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सिर्फ गीता प्रेस और गोरखनाथ मंदिर ही नहीं है गोरखपुर की पहचान

नेपाल की सीमा से सटा और प्रदेश की राजधानी लखनऊ से 250 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है जिला गोरखपुर। जिसे बाबा गोरखनाथ की नगरी भी कहा जाता है, क्योंकि इस शहर का नाम ऋषि गोरखनाथ के नाम पर गोरखपुर पड़ा।

गोरखपुर, एबीपी गंगा। अगर यूपी की सैर करने निकले हैं, तो बाबा गोरखनाथ की नगरी जाना भला कोई कैसे भूल सकता है। नेपाल की सीमा से सटा और प्रदेश की राजधानी लखनऊ से 250 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है जिला गोरखपुर। जिसे बाबा गोरखनाथ की नगरी भी कहा जाता है, क्योंकि इस शहर का नाम ऋषि गोरखनाथ के नाम पर गोरखपुर पड़ा है। मथुरा, वृदांवन, प्रयागराज, वाराणसी की तरह ही गोरखपुर में भी कई प्रसिद्ध मंदिर हैं, जिनकी अपनी-अपनी मान्यताएं भी हैं। जब हम बात सैर-सपाटे की कर रहे हैं, तो गोरखपुर में हम सबसे पहले इसकी शुरुआत करेंगे बाबा गोरखनाथ मंदिर से....

बाबा गोरखनाथ मंदिर

सिर्फ गीता प्रेस और गोरखनाथ मंदिर ही नहीं है गोरखपुर की पहचान

गोरखपुर रेलवे स्टेशन से महज चार किलोमीटर की दूरी पर नेपाल रोड पर स्थित है 'बाबा गोरखनाथ मंदिर'। नाथ संप्रदाय के संस्थापक परम सिद्ध गुरु गोरखनाथ का अत्यंत सुंदर और भव्य मंदिर न सिर्फ आस्था के लिहाज से बल्कि पयर्टकों के लिए मुख्य आकर्षण का केंद्र है। जो कोई भी गोरखपुर जाता है, वो बाबा गोरखनाथ मंदिर में माथा टेके बिना वहां से रुखसत नहीं होता। बाबा गोरखनाथ के नाम पर ही गोरखपुर का नाम पड़ा है। आपको बता दें कि बाबा गोरखनाथ के नाम से ही नेपाल के गोरखाओं ने भी नाम पाया। नेपाल में एक जिला है जिसका नाम गोरखा है। उसका नाम गोरखा भी इन्हीं के नाम से पड़ा। माना जाता है कि गुरु गोरखनाथ सबसे पहले यहीं दिखे थे। गोरखा जिले में एक गुफा है, जहां गोरखनाथ के पग चिन्ह हैं और उनकी एक मूर्ति भी है।

कहते हैं बाबा गोरखनाथ के इस मंदिर में एक लौ जलती है, जो त्रेता युग से जलती आ रही है। मंदिर के प्रांगण में नि:शुल्क शिक्षा का भी प्रावधान है। यहां प्रत्येक वर्ष मकर संक्रांति के अवसर पर खिचड़ी मेला का आयोजन होता है, जहां लाखों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचे हैं। ये मेला करीब एक महीने तक चलता है। अगर आपने गोरखपुर में ये मेला नहीं घूमा तो भला क्या घूमा।

विष्णु मंदिर

विष्णु मंदिर गोरखपुर रेलवे स्टेशन से महज दो किलोमीटर की दूरी पर पड़ता है। इस मंदिर में 12वीं शताब्दी की पालकालीन काले कसौटी पत्थर से निर्मित भगवान विष्णु की विशाल प्रतिमा स्थापित है। खास बात ये है कि इस मूर्ति में भगवान विष्णु के होठों का आकार दिन में तीन बार बदलता है। ये सुनकर आपको आश्चर्य हो रहा है, लेकिन जब आप यहां जाएंगे, तो खुद बा खुद इसे महसूस कर सकते हैं। दशहरा के अवसर पर यहां पारंपरिक रामलीला का भी आयोजन होता है।

