लखनऊ: उत्तर प्रदेश में विधान परिषद की 12 सीटों पर एमएलसी के चुनाव 28 जनवरी को होने हैं. आज नामांकन का आखिरी दिन है और ऐसे में बीजेपी के सभी 10 उम्मीदवार आज अपना नामांकन दाखिल करेंगे. खुद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ इस नामांकन के दौरान मौजूद रहेंगे. वहीं, समाजवादी पार्टी के दो उम्मीदवार पहले ही नामांकन दाखिल कर चुके हैं. हालांकि इस बात के भी कयास लगाए जा रहे हैं कि आज आखिरी दिन बीजेपी 11वां उम्मीदवार खड़ा करके सबको चौंका सकती है.
बीजेपी-बसपा की जुगलबंदी देखने के मिल सकती है
यूपी विधानपरिषद की 12 सीटों पर होने वाले MLC चुनाव के लिए अभी तक समाजवादी पार्टी के उम्मीदवारों ने अपना पर्चा भरा है. जिनमें अहमद हसन और राजेंद्र चौधरी शामिल हैं. जबकि बीजेपी ने 10 उम्मीदवारों के नाम की घोषणा की है, और यह उम्मीदवार नामांकन के आखिरी दिन 18 जनवरी को अपना पर्चा दाखिल करेंगे, लेकिन विधान परिषद चुनाव के लिए अब तक कुल 26 नामांकन पत्र दाखिल हो चुके हैं और सूत्रों की मानें तो बसपा की तरफ से भी नामांकन पत्र खरीदे गए हैं. ऐसे में कयास लगाए जा रहे हैं कि आखिरी वक्त में कोई 13 वां उम्मीदवार अपना नामांकन दाखिल कर विधान परिषद के चुनाव को दिलचस्प बना सकता है. हालांकि, बसपा के पास वह नंबर नहीं है कि वो अकेले अपने उम्मीदवार को जिता सके. ऐसे में राज्यसभा वाली बीजेपी के साथ वाली जुगलबंदी देखने को विधान परिषद में भी मिल सकती है.
बीजेपी ने घोषित किये 10 उम्मीदवार
बीजेपी ने जिन 10 उम्मीदवारों के नाम की घोषणा की है, उनमें तीन उम्मीदवार वर्तमान में विधान परिषद के सदस्य हैं. और उन्हें बीजेपी दोबारा रिपीट कर रही है. इनमें उपमुख्यमंत्री डॉक्टर दिनेश शर्मा, प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह और वाराणसी से आने वाले लक्ष्मण आचार्य शामिल हैं. जबकि सबसे ज्यादा चौंकाने वाला नाम रिटायर्ड आईएएस और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबी अफसरों में शुमार एके शर्मा का रहा. इसके अलावा गोविंदा नारायण शुक्ला, सलिल विश्नोई,अश्विनी त्यागी, डॉक्टर धर्मेश प्रजापति, सुरेश चौधरी और कुंवर मानवेंद्र सिंह शामिल हैं.
उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य का कहना है कि बीजेपी ने जिन उम्मीदवारों को टिकट दिया है, वह पार्टी के साधारण कार्यकर्ता हैं और सबका साथ सबका विकास सबका सम्मान बीजेपी का नारा है. वहीं पार्टी ने 11 वां उम्मीदवार मैदान में क्यों नहीं उतारा, इस पर उनका क्या कुछ कहना है, इनसे भी कुछ संकेत मिल रहा है.
बसपा ने कहा था कर सकते हैं बीजेपी को सपोर्ट
नवंबर महीने में जब उत्तर प्रदेश में राज्यसभा के चुनाव हुए थे, तब बीजेपी ने संख्या बल के लिहाज से एक उम्मीदवार कम उतारा था और बीएसपी ने बिना नंबर होते हुए एक उम्मीदवार उतार दिया था, लेकिन जब समाजवादी पार्टी ने एक समर्थित कैंडिडेट उतारा और बसपा में सेंधमारी की तब मायावती ने साफ तौर पर कहा था इन विधान परिषद चुनाव में जरूरत पड़ने पर वह बीजेपी को भी सपोर्ट कर सकती है. और शायद इसी के बाद इस बात को और बल मिल गया कि बीजेपी 10 उम्मीदवार तो आसानी से जीता लेगी और 11वां उम्मीदवार बसपा की मदद से विधान परिषद भेज सकती है. अब इस चुनाव में सियासत जो करवट लेगी उसका संदेश 2022 तक जाएगा.
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