Bijnor News: हाथ में तिरंगा झंडा, पूरे शरीर को लोहे के भारी ज़ंजीरों से जकड़े नंगे बदन एक युवक इन दिनों भारत भ्रमण पर निकला है. बिजनौर से आई इस तस्वीर ने हर किसी को हैरान कर दिया. रंग रूप ऐसा जैसे ब्रिटिश काल में देश की आज़ादी के मतवालों और क्रांतिकारियों का हुआ करता था. विजय का कहना है कि वो शहीद भगत सिंह, राजगुरू और सुखदेव को शहीद का दर्जा दिलाने के लिए निकला है. 


विजय का कहना है कि कई सरकारें आई और कई सरकारें गईं लेकिन, किसी सरकार ने भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को शहीद का दर्जा नहीं दिया. कानूनी दस्तावेजों में आज भी उनके शहीद होने का कोई प्रमाण नहीं है. भगत सिंह राजगुरु और सुखदेव ने अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ जंग छेड़ी थी और 23 मार्च सन 1931 में तीनों क्रांतिकारियों को फांसी दे दी गई थी. इसलिए अब वो उन्हें शहीद का दर्जा दिलाने के लिए शरीर को बेड़ियों से जकड़ कर नंगे पाव भारत भ्रमण यात्रा पर निकले हैं. 


हाथ में तिरंगा झंडा और शरीर को बेड़ियों में झकड़कर विजय नंगे बदन पैदल ही भारत भ्रमण पर निकल पड़े हैं. विजय का कहना हैं. 23 साल की उम्र में शहीद-ए-आजम भगत सिंह हंसते-हंसते फांसी के फंदे पर झूल गए, लेकिन बड़े दुख की बात है कि आज़ादी के इतने साल भी आज तक हमारी सरकार उन्हें शहीद नहीं मानती. 


विजय हिन्दुस्तानी यूपी के शामली जनपद का रहने वाला है. विजय हिंदुस्तानी तीन क्रांतिकारियों को शहीद का दर्जा दिए जाने की मांग को लेकर भारत भ्रमण यात्रा पर निकला है. वो जिस भी जनपद में जाता है वहाँ एक ज्ञापन राष्ट्रपति व प्रधानमंत्री के नाम संबोधित हर जिले के डीएम को ज्ञापन दे रहा है. 


विजय ने अपने शरीर को इस तरह तैयार किया है जो ब्रिटिश शासन काल में क्रांतिकारियों का जेल में हुआ करता था. यही नहीं उसने अपने पूरे शरीर पर देश की सीमा पर तैनात हुए शहीदों के नाम भी गुदवाए हैं. उसके शरीर पर करीब 267 शहीदों के नाम लिखे हैं. वो अब तक 13 से 1400 किलोमीटर पैदल चल चुका है. इस सभी ज़िलों में उसने भारत सरकार को अपना संदेश दिया है.


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