लखनऊ/मैनपुरी, शैलेश अरोड़ा। सरकार चाहती है कि सरकारी स्कूल में पढ़ने वाले छात्र छात्राएं भी कान्वेंट स्कूल के बच्चों जैसे दिखें और पढ़ें। इसके लिए योगी सरकार ने 2017 में आते ही जूते मोज़े और स्वेटर देने की योजना शुरू की। लेकिन कुछ लोग निर्धन परिवार के इन बच्चों के लिए लायी जाने वाली योजनाओं में भी सेंधमारी करने से बाज नहीं आ रहे। बेसिक शिक्षा विभाग के करीब 200 करोड़ के जूते मोजे के टेंडर में बड़ा खेल सामने आया है। विभाग ने जिस फर्म को सबसे ज्यादा सप्लाई का टेंडर दिया उसने सैंपल से हल्की क्वालिटी के जूते सप्लाई कर दिए। मैनपुरी से मामला खुलने के बाद अब विभाग ने संबंधित फर्म पर कार्रवाई के निर्देश दिए हैं।
मैनपुरी से खुला खेल, कार्रवाई के निर्देश
बेसिक शिक्षा विभाग ने इस सत्र में कक्षा 1 से 8 तक के छात्र छात्राओं को जूते मोजे बांटने के लिए 200 करोड़ का टेंडर किया था। ये जूते जब जिलों में पहुंचना शुरू हुए तो पता चला कि जो सैंपल दिखाया गया था उसमे और सप्लाई की क्वालिटी में काफी अंतर है। इसे लेकर मैनपुरी के डीएम ने शासन को लिखित शिकायत करते हुए कार्रवाई की संस्तुति कर दी। डीएम की संस्तुति पर अपर मुख्य सचिव बेसिक शिक्षा रेणुका कुमार ने निर्देश दिए हैं कि जरुरत लगे तो गड़बड़ी करने वाली फर्म पर FIR कराने के साथ ही उसे ब्लैक लिस्ट किया जाये। मामला यहीं तक सीमित नहीं है। इसी फर्म के एटा और कासगंज में सप्लाई किये गए जूते में भी खेल करने का मामला सामने आ रहा है। इन जिलों में भी हल्की क्वालिटी के जूते की सप्लाई की पोल खुली है। एटा में तो मामला सामने आने के बाद बीएसए ने सभी जूते वापस करवाकर सैंपल की क्वालिटी के जूते देने के निर्देश दिए हैं। इसकी वजह से अब तक वहां बहुत से छात्र छात्राओं को जूते बंट ही नहीं पाये।
सबसे ज्यादा सप्लाई का ठेका लेने वाली फर्म का खेल
जूते मोजे के 200 करोड़ के टेंडर में करीब 148 करोड़ का टेंडर जूते का है और करीब 52 करोड़ का मोजे का। जूते के टेंडर में हरियाणा की फर्म मंजीत प्लास्टिक ने सबसे कम रेट दिए थे। इसी के चलते फर्म को सबसे अधिक 25 फीसदी सप्लाई का जिम्मा मिला। फर्म को सूबे के 26 जिलों में सप्लाई का काम दिया गया है जिसकी कीमत करीब 37 करोड़ है। ऐसे में इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता की जिस फर्म ने 3 जिलों की सप्लाई में गड़बड़ी की हो उसने बाकी जिलों में अधिकारियों से सांठ गांठ कर बड़ा खेल किया हो।
पहले भी जूते मोजे का टेंडर विवादों में आया था
योगी सरकार ने 2017 में छात्र छात्राओं को जूते मोजे बांटने की योजना शुरू की। पहले साल भी इनकी क्वालिटी को लेकर सवाल उठे थे। चंद महीनों में ही छात्र छात्राओं को दिए गए जूते फटने लगे थे। मामला सुर्ख़ियों में आया तो हाई कोर्ट ने खुद संज्ञान लेते हुए विभागीय अधिकारियों को तलब कर लिया। एक बार फिर से इस साल जूते मोज़े की क्वालिटी को लेकर विवाद खड़ा हो गया है। सूत्रों की माने तो शासन ने इस मामले में विभागीय अधिकारी से भी स्पष्टीकरण मांगा है।
मंत्री बोले कराई जायेगी सभी जगह जांच
वहीं इस मामले में बेसिक शिक्षा राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. सतीश द्विवेदी ने कहा कि मैनपुरी की शिकायत पर कार्रवाई की गई है। जहां से भी शिकायत आएगी कार्रवाई की जायेगी। जरूरत पड़ी तो जिस फर्म की सप्लाई में गड़बड़ी मिली उसकी अन्य जिलों में सप्लाई की भी जांच होगी।
- जूते मोज़े के लिए कुल 200 करोड़ रुपये का बजट रखा गया
- इसमें 148 करोड़ रुपये जूते के लिए और बाकी मोज़े के लिए टेंडर हुआ
- सूबे के 1 लाख, 58 हज़ार स्कूलों में 1 करोड़ 58 लाख छात्र छात्राओं को जूते मोज़े बाटने के लिए हुआ टेंडर...
- एक जोड़ी जूते की कीमत 93.70 रुपये और दो जोड़ी मोज़े की कीमत 32.90 रुपये