भारतीय किसान यूनियन नेता राकेश टिकैत ने दोहरायी अपनी बात, कहा- 'किसानों की दिक्कत समझे सरकार, तभी होगी बातचीत'
कृषि बिल का विरोध कर रहे किसान दिल्ली कूच करने के लिये मेरठ में रुके हैं. इस दौरान एबीपी गंगा ने जाना कि आखिर किसान क्या चाहते हैं और विरोध क्यों कर रहे हैं.
मेरठ: मेरठ के सिवाय टोल पर भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत के नेतृत्व में सैकड़ों किसान रात भर रुके रहे और अब दिल्ली के लिए कूच करने की तैयारी कर रहे हैं. एबीपी गंगा ने राकेश टिकैत से खास बातचीत में यह जानने की कोशिश की कि आखिरकार वह कौन सी तीन बिल हैं, जिन्हें लेकर किसान विरोध कर रहे हैं, उनमें कौन से ऐसे बिंदु हैं जो किसान विरोधी हैं.
''किसानों को भी पढ़ाते''
भारतीय किसान यूनियन के बैनर तले सैकड़ों किसान दिल्ली के लिए कूच कर रहे हैं. एबीपी गंगा ने इसका प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे भारतीय किसान यूनियन के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत से खास बातचीत की. इस दौरान राकेश टिकैत ने बताया कि ''आप इन अनपढ़ किसानों से यह जानकारी ले रहे हैं कि वह तीन बिल कौन से हैं, जिनसे इन्हें दिक्कत है. अगर सरकार को यह जानना था तो कम से कम किसानों को उसी स्कूल में पढ़ाते जहां की तालीम हासिल करने के बाद यह किसान सरकार को बता पाते कि आखिरकार इस बिल में क्या कमियां हैं, यह बिल कौन सा है''.
राजनीति नहीं हो रही है
एबीपी गंगा ने राकेश टिकैत से जानने की कोशिश की कि आखिरकार वह 3 बिल कौन से हैं जिन को लेकर आप विरोध कर रहे हैं, तो उन तीन बिल के नाम शायद राकेश टिकैत को भी नहीं पता था. यही वजह है कि वह एबीपी गंगा के सवालों से बचते नजर आए. लेकिन उन्होंने एक बात जरूर कही है कि अगर सरकार बातचीत का रास्ता खोलती है तो वह बातचीत के लिए तैयार हैं, क्योंकि जब तक किसानों की बात सरकार के सामने नहीं रखी जाएगी, तब तक सरकार को कैसे पता चलेगा कि आखिरकार इस बिल से किसानों को कितना नुकसान है. लेकिन जब एबीपी गंगा ने इस आंदोलन को राजनीति से प्रेरित बताया, तो उनका कहना है कि किसान अपने हक की लड़ाई लड़ रहा है और राजनीति से प्रेरित होकर आंदोलन नहीं कर रहा है.