कई तरह की समस्याओं से घिरा है कानपुर, अपराध और प्रदूषण ने बढ़ाई शहर की उलझन
कानपुर: कानपुर उत्तर प्रदेश के सबसे बड़े शहरों में से एक है। गंगा के तट पर बसा यह शहर भौगोलिक द्रष्टि से भी बेहद अहम है। इसे पश्चिमी उत्तर प्रदेश, पूर्वी उत्तर प्रदेश व बुंदेलखंड आने-जाने का गेटवे भी माना जा सकता है। सबसे बड़े महानगरों में से एक होने के कारण कानपुर में रोजगार के अवसर भी उपलब्ध हैं, लिहाजा ग्रामीण क्षेत्रों से लाखों की संख्या में लोग इस शहर की तरफ रुख करते हैं।
बड़े शहर की बड़ी समस्याएं
कानपुर शहर जितना बड़ा है उतनी ही इस शहर की समस्याएं भी बड़ी हैं। बड़े पैमाने पर अनुयोजित विकास, अवैध कॉलोनियों और हताशा से उभरी अपराध करने की प्रवृत्ति ने कानपुर को बड़ी उलझन में डाल दिया है। ये वो समस्याएं हैं जसकी वजह से इस शहर को विकास की वो गति नहीं मिल रही है जितनी की इसको जरूरत है।
जमीनी स्तर पर होती है समस्या
कानपुर के चारों ओर बसे क्षेत्रों की बात करें तो हमीरपुर, बांदा, कानपुर देहात, औरैया, कन्नौज, हरदोई, शुक्लागंज तक के लोग अपने-अपने क्षेत्र से पलायन कर कानपुर शहर आते हैं। इस शहर में पहुंचने वाले सभी लोग बाहरी हिस्सों में रहते हैं, जिसके कारण शहर को अवैध कॉलोनी और अनुयोजित विकास दोनों तरह की समस्याओं का सामना करना पडता है। प्रशासन के पास भी यहां आने वाले लोगों के संबंध में किसी तरह के पुख्ता आंकड़े नहीं हैं, लिहाजा विकास को लेकर जमीनी स्तर पर सही नीति के क्रियान्वयन में दिक्कतें आती हैं।
अपराध है बड़ी समस्या
कानपुर में अपराध एक बड़ी समस्या है। शहर में कुल 45 थाने हैं जो यहां के लोगों को सुरक्षा प्रदान करने का बड़ा आधार हैं। 2011 में कानपुर की जनसंख्या 41 लाख के आसपास थी और तब थानों की संख्या भी इतनी ही थी। अगर वर्तमान की बात करें तो अब शहर की जनसंख्या 50 लाख के आसपास पहुंच गई है, लेकिन क्राइम कन्ट्रोल के लिए थानों की संख्या 45 ही है। पुलिस बल की कमी के चलते यहां अपराध का ग्राफ बढ़ा है। कानपुर के बाहरी क्षेत्रों में अपराध की घटनाएं ज्यादा दर्ज हो रही हैं क्योंकि अन्य स्थान से आने वाले लोग बाहरी इलाकों में ही अपना ठिकाना बनाते हैं। अपराध को रोकने के लिए कई बार थाने और चौकी बढ़ाने की कवायद जरूर की गई, लेकिन नतीजे सिफर ही रहे।
प्रदूषण है बड़ी समय्या
कानपुर शहर की सबसे बड़ी समस्या पॉल्यूशन हैं। शहर में फॉरेस्ट एरिया दो प्रतिशत से भी कम है जबकि स्टैंर्ड्डस के मुताबिक ग्रीन कवर 30 प्रतिशत से से कम नहीं होना चाहिए। शहर में हरियाली बढ़ाने के लिए हर संभव प्रयास किए जा रहे हैं लेकिन प्रदूषण की समस्या जस की तस बनी हुई है। समस्या पार्कों और पुटपाथ पर अवैध कब्जे को लेकर भी है, जो इस शहर की परेशानी को और बढ़ा रहे हैं।