टॉप सिंगर ने जिन गानों को किया रिजेक्ट, उन्हीं को गाकर बनीं महान सिंगर, आशा भोसले
आशा भोसले वो नाम है, जिसे किसी भी परिचय की जरूरत नही है। आज आशा जी का जन्मदिन है। आशा जी आज जिस मुकाम पर है वहॉ तक पहुचने के लिए उन्होनें कड़ी मेहनत की है। एक वक्त था जब उन्हें बी-ग्रेड फिल्मों के गानो के ही ऑफर आते थे, और जो गाने बड़े-बड़े सिंगर गाने से मना कर दिया करते थे, वो गाना आशा जी गाया करती थीं। आपको बता दे कि आशा जी ने अब तक 12 हजार से ज्यादा गाने गाए हैं।
नई दिल्ली, कोमल गौतम। सुनहरे दौर के नगमे और उस दौर की फिल्में हमेशा रहेंगी। हम रहें या न रहें एंटरटेनमेंट जरूर रहेगा और जब तक एंटरटेनमेंट रहेगा तब तक इस सुनहरे दौर को याद किया जाता रहेगा। अनगिनत संगीत के रत्न हैं, अनगिनत सितारे हैं, एक्टर हैं, एक्ट्रेस हैं, डायरेक्टर्स हैं, प्रोड्यूर्स हैं, लेकिन यहां आपको उस शख्सियत के बारे में बता रहे हैं। जो एक ऐसी सिंगर है, एक ऐसी गायिका जिसने हर तरह के गाने गाए। रोमांटिक गाने हों, डांस नबर हों, कैबरे हो, मुजरा हो, क्लासिकल गाने हों या वेस्टर्न गाना। इन्होंने हर तरह के गानों को न सिर्फ गाया बल्कि हर तरह के गीतो में उनकी अवाज का जादू ऐसा चला की वो पैमाना बन गईं वर्सेटिलिटी...की। जी हां हम बात कर रहे हैं इंडियाज मोस्ट वर्सटाइल फीमेल सिंगर आशा भोसले की।
आशा जी का जन्म 8 सितम्बर 1933 को महाराष्ट्र के ‘सांगली’ के छोटे से गांव में हुआ था। इनके पिता दीनानाथ मंगेशकर प्रसिद्ध गायक और नायक थे। जिन्होंने शास्त्रीय संगीत की शिक्षा काफी छोटी उम्र में ही आशा जी को दी। आशा जी जब 9 साल की थीं, तो इनके पिता की मृत्यु हो गई थी। पिता की मौत के बाद इनका पूरा परिवार पुणे से कोल्हापुर और उसके बाद बम्बई में जा कर बस गया। आशा जी के अलावा उनकी तीन बहने लता, उषा, मीना और एक भाई हृदयनाथ मंगेशकर हैं।
परिवार की सहायता के लिए आशा और इनकी बड़ी बहन लता मंगेशकर ने गाना और फिल्मों में अभिनय करना शुरू कर दिया। 1943 में इन्होंने अपनी पहली मराठी फिल्म ‘माझा बाळ’ में गीत गाया। इस गीत के बोल थे ‘चला चला नव बाळा...’ इस फिल्म को संगीत दिया था दत्ता दवाजेकर के ने।आशा जी ने अपना पहला हिंदी फिल्मी गाना 1948 में गया। जिसमें वो सिंगर के साथ गा रही थी यानि के कोरस में गा रही थीं। वो हिन्दी फिल्म थी ‘चुनरिया’ और गाने के बोल थे सावन आया। इस फिल्म का संगीत दिया था हंसराज बहल ने।आशा जी को सोलो गाना अभी तक मिला नहीं था। उन दिनों बड़ी फिल्मों में गाना गीता दत्त, शमशाद बेगम जैसे जाने माने लोग गा रहे थे। खैर, अभी- अभी लता जी को गाने मिलने शुरू हुए ही थे इसी दौर में उन्हे एक फिल्म मिल गई। फिल्म का नाम था रात की रानी। संगीत था हंसराज बहल जी का और इन्ही के संगीत निर्देशन में आशा ताई को उनके जीवन का पहला सोलो सॉन्ग गाने का मौका मिला।उसके बाद उनको वो गाने मिले जिसे बाकी के सिंगर गाने से मना कर दिया करते थे। और वो गाने होते थे बी ग्रेड फिल्मों के, लेकिन आशा ताई उन गीतों को गाया करती थीं क्योंकि उनकी कुछ मजबूरी हुआ करती थी।
ऐसे गीतों को गाने के बाद आशा जी की ऐसी छवी बन गई की कोई भी सिंगर उनके साथ गाने के लिए तैयार नहीं होता था। आपको बता दे, उनके साथ पहला duet गाना गाया किशोर कुमार ने। फिल्म थी मुक्कदर और गाने के बोल थे ‘आती है याद हमको जनवरी फरवरी पहली-पहली मुलाकात हुई मेरी तुम्हारी’। आशा जी का किशोर कुमार के साथ पहला duet गाना था। फिर उनके बाद क्या था, वहां से आशा जी के सिंगिंग करियर का ग्राफ ऊपर उठता जा रहा था।