एबीपी गंगा। इस वक्त जैसे चीन के वुहान से फैले कोरोना वायरस (Coronavirus) ने दुनियाभर में तबाही मचा रखी है, ठीक उसी तरह 19वीं सदी में भी चीन ने आधी दुनिया में तबाही मचाई थी। दुनियाभर में ये तबाही चीन के चूहों ने प्लेग की शक्ल में (China Mice plague Pandemic) मचाई थी। 1860 के दशक में प्लेग के कारण अकेले चीन में करीब 25 लाख लोगों की जान चली गई थी। इस खतरनाक प्लेग ने चीन के बाद भारत का रुख किया था और यहां भी भयंकर तबाही मचाई थी। आंकड़ों के अनुसार, चीन में फैले इस प्लेन से भारत में करीब एक करोड़ से ज्यादा लोगों की जान ले ली थी।


अब उसी चीन से दुनियाभर में फैले कोरोना वायरस ने ठीक वैसी ही तबाही मचाई हुई है। अब कोरोना के लगातार बढ़ते मामले और मौतों के बढ़ते ग्राफ ने लोगों के मन में डर पैदा कर दिया है। डर इस बात का कि कहीं 690 साल पहले चीन के चूहों से फैले प्लेग ने पूरे यूरोप में तांडव मचाया था, जिसने इंसानों की लाशों का ढेर लगा दिया था। क्या इस बार कोरोना के कारण हो रहीं मौत का आंकड़ा, इंसानी तारीख में सबसे ज्यादा हो जाएगा।


ब्लैक डेथ ने ली थीं सबसे ज्यादा जानें


मानव इतिहास में किसी भी दूसरे वायरस या बग ने इतनी ज्यादा तबाही नहीं मचाई होगी, जितनी इंसानों की जानें ब्लैक डेथ ने ली थी। ब्लैक डेथ यानी काली मौत, 19वीं सदी में यूरोप में प्लेग से होने की मौतों को कहते हैं। चीन से पूरे यूरोप में फैसले प्लेग की इस महामारी ने चार सालों ( 1347 से 1351) के भीतर यूरोप की करीब दो-तीन करोड़ की आबादी को खत्म कर दिया था। जैसे कोरोना का संक्रमण तेजी से फैल रहा है, वैसे ही उस दौरान में प्लेन का संक्रमण तेजी से फैला था और ये इतना तेज था कि लोगों को इलाज कराने का मौका तक नहीं मिला था। सही वक्त में इलाज न मिलने की वजह से लाखों मरीजों की मौत होनी शुरू हो गई।



प्लेन से होने वाले इंफेक्शन ने लंग्स पर किया था अटैक


इस बीमारी से होने वाले इंफेक्शन ने सीधे लोगों के लंग्स पर अटैक किया। उन मरीजों के कफ के जरिए ये हवा में फैल रहा था। ये बीमारी बिल्कुल वैसे ही फैली थी, जैसा आज कोरोना का संक्रमण फैल रहा है। आज तो फिर भी लोगों को मालूम है कि वो कोरोना का डंक उन्हें मार सकता है, लेकिन उस वक्त लोग अनजाने में प्लेन का शिकार होते चले गए और अपनी जान गंवाते गए।


19वीं सदी में प्लेग ने भारत में मचाई थी तबाही


19वीं सदी में भारत में भी इस प्लेन ने भयानक रूप ले लिया। 1860 के दशक में सबसे पहले प्लेन ने चीन के अंदरूनी इलाकों में हमला बोलना शुरू किया, फिर ये हांगकांग में दाखिल हुआ। इस दौरान इस महामारी को मॉडर्न प्लेग का नाम दिया गया, जो चीन के सिल्क रूट के रास्ते धीरे-धीरे दुनिया के अन्य हिस्सों में फैल गया। शिप के माध्यम से ये संक्रमित चूहे प्लेग की बीमारी लेकर दुनिया में पहुंचे। जहां-जहां ये शिप गए, वहां-वहां बीमारी पहुंच गई। भारत में इस बीमारी की शुरुआत 1889 में हुई, जिसने चीन से भी ज्यादा कहर भारत में बरपाया। इस खौफनाक बीमारी ने चीन और भारत के करीब सवा करोड़ से ज्यादा लोगों की जान ले ली।