आरोग्य मंदिर

आरोग्य मंदिर का नाम सुनकर आप इसे किसी भगवान का मंदिर समझने की भूल न करें, क्योंकि ये आरोग्य मंदिर दरअसल एक प्राकृतिक चिकित्सालय है। रेलवे स्टेशन से पांच किलोमीटर की दूरी पर मेडिकल कॉलेज रोड पर स्थित है आरोग्य मंदिर, जहां प्राकृतिक तरीकों से उपचार किया जाता है। 1940 में डॉ॰ विट्ठलदास मोदी के द्वारा इसकी स्थापना की गई थी। आरोग्य मंदिर केवल गोरखपुर में ही नहीं बल्कि हिंदुस्तान में अपनी एक अलग पहचान रखता है। तो अगर आपको प्राकृतिक उपचार के बारे में कुछ भी जानना है या सीखना है तो एक बार यहां जाना तो बनता है।

गीता प्रेस

सिर्फ गीता प्रेस और गोरखनाथ मंदिर ही नहीं है गोरखपुर की पहचान

गोरखपुर का नाम लिया जाए, तो जुबां पर गीता प्रेस न आए ऐसा भला कैसे हो सकता है। महाभारत, रामायण, आरती की किताबों से लेकर पुराने हिंदू ग्रंथों के प्रकाशन के लिए गीता प्रेस जाना जाता है। गीता प्रेस की शुरुआत 1923 में एक छोटे से किराए के कमरे में तीन मशीनों और मुट्ठी भर लोगों के साथ हुई थी। इसके संस्थापक जयदयाल गोयन्दका थे, जिन्होंने सनातन धर्म के प्रचार-प्रसार के लिए गीता प्रेस की नींव रखी थी। टेक्नोलॉजी के साथ गीता प्रेस भी आगे बढ़ी और अब इनकी किताबें ई-बुक्स के रूप में इंटरनेट पर भी उपलब्ध हैं। गीता प्रेस रेलवे स्टेशन से 4 किलोमीटर दूरी पर रेती चौक के पास स्थित है, तो अगर आपको भी महसूस करना है कि जिन ग्रंथों को आप पढ़ते और पूजते आ रहे हैं उनका प्रकाशन कैसे होता है तो एक बार गीता प्रेस जरूर घूमकर आइए।

 वीर बहादुर सिंह नक्षत्रशाला

वीर बहादुर सिंह नक्षत्रशाला में संपूर्ण ब्रह्मांड की खूबसूरती देखने को मिलेगी। अगर आपको ब्रहमांड के बारे में जानने की उत्सुकता है तो आपके सारे सवालों के जवाब यहां आपको मिल सकते हैं। महज 25 रुपये खर्च करके आप यहां 45 मिनट की एक फिल्म का आनंद उठा सकते हैं। ये कोई बॉलीवुड फिल्म नहीं होगी बल्कि नासा द्वारा उपलब्ध कराई गई एक शॉर्ट फिल्म होगी जो आपको 45 मिनट में पूरे ब्रहमांड की सैर करा देगी। यहां लेक्टर हॉल हैं, प्रदर्शनी हॉल हैं...जहां जाकर आप ब्रह्मांड की हिस्ट्री से रूबरू हो सकते हैं और काफी कुछ नया सीखने को भी मिलेगा।

रामगढ़ ताल

रेलवे स्टेशन से 5 किलोमीटर पर स्थित है 1700 एकड़ में फैसा रामगढ़ ताल। रामगढ़ ताल पर्टयकों के लिए आकर्षण का केंद्र रहा रहा है। यहां पर वॉटर स्पोटर्स सेंटर, वोट राइडिंग, बौद्ध संग्रहालय, तारा मंडल, चंपादेवी पार्क और अम्बेडकर उद्यान आदि दर्शनीय स्थल हैं। यहां पर लोग अपना कीमती वक्त निकालकर, दो पल सुकून के जीने आते हैं। यकीन मानिए, आपके पूरे हफ्ते के काम की थकान को यूं चुटकियों में यहां का माहौल छू-मंतर कर देगा।

