनाया जा रहा है जहां विधान परिषद के सदस्य किसी भी वक्त किसी भी जिले के डीएम एसएसपी से सीधा ऑनलाइन मुखातिब हो सकेंगे. इसके अलावा सभी विधान परिषद सदस्यों की टेबल पर अब एक टेबलेट लगाया जा रहा है जिससे सारी सदन की कार्रवाई वह उसमें देख सकेंगे और यह सेंसर आधारित होगा. यह सुविधा केवल गोवा और हरियाणा विधानसभा में है.


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