Gorakhpur News: निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष डॉ. संजय निषाद ने ये साफ कर दिया है कि उनकी पार्टी द्वारा उनके अस्वस्थ होने की वजह से प्रत्याशियों की सूची जारी कर दी गई थी. उन्होंने कहा कि उनकी पार्टी के बैनर तले लड़ने वाले प्रत्याशियों को भाजपा के पक्ष में प्रचार करने के लिए मना लिया गया है. संजय निषाद ने बताया कि उन्हें मनोनीत करके नगर निगम में भेजा जाएगा.
डॉ. संजय निषाद ने सपा से मेयर प्रत्याशी काजल निषाद के तंज का करारा जवाब देते हुए कहा कि वे निषाद समाज की नहीं हैं. उन्होंने निषाद समाज के लोगों के लिए कुछ नहीं किया है. उनके सुख-दुःख में कभी खड़ी नहीं हुई हैं. वे गुजरात की रहने वाली हैं. उनके पति निषाद समाज से हैं जबकि वो नहीं हैं. वो सिर्फ वोट लेने के लिए निषाद हो गई हैं.
निषाद पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष और यूपी सरकार के कैबिनेट मंत्री डॉ. संजय निषाद ने निकाय चुनाव भाजपा से गठबंधन को लेकर कहा कि उनका त्रेतायुग का गठबंधन है. उनकी पार्टी भाजपा के साथ मिलकर चुनाव लड़ रही है. लोकसभा और विधानसभा में भी गठबंधन में चुनाव लड़ा गया. उनकी तबीयत खराब होने और संवाद की कमी की वजह से त्रुटि हो गई. इसी वजह से पहली सूची आ गई. जिसमें उनके नाम नहीं थे. दरअसल कार्यकर्ताओं का काम ही चुनाव लड़ना और लड़ाना है. उनके सम्मान में खड़ा रहना पड़ेगा. निषाद पार्टी के सारे कार्यकर्ता भाजपा के साथ है. सदन में जाने के दो तरीके हैं, एक तो भाजपा से लड़कर सदन में जाए और दूसरा कि सरकार के साथ सदन में जाए।
विरोधी भी समर्थन में आए
राष्ट्रीय अध्यक्ष ने आगे कहा है कि उनकी पार्टी के लोग सरकार के साथ है. भाजपा को जिताने के लिए उनकी पार्टी के लोग हैं. पहले जो लोग चुनाव लड़ रहे थे, अब वे भी समर्थन में आ गए हैं. मेयर प्रत्याशी डा. मंगलेश उनके पुराने मित्र हैं. 22 साल से वे उनके बारे में जानते हैं. उनके जैसे सज्जन इंसान का मेयर बनना पार्टी के लिए गर्व की बात है. उनकी पार्टी और समाज पूरी तरह से भाजपा के साथ है. उनके प्रत्याशी भाजपा के समर्थन में आ गए हैं. भाजपा से बातचीत हो गई है. अब वार्ड के जो एक-दो कार्यकर्ता चुनाव लड़ रहे हैं, उन्हें मनोनीत करके निगम में भेजा जाएगा.
प्रत्याशी के साथ नहीं हैं काजल
कैबिनेट मंत्री डॉ. संजय निषाद ने काजल निषाद की तंज का पलटवार करते हुए कहा कि सपा में कोई अखाड़े का पहलवान तो रह नहीं गया है. पहले वो कांग्रेस में थी, लेकिन अब सपा में आ गई हैं और इसके बाद कहीं और चली जाएगी. वे निषाद तो हैं नहीं...वे गुजरात से आई हुई हैं. जबसे पार्टी बनी है, उनका समुदाय प्रत्याशी के साथ नहीं है. क्योंकि प्रत्याशी से भला नहीं होना है. पार्टी से भला होना है. यही वजह है कि गोरखपुर ही नहीं, प्रदेश का जो मछुआ समुदाय है, वो निषाद पार्टी के साथ है और निषाद पार्टी भाजपा के साथ है.
कैबिनेट मंत्री ने किया सवाल
कैबिनेट मंत्री ने काजल निषाद पर सवाल खड़ा किया है और पूछा है कि उन्होंने पार्टी के लिए कुछ किया हो तो बताएं.किसी तरह की लड़ाई लड़ीं हो, किसी के दरवाजे पर गई हो या फिर किसी के दुख-दर्द में खड़ी हुई हों इतने साल में तो वे बताएं. सिर्फ वोट लेने के लिए ये निषाद हो गई हैं. संजय निषाद ने आगे बताया कि, 14 फरवरी 2016 के लखनऊ के आंदोलन में सपा की सरकार में निषाद पार्टी के कार्यकर्ताओं पर लाठीचार्ज किया गया था. उस समय भी वे वहां पर आईं थी. उन्होंने कहा था कि साइकिल की सीट उतार कर सपा को हटाएंगे, लेकिन उनके कुछ भी बोलने का मतलब नहीं है. वे उनके खिलाफ मीडिया में बहुत कुछ बोल चुकी हैं. समाज और पार्टी के खिलाफ भी उन्होंने बहुत कुछ बोला है.
पति मंगलेश को आगे रखे
यहां की जनता को मालूम है कि छह साल पहले यहां का कितना विकास हुआ है. पिछली सरकारों ने प्रदेश को कहां पहुंचा दिया था. आज भाजपा की सरकार में प्रदेश में विकास हो रहा है. नगर निगम क्षेत्र में भी विकास हो रहा है. उनके मित्र चुनाव लड़ रहे हैं. इसका मतलब डा. संजय निषाद चुनाव लड़ रहे हैं. काजल निषाद को उन्होंने नसीहत देते हुए कहा कि वे तटस्थ रहें. अपनी बोली-भाषा सही रखें. झूठ बोलकर राजनीति नहीं की जाती है. वे निश्चित रूप से समाज की सेवा करें. समाज के बीच में रहें. जिस समुदाय में जन्म ली हैं, उसके साथ रहें. अगर निषाद समुदाय में रहना है, तो अपने पति को सामने लाएं. क्योंकि उनके पति ही निषाद हैं. वो निषाद नहीं हैं. उन्होंने कहा कि डा. मंगलेश पिछली बार के सारे वोटिंग रिकॉर्ड को तोड़कर जीत हासिल करेंगे.
ये भी पढ़ें:- Ayodhya News: राम मंदिर के गर्भगृह में भगवान रामलला की प्राण प्रतिष्ठा की तारीख आई सामने, जानें- कब होगी स्थापना