EXIT POLL 2019: उत्तराखंड में फिर खिला कमल, कांग्रेस ने भी खोला खाता
एग्जिट पोल के मुताबिक, उत्तराखंड में इस बार भी कमल खिलता दिखाई दे रहा है। भाजपा यहां से चीर सीटें जीत रही है तो वहीं कांग्रेस इस बार अपना खाता खोलने में कामयाब रहेगी।
देहरादून, एबीपी गंगा। पहाड़ी राज्य उत्तराखंड में साल 2014 के लोकसभा चुनाव में क्लीन स्वीप करने वाली भाजपा इस बार पिछले नतीजे दोहराने से चूकती दिख रही है। हालांकि एग्जिट पोल के मुताबिक इस बार भी भाजपा सबसे बड़ी पार्टी बनती दिख रही है। उत्तराखंड में भाजपा इस बार चार सीटों पर अपना परचम लहराती दिख रही है। कांग्रेस के खाते में सिर्फ एक सीट ही जाती दिख रही है। निर्दलीयों के हाथ इस बार भी निराशा हाथ लगी है। मत प्रतिशत की बात करें तो भाजपा को सबसे ज्यादा 55 और कांग्रेस को 30 फीसदी वोट मिल रहे हैं। वहीं, बसपा को 9, अन्य को 5 और निर्दलीय को 1 फीसदी वोट मिलते दिख रहे हैं।
आइये आपको बताते हैं कि उत्तराखंड की हर एक सीट पर कौन-कौन से प्रत्याशी चुनावी मैदान में कूदे।
अल्मोड़ा वर्तमान में भाजपा के अजय टम्टा इस क्षेत्र से सांसद हैं। 2014 के चुनाव में उन्हें करीब साढ़े तीन लाख वोट मिले थे। उन्होंने कांग्रेस के प्रदीप टम्टा को हराया था। इस बार भी अजय टम्टा का मुकाबला कांग्रेस के प्रदीप टम्टा के साथ था। 2009 में भी लड़ाई टम्टा VS टम्टा की थी। इस चुनाव में कांग्रेस के टम्टा ने भाजपा के टम्टा को मात दी थी। जिसका बदला अजय टम्टा ने अगले लोकसभा चुनाव में लिया।
हरिद्वार 2004 में इस सीट पर समाजवादी पार्टी के राजेंद्र कुमार बाडी सांसद चुने गए। 2009 के चुनाव में हरिद्वार ने राजनीतिक अज्ञातवास काट रहे कांग्रेस के दिग्गज नेता हरीश रावत को संजीवनी दी और उन्हें यहां की जनता ने चुनाव जिता दिया, इसके बाद वह केंद्र में पहली बार मंत्री बने और फिर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री भी बनाये गए। हालांकि, 2014 के चुनाव में उनकी पत्नी रेणुका रावत, मोदी लहर की सुनामी में बह गयी और जनता ने भाजपा के डॉ. रमेश पोखरियाल निशंक को चुना। इस बार भी निशंक भाजपा की टिकट पर चुनावी मैदान में थे, जबकि कांग्रेस से अंबरीश कुमार पर दांव लगाया।
नैनीताल कांग्रेस की ओर से पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत को नैनीताल से टिकट दिए जाने के बाद यह हॉट सीट बन गई थी। हरीश रावत के सामने भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष अजय भट्ट मैदान में थे। बतादें कि भट्ट पहली बार लोकसभा चुनाव में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं।
गढ़वाल 1991 से अब तक भाजपा के टिकट पर जीतते (2009 को छोड़कर) आ रहे जनरल खण्डूड़ी ने चुनाव लड़ने से पहले ही मना कर दिया है, लेकिन कांग्रेस ने उनके बेटे मनीष खंडूड़ी को यहां से चुनाव लड़ाया है। वहीं भाजपा के कद्दावर नेता तीरथ सिंह रावत यहां से चुनावी मैदान में कूदे।
टिहरी टिहरी सीट पर इस बार भी भारतीय जनता पार्टी के साथ ही टिहरी राजपरिवार की इज्जत भी दांव पर लगी है। पार्टी ने फिर से माला राज्यलक्ष्मी शाह पर दांव लगाया है। वहीं कांग्रेस ने प्रीतम सिंह अपना दांव चला है।