Charkhari Assembly Seat: महोबा की चरखारी विधानसभा सीट पर सपा और बीजेपी के बीच में सीधा मुकाबला माना जा रहा है. इस सीट पर बीजेपी ने अपने सिटिंग विधायक बृजभूषण राजपूत को टिकट दिया है. जबकि सपा ने यहां बीजपर रामजीवन यादव को उतारा है. इस बार के चुनाव में बाहरी का मुद्दा भी काफी हावी बताया जा रहा है. सपा के उम्मीदवार महोबा से हैं जबकि बृजभूषण जालौन से आते हैं. आईए आपको इस सीट की पूरी सियासत समझाने की कोशिश करते हैं. 


महोबा सीट का इतिहास


महोबा की चरखारी विधानसभा सीट को बुंदेलखंड का कश्मीर और मिनी वृंदावन भी कहा जाता है क्योंकि यहां पर 108 भगवान कृष्ण के मंदिर हैं और ये पूरा कस्बा खूबसूरत तालाबों से घिरा हुआ है. यूपी के पहले मुख्यमंत्री गोविंद वल्लभ पंत जब चरखारी आए थे तो यहां की सुंदरता देखकर इसे बुंदेलखंड का कश्मीर नाम दिया था. चरखारी उन्हें इतना प्रिय था कि आजादी के बाद रियासतों के विलय के समय जब चरखारी की आवाम ने मध्य प्रदेश में विलय के पक्ष में फैसला दिया. लेकिन पंत चाहते थे कि ये यूपी में ही रहे जिसके लिए उन्होंने चरखारी के नेताओं को बुलाया और फिर ये यूपी का ही अंग बन गया.


हॉट सीट मानी जाती है चरखारी सीट


चरखारी सीट पर बीजेपी के बृजभूषण राजपूत विधायक हैं. बृजभूषण राजपूत पूर्व सांसद गंगाचरण राजपूत के बड़े बेटे हैं. जिन्होंने 2017 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी की उम्मीदवार उर्मिला राजपूत को हराया था. बृजभूषण राजपूत अपने विवादित बयानों और हिंदुत्व की छवि को लेकर अक्सर चर्चा में बने रहते हैं. ये वही चरखारी है जहां 2012 में उमा भारती भी विधायक रह चुकी हैं. तभी से ये सीट वीआईपी और हॉट सीट बनी हुई है. लोधी बहुल इस क्षेत्र में बीजेपी और सपा एक बार फिर आमने-सामने मुकाबले में रहेंगे. 


बीजेपी ने किया कई कामों का दावा


चरखारी को यहां के राजाओं से मिली पहचान आज भी कायम है. वही चरखारी विधायक द्वारा गोद लिए गए गांव गौरहारी को मॉडल गांव के रूप में विकसित किया गया है. लेकिन यूपी और केंद्र सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं का यहां के लोगों को सही से लाभ नहीं मिल पा रहा जिससे उनमें काफी नाराजगी है. साथ ही इस बार बाहरी प्रत्याशी का मुद्दा भी चुनाव में रहने वाला है. विकास की बात करें तो चरखारी विधानसभा में उत्तर प्रदेश सरकार की योजना हर घर जल नल योजना, प्रधानमंत्री आवास, आसरा आवास, कन्या सुमंगला योजना, विवाह योजना, उज्ज्वला योजना जैसी योजनाओं से यहां की जनता को हर संभव मदद करने का काम किया गया है.


इन मुद्दों पर वोट करेगी जनता


चरखारी में आज तक कही भी बस स्टॉप नहीं बनाया गया है. ये चरखारी कस्बे का सबसे पुराना मुद्दा है. इसको लेकर लोगों में नाराजगी है. स्कूलों में प्रवक्ताओं और अध्यापकों की कमी है. पानी की समस्या को लेकर भले ही यहां के राजा महाराजाओं द्वारा बड़े बड़े तालाब बनवाए गए जो उनकी जल प्रबंधन नीति को दर्शाते हैं. लेकिन किसी भी जनप्रतिनिधि और सरकार ने पानी की समस्या से निजात दिलाने के लिए कोई बड़ा काम नहीं किया है. सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के अलावा चरखारी विधानसभा में कोई बड़ा अस्पताल नहीं है जिससे लोगों को इलाज के लिए जनपद से बाहर जाना पड़ता है. 


सपा-भाजपा में सीधी टक्कर


बुंदेलखंड के महोबा की एक कहावत है कि ना खेत को पानी ना पेट को पानी. यह कहावत चरखारी विधानसभा के लिए भी कुछ हद तक सही है. यहां आज भी पानी की किल्लत से लोग परेशान रहते हैं. जहां एक बड़ा तबका भाजपा और सरकार की योजनाओं को बेहतर बता रहा है तो वहीं ऐसे लोगों की कमी भी नहीं है जो इन्हें नाकाफी बताते हैं. 2022 के चुनाव में बीजेपी से विधायक ब्रजभूषण राजपूत को फिर से बीजेपी ने उम्मीदवार बनाया है. उनका सीधा मुकाबला सपा के रामजीवन यादव से है. रामजीवन पूर्व में भी इस सीट से कांग्रेस के टिकट पर चुनाव लड़ चुके है लेकिन उन्हें जीत नहीं मिली थी. अबकी बार सपा ने उन्हें अपना उम्मीदवार बनाया है और जानकार बताते है कि इस सीट पर सपा और भाजपा का सीधा मुकाबला है. 


महोबा की चरखारी विधानसभा सीट
कुल मतदाता:- 338085
पुरुष मतदाता:- 181767
महिला मतदाता:- 156306
थर्ड जेंडर मतदाता:- 12


चरखारी सीट पर जातीय समीकरण


लोधी राजपूत- 70-72 हजार
दलित - 45 हजार
कुशवाहा- 30 हजार
ब्राह्मण- 22 हजार
साहू- 19-20 हजार
मुसलमान- 19-20 हजार


इस सीट पर अब बने विधायक 


1962: मोहन लाल अहिरवार, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
1967: जे. सिंह , निर्दलीय
1969: चंद्र नारायण सिंह , भारतीय जनसंघ
1974: काशी प्रसाद , भारतीय क्रांति दल
1977: मोहन लाल, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
1980: मोहन लाल, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (इंदिरा)
1985: मिही लाल , भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
1989: काशी प्रसाद , जनता दल
1991: मिही लाल , भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
1993: उदय प्रकाश , बहुजन समाज पार्टी
1996: छोटे लाल , भारतीय जनता पार्टी
2002: अंबेश कुमारी , समाजवादी पार्टी
2007: अनिल कुमार अहिरवार , बहुजन समाज पार्टी
2012: उमा भारती , भारतीय जनता पार्टी
2014: कप्तान सिंह , समाजवादी पार्टी
2015: उर्मिला राजपूत , समाजवादी पार्टी
2017: बृजभूषण राजपूत , भारतीय जनता पार्टी


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