Rahul Gandhi In Hathras: उत्तर प्रदेश स्थित हाथरस में चार साल पहले हुए रेपकांड के पीड़ितों से मिलने के लिए कांग्रेस नेता और लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी जिले का दौरा करने वाले हैं. इसको लेकर भारतीय जनता पार्टी के नेता कांग्रेस पर बिफर गए हैं. राज्य के डिप्टी सीएम ब्रजेश पाठक ने कहा कि आये दिन राहुल गांधी उलूल --जललू हरकत करते रहते हैं. राहुल गांधी दिग्भ्रमित हैं. वह पूरी तरह से डिरेल हो चुके हैं. हाथरस मामले को सीबीआई देख रही है. एक ओर जहां प्रदेश आगे बढ़ रहा है तो वहीं कांग्रेस नेता राज्य को दंगों और हिंसा की आग में झोकना चाहते हैं. 


इसके अलावा राज्य के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने राहुल गांधी के हाथरस दौरे पर कहा कि वो राजनीति कर रहे हैं. राहुल गांधी पर तो इंडिया गठबंधन और कांग्रेस को ही विश्वास नहीं है. जॉर्ज सोरोस के साथ लगातार कांग्रेस का कनेक्शन जुड़ रहा है.


क्या है पूरा मामला?
बता दें हाथरस जिले के बहुचर्चित हाथरस बिटिया कांड के पीड़ित परिवार को सरकार की घोषणा के मुताबिक सरकारी आवास तथा नोकरी नहीं मिली है .इन घोषणाओं को पूरी करने का मामला न्यायालय में विचाराधीन है.अलवत्ता इस केस में दो मार्च 2023 को कोर्ट का फैसला हो चुका है. विशेष न्यायालय एससी एसटी एक्ट की अदालत ने इस मामले में आरोपी 4 युवकों में से 3 को बरी कर दिया था और एक आरोपी संदीप को आजीवन कारावास तथा ₹50 हज़ार जुर्माने की सजा सुनाई थी.इस फैसले के बाद से बिटिया पक्ष संतुष्ट नहीं है.


हाथरस रेप केस: 4 में से 3 आरोपी हो चुके बरी, फैसले से पीड़ित परिवार खुश नहीं, पूरी नहीं हुई ये मांग


बिटिया पक्ष की वकील का कहना था कि वह इस फैसले को लेकर हाईकोर्ट में अपील करेंगे. इसमें कहीं ना कहीं कुछ ना कुछ हुआ है.तब बिटिया की भाभी ने भी कोर्ट के निर्णय पर संतुष्टि नहीं जताई थी. उसका कहना था कि वह चारों की सजा पर ही संतुष्ट होंगे और मृतका की अस्थियों का विसर्जन तभी करेंगे. बिटिया के परिजन भी इस फैसले को लेकर हाईकोर्ट में अपील कर चुके हैं.


14 सितंबर 2020 को हाथरस के गांव में एक दलित युवती के साथ दरिंदगी हुई थी और उसे जान से मारने की कोशिश हुई थी .इलाज के दौरान युवती ने 29 सितंबर 2020 को अपना दम तोड़ दिया था इस मामले के गांव के चारों आरोपी युवक जेल भेजे गए थे. सीबीआई ने मामले की जांच करके चारों के खिलाफ चार्जशीट न्यायालय में दाखिल की थी.जिस पर सुनवाई के बाद यह निर्णय आया था .


अलबत्ता सीआरपीएफ की टुकड़ी रोजाना की तरह परिवार की सुरक्षा में रहती है .पीड़ित परिवार घटना के बाद से ही गांव के बाहर सरकारी आवास और सरकारी नौकरी की मांग कर रहा था लेकिन शासन की ओर से अभी तक परिवार को यह मदद नहीं दी गई है.