16 साल की उम्र का वो दौर था। जब आशा जी को गानो तो मिल रहे थे, लेकिन वो ज्यादातर लो बजट या फिर सेंकेंड ग्रेड फिल्मों के गाने गा रही थी। जीवन में स्ट्रगल तो चल रहा था और इसी जीनव के दौरान वो कठनाइयां, संघर्ष, मुसिबतों का समाना कर रहीं थीं।फिर अचानक से आशा ताई को हुआ प्यार। अब सबसे बड़ी बात ये है की प्यार किसके साथ हुआ। उनको प्यार हो गया उनकी बड़ी दीदी लता मंगेशकर के सेक्रेटरी से, नाम था गणपतराव भोंसले। आशा जी ने जब शादी करने की फैसला किया। तो इस शादी के लिए उनके घरवाले तैयार नहीं थे। दोनों ने घरवालों के खिलाफ जाकर शादी कर ली। शादी के वक्त आशा जी की उम्र थी 16 साल और जबकि गणपतराव की उम्र थी 31 साल।आशा और गणपतराव की शादीशुदा जिंदगी कुछ समय तो ठीक ठाक चली, लेकिन फिर दोनों के बीच झगड़े शुरू हो गए। गणपतराव के परिवार ने उन्हें स्वीकार नहीं किया था। उनके साथ मारपीट भी होती थी। पति नहीं चाहते थे कि आशा बहन लता से कोई भी रिश्ता रखें। 1960 में आखिकार गणपतराव ने एक दिन आशा और उनके तीनों बच्चों को घर से निकाल दिया। कहा जाता है कि आशा घर से खाली हाथ ही निकाली गईं थीं। पति ने उन्हें अपने साथ कुछ भी नहीं ले जाने दिया। ससुराल से निकाले देने के बाद वो बच्चों के साथ मायके आ गईं थीं।
फिल्म 'तीसरी मंजिल' के बाद आशा ने पंचम दा के लिए गाने गाने शुरू कर दिए। आरडी जिस फिल्म में संगीत देते उस में आशा की आवाज जरूर हुआ करती थी। 70 के दशक तक दोनों ने कई हिट फिल्मों में साथ काम किया। ये वो वक्त था जब आरडी और आशा दोनों की शादियां टूट चुकी थीं। दोनों ही अकेले और तन्हा थे और साथ काम करते-करते एक-दूसरे के करीब आने लगे थे।
लेकिन दोनों के रिश्ते में कई अड़चने आईं। आरडी की मां दोनों रिश्ते के खिलाफ थीं। लिहाजा दोनों ने अपने प्यार को समय के हाल पर छोड़ दिया था। इस बीच आरडी के पिता सचिन देव बर्मन का निधन हो गया और मां मीरा बहुत बीमार रहने लगी थी। उनकी यादाश्त भी चली गई। यहां तक की उन्होने अपने बेटे को भी पहचानना बंद कर दिया। एक वक्त ऐसा आया जब पंचम को लगा कि मां की तबीयत ऐसी ही रहेगी और उन्होंने 1980 में आशा जी से शादी कर ली। दूसरी शादी के वक्त आशा 47 साल और आरडी 41 साल के थे।फिर उसके बाद साल 1980 में आशा जी ने ‘राहुल देव वर्मन’ यानि की (पंचम दा) से शादी की और ये शादी आशा जी ने राहुल देव वर्मन के अंतिम सांसो तक सफलतापूर्वक निभाई।
संगीतकार ओ.पी. नैयर की साझेदारी ने आशा ताई को एक खास पहचान दिलाई। कई लोगों ने इनकी आपसी संबंध को प्रेम संबंध भी मान लिया था।आशा जी गायिका के अलावा बहुत अच्छी कुक भी हैं। कुकिंग इनका पसंदीदा शौक है। बॉलीवुड के बहुत सारे लोग आशा जी के हाथों से बना खाना खाने के लिए रिक्वेस्ट करते है और आशा ताई इस के लिए इन्कार भी नहीं करती है। बॉलीवुड के ‘कपूर’ खानदान में आशा जी के हाथों से बना ‘पाया करी’, फिश करी’ और ‘दाल’ काफी पसंद करते हैं।आशा जी ने एक हजार से भी ज्यादा फिल्मों में गाने गाए हैं। गिनीज़ बुक में भी आशा जी का रिर्कोड सबसे अधिक गाना गाने के लिए शामिल है।आशा भोंसले ने एक फिल्म 'माई' में अभिनय भी किया है। उनकी अदाकारी के लिए उनकी प्रशंसा भी हुई थी।
आशा को 18 बार फिल्मफेयर के लिए नामांकित किया गया। उन्होंने 7 बार इसे जीता। 1979 में फिल्मफेयर जीतने के बाद आशाजी ने इसके लिए उन्हें नोमिनेट करने से ये कहकर मना कर दिया कि नई प्रतिभाओं को मौका मिलना चाहिए। आशा को 2001 में फिल्मफेयर लाइफटाइम अवार्ड दिया गया था।
आशा भोसले एक महान गायिका होने के अलावा बेहतरीन मिमिक्री आर्टिस्ट भी हैं। वह लता मंगेशकर और गुलाम अली की आवाज में गा सकती हैं।
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