प्रयागराज, एबीपी गंगा। नोएडा के सेक्टर बीस थाने के इंचार्ज रहे पुलिस इंस्पेक्टर मनोज कुमार पंत को इलाहाबाद हाईकोर्ट से बड़ी राहत मिली है। हाईकोर्ट ने इंस्पेक्टर मनोज पंत के निलंबन पर रोक लगाते हुए उन्हें पद पर बनाए रखने का आदेश दिया है। पंत के खिलाफ उसी थाने में गंभीर धाराओं में मुकदमा दर्ज है, जिसमे वह इंस्पेक्टर थे। रिश्वत लेने के आरोप में उन्हें जेल भी भेजा गया था। फिलहाल वह जमानत पर हैं और गौतम बुद्ध नगर की पुलिस लाइन में अटैच्ड हैं।


मामले की सुनवाई कर रही हाईकोर्ट की बेंच ने उनके निलंबन आदेश को तकनीकी आधार पर गलत मानते उसके अमल होने पर रोक लगा दी है। अदालत ने अपने फैसले में कहा है कि नियुक्ति प्राधिकारी नहीं होने की वजह से किसी भी एसएसपी को पुलिस इंस्पेक्टर्स को निलंबित करने का अधिकार नहीं है। खास बात यह है कि सिंघम के नाम से मशहूर इंस्पेक्टर पंत को अपने खिलाफ अपने ही थाने में गंभीर धाराओं में मुकदमा खुद अपने ही दस्तखत से दर्ज करना पड़ा था।


इंस्पेक्टर मनोज कुमार पंत जनवरी महीने में नोएडा के सेक्टर बीस थाने में इंचार्ज के पद पर तैनात थे। उन पर आरोप था कि गलत तरीके से चल रहे एक काल सेंटर के खिलाफ की गई कार्रवाई में आरोपियों का नाम मुक़दमे से निकालने के लिए उन्होंने आठ लाख रूपये रिश्वत ली थी। उनके साथ तीन मीडियाकर्मियों व एक अन्य शख्स के खिलाफ तीस जनवरी को केस दर्ज कर गिरफ्तार किया गया था। जेल जाने के बाद इंस्पेक्टर पंत को एसएसपी वैभव कृष्ण ने निलंबित कर दिया था। पंत कुछ दिनों बाद जमानत पर जेल से रिहा हुए थे। उन्होंने निलंबन के खिलाफ हाईकोर्ट में अर्जी दाखिल की थी।


अर्जी में दलील यह दी गई कि उन्हें गिरफ्तार होने की वजह से निलंबित किया गया, जबकि निलंबन आदेश में शुरुआती जांच के आधार पर कार्रवाई का होना बताया गया है। इतना ही नहीं शुरुआती जांच के आदेश एक जून को हुए। एसएसपी सिर्फ कांस्टेबल व हेड कांस्टेबल के नियुक्ति प्राधिकारी होते हैं, जबकि इंस्पेक्टर व सब इंस्पेक्टर की नियुक्ति रेंज के डीआईजी या आईजी करते हैं, इसलिए उनके निलंबन का अधिकार भी उन्हीं को है। जस्टिस अश्विनी कुमार मिश्र की बेंच ने अपने आदेश में उनके निलंबन आदेश पर रोक लगाते हुए उन्हें पद पर बहाल किये जाने व सेलरी दिए जाने के आदेश दिए।