(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
इंदिरा.. अटल.. चंद्रशखर... जब कद्दावर नेताओं ने देखा था हार का मुंह
चुनाव में जनता की नब्ज टटोलना आसान नहीं है। ऐसा कई बार हुआ है जब राजनीति के धुरंधरों को भी हार का मुंह देखना पड़ा है।
लखनऊ, एबीपी गंगा। इस समय पूरे देश की नजरें लोकसभा चुनावों पर हैं। कहा जाता है कि चुनाव में जनता की नब्ज टटोलना आसान नहीं है और यह बात काफी हद तक सच भी साबित होती है। कई बार तो राजनीतिक पंडितों के दावे भी धरे रह जाते हैं। ऐसा भी कई बार हुआ जब राजनीति के धुरंधरों को हार का मुंह भी देखना पड़ा। बात चाहे दिवंगत प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हो या फिर भाजपा को देश की सबसे बड़ी पार्टी बनाने में अपना अहम योगदान देने वाले अटल बिहारी वाजपेयी की, या फिर बहुजन समाज पार्टी के संस्थापक रहे कांशीराम की। इन तमाम दिग्गज नेताओं को राजनीतिक सफर में हार भी मिली। आइये कुछ ऐसे ही राजनेताओं के बारे में आपको बतातें है, जिनकी चुनावी हार देश में चर्चा का विषय बन गई।
राम मनोहर लोहिया देश में गैर-कांग्रेसवाद की अलख जगाने वाले राम मनोहर लोहिया को 1962 में फूलपुर लोकसभा सीट पर पंडित जवाहर लाल नेहरू से शिकस्त मिली थी। लोहिया यहां से सोशलिस्ट पार्टी के उम्मीदवार थे। यही नहीं समाजवादी नेता लोहिया को चंदौली में भी हार का सामना करना पड़ा था। लोहिया इससे पहले 1957 में चंदौली में कांग्रेस के त्रिभुवन नारायण सिंह से हार चुके थे।
इंदिरा गांधी 1975 में प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा लगाए आपातकाल का गुस्सा जनता ने आम चुनाव में अपने वोट से निकाला। 1977 में के आम चुनाव में देश में ना पहली बार गैर कांग्रेसी सरकार बनी बल्कि इंदिरा खुद रायबरेली से चुनाव हार गई। इंदिरा गांधी के सामने राजनारायण जैसे प्रत्याशी को कमजोर माना जा रहा था, लेकिन जब नतीजे आए तो हैरान कर देने वाले थे।
दीन दयाल उपाध्याय जनसंघ के अध्यक्ष रहे दीन दयाल उपाध्याय भी चुनाव में हार का सामना कर चुके हैं। जौनपुर में हुए लोकसभा उपचुनाव में दीन दयाल उपाध्याय को शिकस्त मिली थी।
अटल बिहारी वाजपेयी देश के पूर्व प्रधानमंत्री दिवंगत अटल बिहारी वाजपेयी की लोकप्रियता देश में आज भी बरकरार है। हालांकि, एक समय ऐसा भी था जब इस कद्दावर नेता की चुनाव में जमानत तक जब्त हो गई थी। ये समय था 1957 के चुनाव का। अटल बिहारी वाजपेयी मथुरा से चुनाव लड़ रहे थे और उनके सामने थे राजा महेंद्र प्रताप सिंह। अटल चुनाव तो हारे, लेकिन उन्होंने मथुरावासियों का दिल जीत लिया था।
हेमवती नंदन बहुगुणा चुनाव में ऐसा भी हुआ है जब बॉलीवुड की चकाचौंध कद्दावर नेताओं पर भारी पड़ी हैं। हम बात कर रहे हैं 1984 के लोकसभा चुनाव की। राजीव गांधी के कहने पर बॉलीवुड स्टार अमिताभ बच्चन अलाहाबाद से चुनावी मैदान में उतरे थे। बच्चन के सामने उस दौर के बड़े नेता हेमवती नंदन बहुगुणा थे। अमिताभ की लोकप्रियता का जादू जनता के सर चढ़कर बोला, नतीजा... हेमवती नंदन बहुगुणा की करारी शिकस्त हुई। बहुगुणा करीब पौने दो लाख वोटों के अंतर से चुनाव हारे थे।
चंद्रशेखर देश के पूर्व प्रधानमंत्री चंद्रशेखर को जनता ने बलिया से आठ बार लोकसभा पहुंचा, लेकिन 1984 के चुनाव में उन्हें हार नसीब हुई। जगन्नाथ चौधरी ने चंद्रशेखर को शिकस्त दी थी।