Lumpy Skin Disease: बिजनौर में लंपी स्किन बीमारी का प्रकोप, अब तक 377 मवेशी संक्रमित, चार पशुओं की मौत
Bijnor Lumpy Skin Disease: उत्तर प्रदेश के बिजनौर में लंपी वायरस की चपेट में कई पशु आ गए हैं और अब तक चार पशुओं की मौत भी हो गई है. इसे देखते हुए पशु चिकित्सा विभाग भी जिले में सतर्क है.
Lumpy Skin Disease in Bijnor: लंपी स्किन वायरस की गंभीर बीमारी खास तौर से गोवंश व भैसों में बिजनौर (Bijnor) में भी देखने को मिल रही है. लंपी वायरस (Lumpy Virus) ने जिले में भी तेजी से पैर पसार दिए हैं और यही वजह है कि अब तक जिले भर के अलग-अलग 68 गांव में 377 पशु वायरस संक्रमण बीमारी से जूझ रहे हैं. अब तक लंपी वायरस की बीमारी से चार पशुओं ने दम भी तोड़ दिया है. इस वायरस को तेजी से फैलते हुए देख पशु चिकित्सा विभाग सतर्क हो गया है और बीमार गोवंश पर नजर बनाते हुए इलाज भी कर रहा है.
दरअसल इन दिनों लंपी वायरस नाम की बीमारी गोवंश व भैसों में तेजी से देखने को मिल रही है. जिससे कई राज्य और जिले ग्रस्त हैं अब इसका असर बिजनौर जिले में भी देखने को मिल रहा है. बिजनौर जिले के 68 गांव में 377 गोवंश लंपी बीमारी की चपेट में है और अब तक चार पशु की मौत हो चुकी है. जबकि 82 पशु ठीक हो चुके हैं. इसका सबसे ज्यादा असर यूपी उत्तराखंड बॉर्डर पर स्थित बिजनौर के सबलगढ़ गौशाला में देखने को मिला है. जंहा पर सबसे अधिक 35 गोवंश बीमार हैं.
जिले में पहुंची 35 हजार वैक्सीन
पशु चिकित्सा विभाग की टीम पहुंच गई है और वहां पर सभी बीमार पशुओं को अलग कर दिया है. जहां पर उनका इलाज किया जा रहा है, जिले में 35 हजार वैक्सीन पहुंच चुकी है. आज से जिले भर में टीकाकरण अभियान शुरू कर दिया है. इससे पहले शहर क्षेत्र के कान्हा गो आश्रय स्थल पर 197 पशु का टीकाकरण किया जा रहा है. टीकाकरण स्वास्थ्य पशुओं का किया जा रहा है और इस तरीके से किया जा रहा है कि अगर किसी गांव में कोई पशु बीमार है तो उसके 500 मीटर चारों तरफ टीकाकरण किया जा रहा है.
जिले भर में हो रहा है वैक्सीनेशन अभियान
इस टीकाकरण को लेकर बिजनौर पशु चिकित्सा अधिकारी विजेंद्र सिंह ने बताया कि जिले में ढाई लाख वैक्सीन की डिमांड की गई थी. अब 35 हजार वैक्सीन मिल चुकी हैं और 5 लोगों के स्टाफ की 25 टीमें जिले भर में वैक्सीनेशन अभियान और पशुओं के इलाज में जुट गई हैं. इसके साथ ही जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है, जागरूकता अभियान में सभी पशु पालकों को जागरूक किया जा रहा है. जिसमें उन्हें बताया जा रहा है कि बीमार पशुओं को स्वास्थ्य पशुओं से अलग कर दें और उसके दूध को पशुओं के बच्चों को ना पिलाएं. इसके साथ ही साफ सफाई का विशेष ध्यान रखें और दवाई का छिड़काव भी जरूर करें. अगर किसी पशु पालक के पास दवाई नहीं है तो पशुपालक नीम के पत्तों को गोबर के उपले पर जलाकर उसका धुंआ सुबह शाम पशुशाला में करें जिससे बीमारी दूर हो जाएगी
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