बिजलेश्वरी देवी मंदिर: बिजली के रूप में हुआ था देवी मां का आगमन, नवरात्र में है इसका विशेष महत्व
बलरामपुर में बिजलेश्वरी देवी का ऐतिहासिक मन्दिर आस्था और श्रद्धा का केन्द्र है. लगभग 150 वर्ष पूर्व इस स्थान पर मां पटेश्वरी ने बाबा जयराम भारती को बिजली स्वरुप का दर्शन दिया था.
बलरामपुर में राप्ती नदी के तट पर स्थित बिजलेश्वरी देवी का ऐतिहासिक मन्दिर आस्था और श्रद्धा का केन्द्र है. यह ऐसा अनोखा मन्दिर है जहां माता की मूर्ति के स्थान पर (पिण्डी) यंत्र की पूजा की जाती है. अपनी नक्काशी और कलाकृतियों के लिये प्रसिद्ध इस मन्दिर का नवरात्र में विशेष महत्व होता है. इसकी धार्मिक महत्ता भी असाधारण है.
बताया जाता है कि, यहां दूर-दूर से लोग पूजा करने के लिये श्रद्धालु आते है. इस मन्दिर में षट्कोण यन्त्र स्थापित है जिसके द्वारा यहां मां के निराकार स्वरुप की पूजा की जाती है. लगभग 150 वर्ष पूर्व इस स्थान पर मां पटेश्वरी ने बाबा जयराम भारती को बिजली स्वरुप का दर्शन दिया था.
पटेश्वरी देवी ने दिए दर्शन
जनपद मुख्यालय से महज तीन किलोमीटर दूर बिजलीपुर इलाके में ये मंदिर स्थापित है. इस मंदिर के बारे में माना जाता है कि यहां पर देवी मां बिजली की तरह प्रगट हुई थी. जिसके कारण इस स्थान का नाम बिजलीपुर पड़ा और मन्दिर को बिजलेश्वरी देवी के नाम से जाना गया. मन्दिर के निर्माण के सम्बन्ध में यह भी कहा जाता है कि एक संत बाबा जयराम भारती राप्ती नदी के किनारे कुटी बनाकर रहते थे. प्रतिदिन वह नदी पार करके शक्तिपीठ देवीपाटन मन्दिर दर्शन करने जाया करते थे. बाबा देवी दर्शन के उपरान्त ही अन्न जल ग्रहण करते थे.
एक बार राप्ती नदी में भंयकर बाढ़ आ गई और बाबा नदी न पार कर पाने के कारण भूखे प्यासे ही रहे. तब पटेश्वरी देवी ने अपने इस भक्त के श्रद्धा व विश्वास को देखते हुये स्वंय दर्शन दिया और बाबा से कहा कि अब तुम्हे मेरे दर्शन के लिए पाटन नहीं आना पड़ेगा अब तुम मेरी पूजा अर्चना यही करो. जिसके बाद देवी मां ने आसमान से बिजली स्वरूप पीपल के पेड़ पर गिरी और पाताल लोक चली गयी. उसी स्थान पर बाबा जयराम भारती ने पूजन अर्चन शुरू कर दिया जिसके बाद ही उस स्थान को बिजलेश्वरी देवी मंदिर के नाम से जाना जाने लगा.
वर्षों से लोगों के आस्था का विश्वास का केन्द्र बना हुआ है मंदिर
देवी के बिजली स्वरूप दर्शन देने की जानकारी जब बलरामपुर के तत्कालीन महाराजा दिग्विजय प्रताप सिंह को मिली तो उन्होंने भी देवी मां के दर्शन किये और मनोकामना मांगी. कुछ ही दिन में मनोकामना पूर्ण हो गयी जिसके बाद महाराजा ने सम्वत 1912 में मंदिर का शिलान्यास किया. जो साल 1932 में एक भव्य मन्दिर के रूप में तैयार हुआ. यह मन्दिर वर्षों से लोगों के आस्था का विश्वास का केन्द्र बना हुआ है.
विजलेश्वरी देवी मंदिर के महंथ परिवार की बात करें तो यहां बाबा जयराम भारती के बाद बाबा देवी भारती फिर बाबा देव भारती, देवेंद्र भारती फिर देवदत्त भारती के बाद बाबा दयानंद भारती वर्तमान में मंदिर की सेवा कर रहे हैं. यके बाबा जयराम भारती की सातवीं पीढ़ी है जो लगातार मां बिजलेश्वरी की सेवा कर रहे हैं.
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