देहरादून, एबीपी गंगा। लूट की एक वारदात उत्तराखंड पुलिस के लिए नाक का सवाल बनती जा रही है। आठ दिन बीत जाने के बाद भी प्रॉपर्टी डीलर से लूटी गई मोटी रकम का पुलिस सुराग नहीं लगा पाई है। इस वारदात का शर्मनाक पहलू ये है कि लुटेरों ने आईजी बनकर इस घटना को अंजाम दिया। पुलिस को उस वक्त बड़ा झटका लगा जब अधिकारियों के सामने हुई शिनाख्त परेड में पीड़ित प्रॉपर्टी डीलर ने आरोपी पुलिस कर्मियों की न सिर्फ पहचान कर ली है, बल्कि सीसीटीवी फुटेज से भी यह बात सौ फीसद पुख्ता हो गई कि वारदात में आइजी गढ़वाल की सरकारी स्कॉर्पियो का प्रयोग किया गया था।


फिर भी रुपयों की बरामदगी न होना और वारदात में प्रयुक्त गाड़ी को केस प्रॉपर्टी के तौर पर कब्जे में न लेने पर एक साथ कई सवाल खड़े हो रहे हैं। अबतक रुपयों की बरामदगी न होना और न ही वारदात में प्रयोग स्कॉर्पियों का मिलना कई सवाल खड़े कर रहा है।


एसएटीएफ के हवाले केस


फिलहाल अब इस हाई प्रोफाइल क्राइम की विवेचना उत्तराखंड एसटीएफ कर रही है। प्रॉपर्टी डीलर को लूट कर देहरादून में तैनात तीन पुलिस कर्मियों ने उत्तराखंड पुलिस के माथे पर जो कलंक लगाया है, उसे धुल पाना पुलिस के लिए आसान नहीं होगा।


शुरुआती जांच में यह बात साबित हो चुकी है कि वारदात हुई और इसमें तीन पुलिसकर्मी शामिल हैं। इन तीनों को निलंबित भी कर दिया गया है, लेकिन जो सबसे बड़ा सवाल और एसटीएफ की सबसे बड़ी चुनौती साबित होने वाला है, वह लूट की रकम को बरामद करना है। अब तक इस बारे में कोई सुराग नहीं मिले हैं कि रकम कहां है और किसके पास है। इसका सवाल तलाशने के मामले में अभियोग पंजीकृत करने वाली डालनवाला कोतवाली पुलिस भी कोई ठोस जानकारी जुटाने नाकाम रही है।