एबीपी गंगा। कोरोना वायरस की वैश्विक महामारी (Coronavirus Pandemic) से आज पूरा विश्व जूझ रहा है। इस महामारी ने अमेरिका जैसे वर्ल्ड पावर कंट्री की भी कमर तोड़ दी है। संक्रमितों की संख्या लगातार बढ़ रही है और वैक्सीन अबतक तैयार नहीं हो सकी है। ऐसे में कोरोना से बचने का सिर्फ एक ही सहारा है और वो है सोशल डिस्टेंसिंग (Social Distancing), जिसकी वजह से भारत समेत कई देशों ने लॉकडाउन (Lockdown In India) कर रखा है। हालांकि, धरती में महामारियों का अपना इतिहास रहा है और कोरोना जैसी जानलेवा बीमारी से पहले भी 16 के करीब महामारी दुनिया में दहशत फैला चुकी हैं। इनका कहर भी कोविड-19 ((Covid-19) की तरह ही अलग-अलग तरह से लोगों पर बरपा था।



कोरोना से पहले इन महामारियों ने दुनियाभर में फैलाई दहशत


AIDS 



कोविड-19 से पहले AIDS वायरस ने पूरी दुनिया में मोहराम मचा कर रखा था। ये 1980 के दशक दुनियाभर में फैलना शुरू हुआ और देखते ही देखते इसने वैश्विक महामारी का रूप ले लिया। जानकारी के मुताबिक, 2013 में एड्स की बीमारी अपने चरम पर थी। इस बीमारी ने करीब 3 करोड़ 60 लाख लोगों की जान ले ली। बताया जाता है कि मौजूदा वक्त में भी लगभग साढ़े तीन करोड़ लोग एड्स से ग्रसित हैं। हालांकि, इससे अब मरने वालों की संख्या में कमी दर्ज की गई है।


हॉन्गकॉन्ग फ्लू


दूसरी श्रेणी का फ्लू माने जाने वाले हॉन्गकॉन्ग फ्लू ने भी वैश्विक महामारी का रूप धारण करके दुनियाभर में खूब दहशत फैलाई। इस फ्लू को एच3एन2 वायरस ने फैलाया था, जो कि 1968 में हॉन्गकॉन्ग में फैला था और देखते ही देखते इस फ्लू ने पूर्वी एशिया, ऑस्ट्रेलिया, यूरोप और अमेरिका में अपने पैर पसार लिए। इस बीमारी से 10 लाख के करीब लोग मारे गए थे।


एशियन फ्लू


हॉन्गकॉन्ग फ्लू फैलने के करीब 10 साल पहले एच2एन2 वायरस की वजह से एशियन फ्लू फैला था, जिसने 1956-58 तक तक एशिया में एशियन फ्लू के जरिए खूब तबाही मचाई। ये वायरस भी चीन से फैला था और फिर सिंगापुर, हॉन्गकॉन्ग होते हुए अमेरिका पहुंचा। इस वायरस की वजह से 20 लाख लोगों की मौत हो गई, जिसमें केवल अमेरिका में 70 हजार लोगों की जान गई थी।


स्पेनिश फ्लू


इंफ्लूएंजा फ्लू श्रेणी में सबसे घातक रूप से फैली इस महामारी ने 1918-20 में खूब दहशत फैलाई। जानकारी के मुताबिक, इस फ्लू ने तीसरी दुनिया के देशों के करीब 2-5 करोड़ लोगों की जान ले ली। ये बीमारी प्रथम विश्व युद्ध के आखिर के समय में फैली। इस महामारी की खास बात यह थी कि यह आम इन्फ्लूएंजा से अलग था, जो बूढ़ों और बच्चों में आम होता था। इस फ्लू ने युवा और स्वस्थ्य लोगों को भी अपना शिकार बनाया। हालांकि, विश्व युद्ध की वजह से इस बीमारी के सही आंकड़ें आज तक सामने नहीं आ सके हैं। वहीं, इस बीमारी ने 1890 में 10 लाख लोगों की जान ले ली थी, तब इसे रशियन फ्लू का नाम दिया गया था।


हैजा या कॉलरा (Cholera)



19वीं सदी की सबसे बड़ी महामारी के रूप में हैजा/कॉलरा ने दुनिया में दस्तक ही। 1910 के आसपास आखिरी बार ये बीमारी महामारी के रूप में पूरी दुनिया में फैली। तब इस बीमारी ने दुनियाभर में करीब 8 लाख लोगों की जान ले ली थी। जानकारी के मुताबिक, पहली बार ये बीमारी 1817 में फैली थी, लेकिन 1852 के करीब इस बीमारी की तीसरी लहर ने 10 लाख लोगों की जिंदगी छीन ली। आज भी इस बीमारी से कई लोगों की जान जानें की खबरें सामने आती रहती हैं।


प्लेग


चूहों से फैलने वाली बीमारी प्लेन ने भी कई बार दुनिया में अपना कहर बरपाया। कहते हैं पिछले दो हजार सालों में ये विश्व की सबसे पुरानी वैश्विक महामारी है। एंटोनाइन प्लेग ने साल 165 ईसवी में करीब 50 लाख लोगों की जान गई थी। एशिया, मिस्र, यूनान (ग्रीस) और इटली में भी इस बीमारी ने खूब तबाही मचाई। ब्रिटिश इंडिया काल में प्लेन ने भारत में कइयों की जान ली थी। 1346 में प्लेन का अलग खतरनाक रूप देखने को मिला, जिसने यूरोप, अफ्रीका और एशिया में करीब 20 करोड़ लोगों की जान ले ली। इस बीमारी का खौफ सबसे ज्यादा यूरोप में रहा था, इसे आज भी महामारियों के इतिहास में ब्लैक हेथ का नाम दिया गया है।


स्मॉल पॉक्स



यूरोपियन्स के अमेरिका पहुंचने के बाद 1492 में स्मॉल पॉक्स की बीमारी ने दस्तक दी। जिसकी वजह से अमेरिका की 30 फीसदी आबादी खत्म हो गई। इसने तब दो करोड़ लोगों की जान ले ली। कहते हैं अब भी ये बीमारी कई लोगों की जान ले चुकी है। ये तब हो रहा है, जब इसकी वैक्सीन बन चुकी है। भारत में इसकी वैक्सीन असरदार भी रही है और अब यहां स्मॉल पॉक्स से मरने वालों की संख्या न के बराबर है।


इनके अलावा 20वीं सदी में जीका वायरस (2015), इबोला (2014), एच1एन1 स्वाइन फ्लू (2009), मर्स (2014) सार्स (2002) जैसी बीमारियों ने भी दुनियाभर को अपने खौफ से हिलाकर रख दिया। तमाम कोशिशों के बावजूद इबोला वायरस अब भी लाइलाज है, वहीं मच्छरों के काटने की वजह से जीका वायरस फैलता है और उसका खौफ अब भी बना हुआ है। हालांकि, सार्स जैसी बीमारियां ने अपने आप दम तोड़ दिया है।


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