UP Politics: अखिलेश यादव की जाति वाली राजनीति का BJP ने ढूंढ लिया काट, ये दांव चला तो सपा का खेल खत्म!
Caste Census: समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) प्रमुख अखिलेश यादव (Akhilesh Yadav) की जाति वाली राजनीति की तोड़ बीजेपी (BJP) ने ढूंढ ली है. इसकी झलक बयानों में नजर आने लगी है.
Lok Sabha Elections: 2024 में पूरे देश में लोकसभा चुनाव होने वाला है. लेकिन यूपी में अभी से राजनीतिक हलचल तेज हो गई है. जनवरी 2024 में अयोध्या (Ayodhya) स्थित राम मंदिर (Ram Mandir) का उद्घाटन होने वाला है. राम मंदिर के जरिए बीजेपी (BJP) राज्य में वोटों का धुर्वीकरण करना चाहेगी. लेकिन इससे पहले समाजवादी पार्टी (Samajwadi Party) ने जातीय जनगणना (Caste Census) की मांग रख दी है. जबकि बीजेपी ने भी इसकी काट ढूंढ ली है.
दरअसल, मंगलवार को कन्नौज से बीजेपी सांसद सुब्रत पाठक ने एक मांग रख दी. उन्होंने कहा, "अखिलेश जी जातिगत जनगणना की मांग कर रहे हैं तो मैं उसमें धार्मिक जनगणना की मांग जोड़ता हूं, क्योंकि विभाजन संप्रदाय के आधार पर हुआ था. उसमें पाकिस्तान का निर्माण हुआ था. उस समय देश में 7% अल्पसंख्यक थे, अब बढ़कर कितने हो गए हैं? कितने मुस्लिम, ईसाई हैं इसकी जनगणना होनी चाहिए. ताकी उसके बाद जाति की जनगणना हो."
सुब्रत पाठक ने बताई वजह
बीजेपी सांसद ने कहा, "जिससे लोगों को ये समझ में आ सके कि जिन अधिकारी की हम मांग कर रहे हैं. दूसरे धर्म के लोग भी जानना चाहेंगे कि हमारी जाति से उनकी जाति की जनसंख्या कितनी अधिक है. कम से कम लोगों के समझ में आना चाहिए कि अगर वो 100 हैं तो वो कितने हैं. इस वजह से पहले धार्मीक जनगणना हो उसके बाद फिर जातीय जनगणना हो."
ऐसे में बीजेपी ने अखिलेश यादव की जातीय जनगणना वाली मांग का तोड़ खोज लिया है. अब बीजेपी ने सपा के जाति वाली राजनीति का तोड़ अब सुब्रत पाठक के बयान में नजर आ चुका है. अगर सपा अब जाति वाली मांग पर बनी रहती है तो निश्चित ही बीजेपी धर्मीक जनगणना की मांग उठाएगी. पहले राम मंदिर का उद्घाटन और फिर धर्मीक जनगणना की मांग चुनाव का धुर्वीकरण कर सकती है. अगर ऐसा हुआ तो सपा के लिए फिर से लोकसभा चुनाव में अपना प्रदर्शन सुधार पाना मुश्किल होगा.