प्लेन से भारत में एक करोड़ से ज्यादा हुई थीं मौतें


यूके की डिफेंस इवेल्युएशन एंड रिसर्च एजेंसी की रिपोर्ट के अनुसार, प्लेन से अकेले भारत में एक करोड़ लोगों की मौत हुई थी। वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन ने बताया कि तब प्लेन के वायरस साल 1959 तक एक्टिव रहे थे। हालांकि, इसके बाद मौत के आंकड़ों में गिरावत देखी गई और साल अंत तक ये आंकड़ा गिरकर प्रति वर्ष 200 हो गया। बताया जाता है कि भारत में पोर्ट सिटी हांगकांग के जरिए फ्लेग की एंट्री ब्रिटिश इंडिया में हुई थी। भारत में इसका सबसे ज्यादा असर मुंबई, पुणे, कोलकाता और कराची के पोर्ट सिटी में देखने को मिला था ।



महामारी अधिनियम, 1897 क्या है?




  • प्लेन जैसी तमाम महामारियों से निपटने के लिए ब्रिटिश इंडिया में Epidemic Diseases Act, 1897 यानी महामारी अधिनियम, 1897 बनाया गया।

  • इसके तहत सार्वजनिक सूचना के माध्यम से महामारी के प्रसार की रोकथाम के उपाय किए गए थे।

  • सरकार को ये अधिकार दिया गया था कि वो महामारी से ग्रस्त व्यक्ति को किसी अस्पताल या अस्थायी आवास में रख सकता है।

  • इसके तहत सरकारी आदेशों का पालन न करने वाले अपराध के दायरे में आते हैं।

  • सरकारी आदेशों का पालन न करने पर जुर्माने व सजा का प्रावधान है।

  • इस अधिनियम के तहत सरकारी अधिकारियों को कानूनी सुरक्षा का प्रावधान दिया गया है।

  • किसी अनहोनी पर सरकारी अधिकारियों की कोई जिम्मेदारी नहीं होगी।


महामारी कहते किसे हैं?


महामारी उस बीमारी को कहते हैं, जो एक वक्त में दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में फैल जाए और लोगों को नुकसान पहुंचाए। हालिया उदाहरण कोरोना वायरस का है। जिसने पूरी दुनिया को अपनी जद में ले रखा है। सीधे समझा जाए किसी बीमारी का भयानक शक्ल ले लेना। कोई बीमारी अगर दुनिया के एक से ज्यादा देशों में फैल जाए , तो WHO इसे महामारी घोषित कर देता है।


कोरोना का कोई इलाज नहीं


कोरोना भी एक साथ कई देशों में फैल चुका है, इसलिए WHO ने इस बीमारी को महामारी घोषित कर दिया है। बता दें कि कोरोना का अभी तक कोई भी टीका नहीं बना है, न ही इसका कोई इलाज है। ऐसे में कोरोना के इलाज के तौर पर सबसे ज्यादा सामाजिक दूरी का ख्याल रखा जा रहा है। ताकि इस वायरस के साइकिल को तोड़ा जा सके।



अब सवाल है कि आखिर दुनियाभर में फैले कोरोना वायरस की महामारी को WHO ने पिडेमिक के बजाए पैनडेमिक क्यों कहा?




  • एपिडेमिक
    उस बीमारी को एपिडेमिक कहते हैं, जो एक ही देश, एक ही समुदाय या एक ही इलाके तक फैली हो।

  • पैनडेमिक
    जब कोई बीमारी किसी एक देश या सीमा तक सीमित न होकर,पूरी दुनिया में फैल जाती है, तो उसे पैनडेमिक कहा जाता है। जैसा आजा कोरोना वायरस का हाल है, जो अब ग्लोबल महामारी बन चुकी है। इसलिए इसे पैनडेमिक घोषित किया गया है।


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