BHU गैंगरेप को लेकर NSUI का BJP पर निशाना, सैंड आर्ट बनाकर पूछा- गिरफ्तारी में क्यों लगे 60 दिन?
BHU Gangrape: छात्रों ने आरोप लगाया कि तीनों आरोपियों के बीजेपी से संबंध होने की वजह से गिरफ्तारी में 60 दिन का वक्त लगा, जबकि आरोपियों की पहचान घटना के 7 दिनों के अंदर ही हो चुकी थी.
BHU Gangrape: आईआईटी बीएचयू गैंगरेप मामले को लेकर NSUI काशी हिंदू विश्वविद्यालय के छात्रों ने भारतीय जनता पार्टी पर निशाना साधा है. अपना विरोध जताते हुए एनएसयूआई के छात्रनेताओं ने बनारस के अस्सी घाट पर गंगा के उस पार सैंड आर्ट के ज़रिए बेहद मार्मिक आकृति बनाते हुए निशाना साधा और पूछा कि तीनों आरोपियों की गिरफ्तारी में 60 दिन क्यों लगे. सरकार ने इन आरोपियों के घर पर बुलडोज़र क्यों नहीं चलाया.
बीएचयू गैंग रेप मामले में तीनों आरोपियों की गिरफ्तारी हो चुकी है. और उन्हें 14 दिन की न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया है. छात्रों ने आरोप लगाया कि एक तरफ तो किसी भी अन्य घटना पर उत्तर प्रदेश सरकार की पुलिस एनकाउंटर व बुलडोजर चलाने के लिए तत्पर रहती है लेकिन आईआईटी बीएचयू गैंगरेप मामले में प्रेस ब्रीफ से भी बचती क्यों नजर आ रही है.
सैंड आर्ट के जरिए विरोध प्रदर्शन
काशी हिंदू विश्वविद्यालय के NSUI छात्रों ने इस मामले का विरोध किया और बनारस अस्सी घाट के गंगा उस पार सैंड आर्ट के माध्यम से सरकार से सवाल पूछते हुए लिखा कि 60 दिन क्यों? आरोपियों की गिरफ़्तारी में इतना समय क्यों लगा. NSUI छात्रों ने आरोप लगाया कि जहां एक तरफ उत्तर प्रदेश सरकार की पुलिस अन्य घटनाओं पर बुलडोजर व एनकाउंटर करने के लिए तत्पर रहती है लेकिन इस मामले पर एक प्रेस कॉन्फ़्रेंस तक नहीं की. उन्होंने कहा कि तीनों आरोपियों के बीजेपी से संबंध होने की वजह से गिरफ्तारी में 60 दिन का वक्त लगा, जबकि आरोपियों की पहचान घटना के 7 दिनों के अंदर ही हो चुकी थी.
छात्रनेता ने लगाया आरोप
BHU के NSUI छात्र शंभू ने बातचीत में कहा कि परिसर में हमारी साथी छात्रा के साथ इतनी घिनौनी घटना को अंजाम दिया जाता है, बजाय उन आरोपियों को तत्काल पकड़ने के सत्ताधारी पार्टी द्वारा इन्हें बचाने का कार्य किया जाता है. जब इनकी पहचान सात दिनों के अंदर हो चुकी थी, तब इन्हें पकड़ने में 60 दिन क्यों लगे. आखिर किसके दबाव में इन्हें बचाने का प्रयास हो रहा था.
छात्रनेता ने आरोप लगाया कि आरोपियों पर कार्रवाई करने के बजाय मध्य प्रदेश के चुनावी प्रचार में पार्टी ने उन्हें उतार दिया. इसके अलावा एक मुख्य विपक्षी पार्टी सपा द्वारा भी इस मामले को लेकर जमीन पर उतरने के बजाए AC कमरे में ही बैठना उचित समझा गया.
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