Lok Sabha Election 2024: उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और केंद्रीय मंत्री पंडित कमलापति त्रिपाठी कांग्रेस पार्टी के कद्दावर नेता माने जाते थे. तब के समय में उनका राजनीतिक कद इतना बड़ा था कि देश के प्रधानमंत्री से लेकर कांग्रेस पार्टी का शीर्ष नेतृत्व वाराणसी के औरंगाबाद हाउस स्थित उनके आवास पर जमघट लगाता था. बतौर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहते हुए इसी औरंगाबाद हाउस की पहचान मिनी सीएमओ हाउस के तौर पर भी होती थी.
पंडित कमलापति त्रिपाठी के बाद लंबे समय तक इस परिवार का कांग्रेस पार्टी से नाता जुड़ रहा. लेकिन अब इस औरंगाबाद हाउस का भी बीजेपी से नाता जुड़ चुका है. पूर्वांचल में कांग्रेस पार्टी का सबसे बड़ा गढ़ माने जाने वाले औरंगाबाद हाउस में भी बीजेपी झंडे लहराने लगे हैं. पंडित कमलापति त्रिपाठी के पौत्र सोमेश पति त्रिपाठी ने बीजेपी को ज्वाइन कर लिया है. वहीं दूसरी तरफ इसी परिवार की चौथी पीढ़ी से ललितेश पति त्रिपाठी तृणमूल कांग्रेस से जुड़े है.
वर्तमान लोकसभा चुनाव में इंडिया गठबंधन के प्रत्याशी के तौर पर भदोही से चुनाव लड़ रहे हैं. राजनीतिक गलियारों में इस बेहद दिलचस्प किस्से की चर्चा शुरू हो चुकी हैं, जब एक ही आंगन के रहने वाले परिवार के दो सदस्य वर्तमान समय में अलग-अलग पार्टियों से लोकसभा चुनाव मैदान में आमने-सामने हैं. ABP live ने कांग्रेस पार्टी का दामन छोड़कर भाजपा में शामिल हुए पंडित कमलापति त्रिपाठी के पौत्र सोमेश पति त्रिपाठी से बातचीत की है.
सवाल - आपके परिवार का लंबे समय से कांग्रेस पार्टी से नाता रहा है, आपने कांग्रेस पार्टी का साथ छोड़कर बीजेपी क्यों ज्वाइन किया ?
जवाब - दरअसल, तब के कांग्रेस पार्टी और आपके कांग्रेस पार्टी में जमीन आसमान का अंतर है. कांग्रेस पार्टी वर्तमान समय में नेतृत्व विहीन हो चुकी है. सिर्फ एक ही परिवार के रहने वाले विचारों का लोकतंत्र में कोई स्वीकार्यता नहीं है. यही वजह है कि वर्तमान समय में कांग्रेस पार्टी लगातार शून्य की तरफ बढ़ रही है. वहीं दूसरी तरफ बीजेपी की दिशा राष्ट्रवाद की तरफ है और बेहद प्रभावशाली है. प्रधानमंत्री मोदी और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में राष्ट्रहित के प्रति अपना योगदान दे सकें, इसलिए बीजेपी को ज्वाइन किया है.
सवाल - क्या आपके परिवार ने कभी एक साथ एक ही पार्टी के साथ चलने वाले फैसलें पर विचार किया है?
जवाब - स्पष्ट कर देना चाहता हूं कि हमारा परिवार शुरू से ही स्वतंत्र विचारधारा और लोकतांत्रिक आधार पर भरोसा करने वाला है. हमारे भाई राजेश पति त्रिपाठी और मेरा बेटा ललितेश पति त्रिपाठी एक अलग दल और एक अलग विचारधारा के तहत राजनीति में हैं. उनका अपना स्वतंत्र विचार है लेकिन एक बात और स्पष्ट करना चाहूंगा कि हमने पहले भी ललितेश को और भाई राजेश को बीजेपी के साथ चलने के लिए सलाह दी है. लेकिन अगर उनकी विचारधारा एक दूसरे दल की है तो वह उनका निर्णय है. ललितेश ने जब कांग्रेस पार्टी छोड़ा था तब भी मैंने उन्हें बीजेपी के साथ जाने की सलाह दी थी. लेकिन आज ललितेश जहां भी चुनाव लड़ रहे हैं उनका स्वयं का निर्णय है और इस पर मुझे कोई आपत्ति नहीं है.
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सवाल - क्या भदोही में बीजेपी के लिए चुनाव प्रचार प्रसार करने आप जाएंगे?
जवाब - बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व और संगठन का जहां से भी आदेश होगा हम वहां पर अपना कर्तव्य निभाएंगे. लेकिन एक बात स्पष्ट कर दें कि ललितेश हमारे बेटे हैं और मुझे पूरा विश्वास है कि बीजेपी एक पिता को बेटे के विरोध में कभी खड़ा नहीं करेगी. बीजेपी की कभी भी ऐसी विचारधारा नहीं रही है.
सवाल - आज कांग्रेस पार्टी से दिग्गज नेता क्यों साथ छोड़ रहे हैं, इसके पीछे क्या वजह हो सकती है ?
जवाब - इसके पीछे केवल एक ही वजह है शहजादे. शहजादे के नेतृत्व को देश कभी स्वीकारने वाला नहीं है. पार्टी को उनके नेतृत्व में लगातार पराजय मिल रही है लेकिन हार पर उनकी जिम्मेदारी तय नहीं हो रही है. मंथन के बजाय उन्हें अगले चुनाव की जिम्मेदारी मिलती है. निश्चित ही उनके नेतृत्व से पार्टी नेता सहमत नहीं है, और इसी वजह से कांग्रेस से सभी लोगों का साथ छूट रहा है.