देहरादून: अगर सब कुछ अपनी गति से चला तो पूरे कुमाऊं की सूरत बदलने वाली है. बीजेपी के राज्यसभा सांसद और मीडिया प्रभारी अनिल बलूनी ने बुधवार को दिल्ली में विदेश मंत्री जयशंकर प्रसाद से मुलाकात की और कैलाश मानसरोवर यात्रा को उत्तराखंड के पिथौरागढ़ जिले के लिपुलेख से शुरू करने की मांग की. उन्होंने कहा कि पहले जब यात्रा रूट नहीं था तब बात और थी लेकिन अब कैलाश मानसरोवर यात्रा मार्ग काफी बन चुका है इसलिए अब अन्य देशों के बजाय भारतीयों को अपने देश के भीतर के रास्ते से ही कैलाश की परिक्रमा के लिए जाना चाहिए.


प्रतिवर्ष 1100 श्रद्धालु कर पाते हैं यात्रा
अनिल बलूनी ने केंद्रीय विदेश मंत्री एस जयशंकर से भेंट कर उत्तराखंड (लिपुलेख) से निर्बाध रूप से कैलाश मानसरोवर यात्रा प्रारंभ करने का अनुरोध किया क्योंकि अभी तक सीमित संख्या में लगभग ग्यारह सौ श्रद्धालु ही प्रतिवर्ष इस यात्रा को कर पाते हैं. उन्होंने कहा कि मेरा प्रयास है कि पंतनगर और नैनीसैनी (पिथौरागढ़) हवाई अड्डों का विस्तार करके और पंतनगर से लिपुलेख तक ऑल वेदर रोड का निर्माण कर हम इस पवित्र यात्रा को सुगम तथा विराट स्वरूप देकर राज्य के पर्यटन और आर्थिकी का कायाकल्प कर सकते हैं. ये संकल्प राज्य की समृद्धि में मील का पत्थर साबित होगा.


अभी तक कैसे होती है यात्रा
कैलाश मानसरोवर की यात्रा करने के लिए कई रस्ते हैं, लेकिन भारत के भीतर से एक भी नहीं. नॉर्थ ईस्ट के लोग अरुणाचल प्रदेश के नाथुला के रास्ते चीन में प्रवेश करते हैं और यात्रा करते हैं. अन्य विकल्प के रूप में यात्री दिल्ली से फ्लाइट से काठमांडू और कोडारी बॉर्डर से चीन में प्रवेश करके यात्रा करते है और वापस आते है. केंद्र सरकार इस यात्रा पर प्रति यात्री सब्सिडी भी देती है. नेपाल और चीन में एक यात्री की यात्रा पर एक से डेढ़ लाख रूपये खर्च होते हैं. यदि ये यात्रा धारचूला, गुंजी, लिपुलेख होते हुए शुरू होगी तो जो पैसा भारतीयों का चीन और नेपाल में खर्च हो रहा है वो कुमाऊं के जिलों में राजस्व के रूप में मिलेगा जिससे हजारों करोड़ का रेवेन्यू मिलने के आसार हैं.


प्रस्ताव पर गंभीरता से करेंगे विचार
बीजेपी के राज्यसभा सांसद अनिल बलूनी ने कहा कि विदेश मंत्री जय शंकर प्रसाद ने आश्वस्त किया है कि इस प्रस्ताव पर गंभीरता से विचार कर कार्रवाई की जाएगी. उन्होंने बताया कि ''मैंने यही मांग की है कि जब हमारी सड़कें बन चुकी हैं, रास्ते सुगम हो रहे हैं तो भारत के लोग कैलाश मानसरोवर की यात्रा वाया चीन-नेपाल क्यों जाएं.''


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