UP News: उत्तर प्रदेश में बीएसपी (BSP) और समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) ने बीते कुछ दिनों में अपने फैसलों के जरिए चौंकाने का काम किया है. दोनों ही पार्टियां बीजेपी (BJP) के खिलाफ लोकसभा चुनाव (Lok Sabha Elections) के लिए एक ही राह पर चलती दिख रही है. इसके बाद सवाल उठने लगे हैं कि क्या बीएसपी की तरह सपा के फैसलों से भी बीजेपी को सीधा फायदा हो रहा है.
दरअसल, लोकसभा चुनाव को लेकर बीजेपी के खिलाफ विपक्षी एकता की चर्चा चल रही है. हालांकि तीसरे मोर्चे के गठन की भी बात बीते कुछ दिनों तेज हुई है, जिसमें कांग्रेस से अलग कुछ अन्य दल मिलकर बनाने का प्रयास कर रहे हैं. लेकिन यूपी में ऐसा होता नजर नहीं आ रहा है. इसकी मुख्य वजह बीएसपी और सपा के फैसले हैं.
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विपक्षी एकता की नहीं दिखी कोशिश
पहले मायावती ने एलान किया कि इस साल कई राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव और अगले साल होने वाले लोकसभा चुनाव में पार्टी किसी अन्य दल के साथ गठबंधन नहीं करेगी. इसके बाद पूर्वांचल के दौरे पर बीते दिनों अखिलेश यादव ने भी एलान कर दिया है कि लोकसभा चुनाव के लिए सपा किसी अन्य दल के साथ गठबंधन नहीं करेगी. हालांकि उन्होंने कहा कि वे अपने पूराने साथियों का खास ख्याल रखेंगे. लेकिन उनके बयान से संभावना जताई गई कि चंद्रशेखर आजाद की पार्टी सपा गठबंधन में साथ रहेगी.
इस बीच चर्चा शुरू हो गई है कि बीजेपी के खिलाफ यूपी में अब विपक्षी एकता की बात संभाव नहीं दिख रही है. इसके अलावा राजनीति के जानकार कहने लगे कि बीएसपी की तरह सपा के फैसले भी अब कुछ हद तक बीजेपी को फायदा पहुंचा रहे हैं. इसके पीछे यह तर्क दिया गया कि अगर चुनाव से पहले बीजेपी के खिलाफ विपक्ष एकजुट नहीं हुआ तो बीजेपी का मुकाबला करना मुश्किल नजर आ रहा है. जिसकी झलक बीते उपचुनावों के दौरान यूपी में दिखी है.