ग्रेटर नोएडा, एबीपी गंगा। एबीपी गंगा की खबर का असर सामने आया है। बाइक बोट घोटाले के मास्टर माइंड संजय भाटी और डायरेक्टर विजयपाल कसाना ने पुलिस रिमांड में कई राज खोले हैं। एबीपी गंगा ने इस घोटाले की जांच कर रही एसआईटी टीम के मुखिया आईपीएस विनीत जायसवाल से की एक्सक्लूसिव बातचीत की।
गौरतलब है कि बाइक बोट के मास्टर माइंड संजय भाटी ने लाखों लोगों से हजारों करोड़ रुपये ठग लिए। पुलिस ने संजय भाटी और उसके सहयोगी विजय पाल की पुलिस रिमांड ली। इस दौरान संजय भाटी ने कई राज खोले और काफी कुछ पुलिस के हाथ लगा। आपको बता दें कि पुलिस को पूछताछ में पता चला कि संजय ने लोगों को लुभाने के लिए कस्टमर लाने वालों को महंगी कारे गिफ्ट की और ये कारें एक दो नहीं बल्कि 170 से ज्यादा जगुआर, फॉर्चन्यूर और रेंजरोवर जैसी लग्जरी कारें लोगो को बांटी गई। पुलिस ने 35 लग्जरी कार, 104 बाइक और 5 बोरे जली हुई चेक बुक बरामद किये। साथ ही भरी मात्रा में जले हुए डेस्कटॉप व लैपटॉप बरामद किए। इतना ही नहीं पुलिस ने दस से ज्यादा खातों को भी सील किया। संजय भाटी ने लगभग 700 करोड़ रुपये कई खातों में ट्रांसफर किये।
एसआईटी टीम ने उन खातों की जांच की, जिनसे पैसा ट्रांसफर किया गया था। वही अबतक की जांच में पुलिस को 1500 करोड़ की ठगी का सबूत मिल चुका है और 1,17180 निवेशकों के नाम भी पता चले हैं जिनसे ठगी की गई थी। पुलिस अब संजय भाटी और उसके गुर्गों के मनी लांड्रिंग और साक्ष्य मिटने और गैंगगेस्टर एक्ट के तहत कार्रवाई करने जा रही है। पुलिस को पूछताछ में ये भी पता चला है की बाइक बोट के नाम से उत्तर प्रदेश समेत देश के कई राज्यों में अपना दफ्तर खोला था लेकिन ये दफ्तर सिर्फ लोगों को दिखाने के लिए थे।
क्या था ये घोटाला
बता दें कि बाइक बोट कंपनी के खिलाफ दादरी कोतवाली में 33 से अधिक एफआईआर दर्ज हैं। इनका जाल देश के कई हिस्सों में फैला था। बाइक बोट स्कीम में हर महीने निवेशकों को मोटी कमाई का लालच दिया जाता था। इस स्कीम की शुरुआत करीब डेढ़ साल पहले हुई थी। इस स्कीम में बाइक टैक्सी लगवाने पर हर महीने मोटी रकम का लालच दिया जाता था। इसके लिए प्रति व्यक्ति से एक बाइक लगवाने के नाम पर 62,100 रुपये लिये जाते थे और बदले में 12 महीनों तक हर महीने 9765 रुपये उसके खाते में डाले जाते थे। इतना ही नहीं, इस रकम को साल भर में दोगुना करने का लालच भी दिया जाता था। स्कीम के लालच में आकर हजारों लोगों ने इसमें निवेश किया, लेकिन करीब तीन महीने से निवेशकों को उनकी रकम नहीं मिली।