(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
'नियुक्तियों में भ्रष्टाचार...', BHU कार्डियोलॉजी विभाग के अध्यक्ष ने कुलपति पर लगाए गंभीर आरोप
BHU News: बीएचयू कार्डियोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष ने कहा कि मनमाने तरीके से विश्वविद्यालय में सीसीएस कानून लागू किया जा रहा है, जो सीधे तौर पर हाई कोर्ट के आदेश का उल्लंघन है.
Kashi Hindu University: काशी हिंदू विश्वविद्यालय देश का जाना माना शिक्षण संस्थान माना जाता है. अनेक उपलब्धियों के अलावा छात्र संघर्ष और परिसर अनेक विषयों को लेकर अक्सर सुर्खियों में भी देखा जाता है. इसी बीच BHU परिसर में मेडिकल विभाग के एक विभागाध्यक्ष की तरफ से ही कुलपति पर गंभीर आरोप लगाते हुए नियुक्तियों में भ्रष्टाचार करने की बात कही गई है. इससे पहले भी इन्होंने हफ्तों तक विभाग में ही प्रदर्शन करके मेडिकल सुविधाओं को दुरुस्त करने की मांग की थी.
वाराणसी के काशी हिंदू विश्वविद्यालय में कार्डियोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष डॉक्टर ओम शंकर ने मीडिया से बातचीत में कहा कि बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी में जो नियुक्तियां हो रही हैं उसमें खुलेआम भ्रष्टाचार हो रहा है. मेडिकल और नॉन मेडिकल दोनों विभागों में जिसको मन होता है उसको नियुक्त कर देते हैं.
कार्डियोलॉजी विभाग के विभागाध्यक्ष ने कुलपति को ठहराया जिम्मेदार
विश्वविद्यालय के गैस्ट्रोलॉजी विभाग में हुई नियुक्तियों भी इस समय सुर्खियों में है. मेरे पास ऐसे ठोस सबूत हैं जो प्रमाणित करते हैं कि विभाग में खरीदे गए आवश्यक चिकित्सा यंत्र में अनियमितता है. जिसके लिए कुलपति जिम्मेदार हैं. मेरे ऑब्जेक्शन के बाद भी इस पर रोक नहीं लगी यानी सीधे तौर पर भ्रष्टाचार को समर्थन है. इससे पहले हमने भ्रष्टाचार और चिकित्सा व्यवस्था को दुरुस्त करने को लेकर आंदोलन किया था जिसमें हमें 93 प्रोफेसर का समर्थन मिला था.
कोर्ट का उल्लंघन करके लगाया जा रहा सीसीएस कानून
इसके अलावा विभाग के डॉक्टर ओम शंकर ने कहा कि मनमाने तरीके से विश्वविद्यालय में सीसीएस कानून लागू किया जा रहा है, जो सीधे तौर पर हाई कोर्ट के आदेश का उल्लंघन है. कुलपति पर बड़ा आरोप लगाते हुए डॉ. ओम शंकर ने कहा कि महामना के आदर्शों को खत्म करने का प्रयास किया जा रहा है.
देश के बुद्धिजीवियों के विचारों को खत्म करने जैसा यह सोच है . यह देश मूल सिद्धांतों से चलता है और आपका यह कार्य नुकसान करने वाला है. और अगर हमारे इन बातों पर गंभीरता पूर्वक विचार नहीं किया गया तो हम इन विषयों को लेकर राष्ट्रपति महोदय और कोर्ट तक जाएंगे.
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