कुश्मि वन

रामगढ़ ताल की तरह ही कुश्मि जंगल भी पर्यटकों के घूमने के लिए खासा रोमांचक जगह है। ये जगह आपको प्रकृति के इतना करीब ले आती हैं, कि बार-बार आपको यहां आने का मन करेगा।  कुश्म वन साल और सेकोई के पेड़ो के लिए जाना जाता है। यहां बंदर, हिरण, लोमड़ी...बहुत सारे जानवर भी आपको दिख जाएंगे। इस मंदिर में बुद्धिया माई देवी का एक मंदिर भी हैं। ऐसी मान्यता है कि अगर आप यहां कोई मन्नत मांगते हैं तो अवश्य पूरी होती है। वही, इस जंगल स जुड़ा एक पार्क और चिड़ियाघर भी है।

विंध्यवासिनी पार्क

शहर के स्वास्थ्य का ख्याल रखने के लिए पार्क का होना बेहद जरूरी है। ऐसे में शहर के पूर्व में स्थिक विंध्यवासिनी पार्क लोगों के स्वास्थ्य का पूरा ख्याल रखता है। ये लोगों के मनपसंद पार्क में से एक है। सुबह 5 बजे से रात 8 बजे तक ये खुला रहता है। इस पार्क की नर्सरी को कोई भी नजरअंदाज नहीं कर सकता, ऐसा कोई पैधा नहीं जो आपको यहां न मिलें। लगभग 100 एकड़ में फैसले इस पार्क में बच्चों के लिए झूले भी लगे हुए हैं। बता दें कि गोरखपुर बाईपास पर गोरखपर विकास प्राधिकरण द्वारा विंध्यवासिनी पार्क का निर्माण किया गया है। तो अगर आप अपने कीमती वक्त में से थोड़ा से वक्त निकाल सकते हैं तो यहां जरूर जाएं।

नीर निकुंज वाटर पार्क

बुद्ध विहार रोड पर जाएंगे तो आपको दूर से ही नजर आ जाएगा नीर निकुंज वॉटर पार्क। तो यहां एक राइड लेना तो बनता है। यहां आप फैमिली या फ्रेंड्स के साथ आकर फुल ऑन मस्ती कर सकते हैं। यहां कब सुबह से शाम हो जाएगी आपको पता भी नहीं चलेगा। शाम के वक्त आप यहां वॉटर एंड लाइट शो का भी लुत्फ उठा सकते हैं। यहां आकर आप केवल रिलेक्स नहीं नहीं होंगे बल्कि एक नए जोश के साथ वापस घर लौटेंगे।

रेल संग्रहालय

गोरखपुर रेलवे म्यूजियम को भला आप कैसे भूल सकते हैं। 2005 में बनकर तैयार हुआ ये रेलवे म्यूजियम कई मायनों में खास है। अगर आप रेलवे के इतिहास के रूबरू होना चाहते हैं, तो ये प्लेस आपके लिए बेस्ट है। स्टीम इंजन से जुड़े इतिहास लेकर कैसे-कैसे रेलवे का विस्तार हुआ, ये सब जानकारी आपको यहां आकर मिल सकेंगी।

गीतावाटिका

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गोरखपुर-पिपराइच मार्ग पर रेलवे स्टेशन से 3 किलोमीटर दूरी पर स्थित गीतावाटिका में राधा-कृष्ण का भव्य मनमोहक मन्दिर स्थित है। इसकी स्थापना प्रख्यात समाजसेवी हनुमान प्रसाद पोद्दार ने की थी।

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